 
                                                      
                                                PRIYANKA BANK MANAGER
कर्नाटक में हिंदी बोली, तो कर दिया बैंक मैनेजर का तबादला,गजब है भाई..!
SBI Bank Manager Priyanka Controversy : कर्नाटक में हिंदी बोला तो हो गया बैंक मैनैजर का तबादला। यही नहीं बैंक मैनेजर के क्षेत्रीय भाषा नहीं बोलने पर बैंक को माफी भी मांगनी पड़ी। है ना हैरान करने वाली बात। लेकिन ये सोलह आने सही है। आखिर ये पूरा माजरा क्या है,वो बताएंगे आपको,भाषा का ये पूरा खेल समझाएंगे आपको। लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि, अगर आप कर्नाटक या दक्षिण के किसी दूसरे राज्य में नौकरी करने जा रहे हैं तो वहां की भाषा जरूर सीख लीजिये। क्योंकि वहां आपको हिंदुस्तानी होने के आधार पर नहीं भाषायी आधार पर परखा जाएगा। और अगर आपको उस राज्य की भाषा नहीं आती है. तो आपके साथ भी वही होगा, जो पटना की Priyanka के साथ हुआ है।

बेंगलुरु: आखिर प्रियंका(Priyanka) का पूरा मामला क्या है पहले वो बता देते हैं आपको। दरअसल Priyanka बेंगलुरु के चंदापुरा में एसबीआई की एक शाखा में ब्रांच मैनेजर के तौर पर कार्यरत थी। रोजाना की तरह वो बैंक के कामकाज निपटा रही थी। तभी एक ग्राहक Priyanka से किसी बात की शिकायत करने लगा। जब Priyanka ने उसे हिंदी में समझाने की कोशिश की। तो ग्राहक कन्नड़ में बोलने की जिद्द करने लगा।इस पर दोनों के बीच विवाद हो गया। इस बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
प्रियंका ने कहा ‘हिंदुस्तान में हिंदी ही बोलूगीं’
एक मिनट से ज्यादा के इस वीडियो में प्रियंका को ये बोलते हुए सुना जा रहा है कि, ‘ये हिंदुस्तान है, हिंदी मेरी राष्ट्रभाषा है, तो मैं हिंदी में ही बोलूंगी।’वहीं ग्राहक प्रियंका(Priyanka) से बार-बार कन्नड़ बोलने की जिद्द कर रहा था। प्रियंका को मजबूर कर रहा था, कि वो कन्नड़ बोले,लेकिन Priyanka भी जिद्द पर अड़ी रही। सारा विवाद यही से शुरू हुआ।Priyanka के ये कहने पर की हिन्दुस्तान में हिंदी बोलना गुनाह नहीं है, ग्राहक ये कहता रहा कि, ये कर्नाटक है। यानि कर्नाटक के उस शख्स के लिए हिंदुस्तान से पहले उसकी भाषा प्रमुख है। ये अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। देशभक्ति की भावना को आहत करता है।
भाषा के आधार पर बंट रहा देश,दुश्मन को कैसे देगा संदेश ?
सोचिए सीमा पर जैसे हालात हैं, अगर कल को हमारी चीन या पाकिस्तान से जंग हो जाए तो क्या हम पहले भाषा देखेंगे या देश । आपका जवाब होगा देश।हिंदुस्तान में रहने वाले हर शख्स के लिए पहले देश होना चाहिए। भाषा तो केवल माध्यम हैं, अगर आपको एक-दूसरे की भाषा समझ में नहीं आती, तो लड़ने के बजाए उसका समाधान निकालने में भलाई है। हर राज्य की अपनी भाषा होती है। वहां का आदमी उस भाषा को प्रमुखता देता है। लेकिन किसी दूसरे राज्य से गए शख्स के लिए उस भाषा में संवाद करना मुश्किल होता है। ये बात स्थानीय नागरिकों को भी समझना चाहिए।
महाराष्ट्र में कई बार चल चुकी है ये आंधी
ये बात केवल कर्नाटक की नहीं है, कुछ साल पहले महाराष्ट्र में भी ऐसी ही आंधी चली थी। वहां मराठी नहीं बोलने वालों के साथ मारपीट की जाती थी,उन्हें वहां से जबरन भगाया जा रहा था। खासकर यूपी, बिहार के लोगों को टारगेट किया जाता था। उस वक्त भी जो कुछ हो रहा था, गलत था, और आज भी जो रहा है, वो गलत है। चाहे कर्नाटक हो या तमिलनाडु, या कोई भी राज्य । हमें अपनी भाषा के साथ दूसरे की भाषा का भी आदर करना चाहिए। हिंदुस्तान तो अनेकता में एकता का देश है। जहां अनेक भाषा बोली और लिखी जाती है।

अगर ऐसे में हम हिंदुस्तानी भाषा के आधार पर लड़ने लगेंगे तो दुश्मनों को क्या संदेश देंगे। हमारी एकता की कैसे मिसाल देंगे।
प्रियंका का तबादल सही या गलत?
हैरानी की बात तो ये रही कि, एसबीआई ने इस घटना के बाद प्रियंका का वहां से तबादला कर दिया। साथ ही साथ एक बयान जारी कर पूरी घटना पर एक प्रकार से माफी भी मांगी। SBI की तरफ से कहा गया कि, ‘हम अपनी सूर्या नगर शाखा में हुई घटना को लेकर चिंतित है। पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है। बैक ने कहा कि, हमारी नीति कस्टमर की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली नहीं है,और हम ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करते। SBI सभी नागरिकों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। यानि बैंक ने भी इस मामले में प्रियंका का साथ नहीं दिया।
प्रियंका के तबादले पर सिद्धारमैया का SBI को धन्यवाद
क्षेत्रीय भाषा को लेकर ये विवाद कितना बड़ा हो गया था, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि, बैंक मैनेजर प्रियंका के तबादले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, और क्षेत्रीय भाषा को आदर देने की बात कही। यही नहीं सिद्धारमैया ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी बैंक कर्मचारियों को भाषाई प्रशिक्षण देने की मांग कर दी।
क्या पूरा हो पाएगा पीएम मोदी का सपना?
कहां तो एक तरफ मोदी सरकार हिंदी को मातृ भाषा बनाने में जुटी है,गृहमंत्री अमित शाह बोल-बोलकर थक गए हैं, कि,भाषा के आधार पर देश को बांटना गलत है। लेकिन कुछ राज्य इस नक्शे कदम पर केवल इसलिए चलने से परहेज करते हैं कि,उन्हें अपनी सियासत चमकानी होती है। उनके लिए देश से पहले अपनी सियासत होती है।
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