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Delhi Jal Board Corruption: पानी नहीं, करप्शन की सप्लाई
Delhi Jal Board Corruption update
दिल्ली जल बोर्ड का हाल ऐसा है कि यहाँ से पानी नहीं, Corruption की बदबूदार धारा बहती है। जनता को साफ पानी की जगह गटर जैसे भ्रष्टाचार का कीचड़ सप्लाई हो रहा है। बीजेपी की सरकार बने 7 महीने हो गए, रिपोर्ट कार्ड भी छप गया, जश्न भी मना लिया, लेकिन जल बोर्ड में ‘कालिया नाग’ की तरह फैला करप्शन आज भी यथावत है। सवाल उठता है – सरकार गटर साफ करेगी या सिर्फ पोस्टर चिपकाकर विकास का ढोल पीटेगी?
AAP का पाप, BJP के गले की फांस – Delhi Jal Board Corruption
27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी लौटी और जनता को लगा कि इस बार गंदगी साफ होगी। लेकिन हुआ उल्टा – अब Delhi Jal Board बीजेपी की सरकार के गले की फांस बन गया है। आम आदमी पार्टी के ‘पाप’ अब बीजेपी की ‘इमेज’ को निगल रहे हैं। 48 सीटें जीतकर आई सरकार 48 वादों में से आधा भी पूरा करती नहीं दिख रही। नल सूखे पड़े हैं, लेकिन अधिकारियों की जेबें गीली हैं।
Delhi Jal Board Complaint: जनता की आवाज़ बनी कचरे की फाइल
जनता शिकायत करती है, लेकिन Delhi Jal Board Complaint सीधे सरकारी कचरे के डिब्बे में फेंक दी जाती है। जीवन नगर निवासी विधु शेखर उपाध्याय की कहानी इसका ताजा उदाहरण है। नवंबर 2024 में उन्हें गलत मीटर रीडिंग का 8590 रुपये का बिल थमा दिया गया। उन्होंने 1916 और PGMS पर शिकायतें कीं। 5 महीने से शिकायतें दौड़ रही हैं, लेकिन रिपोर्टों की बाज़ीगरी में केस गोलमाल हो गया। अधिकारी फोन पर व्यस्त, रिपोर्ट में झूठ और जनता की पीड़ा सरकारी फाइलों के पन्नों में दम तोड़ रही है।
Delhi Jal Board Water Bill Scam: बिलों का खेल, जनता बेहाल
यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि पूरे Delhi Jal Board Water Bill Scam का नमूना है। कभी मीटर की गलत रीडिंग, कभी रिपोर्ट का फर्जी क्लोजर, कभी साइट विजिट का झूठा वादा। सवाल साफ है – अगर 10 जून 2024 से 28 नवंबर 2024 तक मीटर की रीडिंग ही नहीं हुई तो बिल कैसे बना? अगर नवंबर में 723 यूनिट दर्ज थी तो मई में 701 और जुलाई में 720 कैसे? जनता समझ चुकी है – यह सब बिल नहीं, बल्कि खेल है।
Accountability in Delhi Jal Board Corruption: जवाबदेही कहाँ?
सरकार सुशासन की दुहाई देती है, लेकिन जब जनता पूछती है – “Action कहाँ है?” तो अफसर रिपोर्ट से खेलकर मामला निपटा देते हैं। Accountability गायब है। अगर अधिकारी बार-बार झूठी रिपोर्ट दें, साइट विजिट का नाटक करें और मीटर रीडिंग गोलमाल करें, तो क्या उन्हें सस्पेंड नहीं होना चाहिए? क्या उनका वेतन नहीं काटा जाना चाहिए? लेकिन यहाँ तो उल्टा – अधिकारी मज़े में और जनता त्राहिमाम कर रही है।
Delhi Jal Board Governance Failure: सुशासन या ठगी?
जनता कहती है – “Justice delayed is Justice denied.” दिल्ली जल बोर्ड का हाल यही है। छोटी समस्या समय पर निपटती नहीं और धीरे-धीरे बड़ा अपराध बन जाती है। यह Delhi Jal Board Governance Failure का जीता-जागता उदाहरण है। जनता पानी की नहीं, बल्कि ईमानदारी की प्यास से मर रही है। सरकार चाहे बीजेपी हो या AAP – दोनों की मिलीभगत से जनता करप्शन के इस दलदल में धंस रही है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: विधु शेखर उपाध्याय
📍 लोकेशन:दिल्ली
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