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Bhagalpur में ‘संविधान हत्या दिवस’ कार्यक्रम में मंत्री संतोष सिंह ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा तंज कसा। बोले—राहुल गांधी विदेशों में संविधान की पुड़िया लेकर घूमते हैं, अगर सच में समझना है तो प्रधानमंत्री मोदी की पाठशाला में आकर सीखें।
Bhagalpur में ‘संविधान की पुड़िया’ पर घमासान: मंत्री बोले—युवराज विदेश में लेकर घूमते हैं, मोदी जी की पाठशाला में भेजो!
संवाददाता/कुणाल,खबरी लाल.डीजिटल
भागलपुर।
जिस देश में कभी संविधान को ताक पर रखकर आपातकाल लाद दिया गया था, वहीं आज 50 साल बाद उसी घटना की राख में सियासी रोटियाँ सेंकी जा रही हैं। जी हां, अब आपातकाल नहीं, “संविधान हत्या दिवस” मनाया जा रहा है। और इस मौके पर भागलपुर की फिजा में तब तंज की बिजली गूंज गई, जब मंच पर मंत्री संतोष सिंह जी आ धमके।
Bhagalpur में राहुल गांधी पर सीधा वार: “संविधान की पुड़िया लेकर विदेश घूमते हैं”
मंत्री जी की जब जुबान खुली, तो माइक शर्म से लाल हो गया। बोले—”कांग्रेस के युवराज विदेश में संविधान की पुड़िया लेकर घूमते हैं!” अब ये ‘पुड़िया’ किस साइज की है, वो तो उन्होंने नहीं बताया, लेकिन जनता हँसी के फव्वारे में डूब गई। मंत्री जी यहीं नहीं रुके, आगे ठोका—”राहुल गांधी को अगर संविधान की इतनी ही चिंता है, तो आ जाएं प्रधानमंत्री मोदी की पाठशाला में! वहां ज्ञान भी मिलेगा, और दिशा भी।”
आपातकाल पर ‘बाबा साहेब’ और ‘तैमूर लंग’ की जोड़ीदार एंट्री
कार्यक्रम का नाम भले ‘संगोष्ठी’ था, लेकिन मंच पर माइक ताबड़तोड़ ‘जैसे को तैसा’ का लाइव शो बन गया। मंत्री संतोष सिंह ने कहा—”बाबा साहेब के मरने के बाद कांग्रेस ने दो गज जमीन भी नहीं दी थी, और आज वही कांग्रेस संविधान की माला जप रही है।” फिर जोड़ा—”देश ने हिटलरशाही देखी, तैमूर लंग झेला, और अब कांग्रेस की ‘युवराजशाही’ को भी बर्दाश्त कर रहा है।”
Bhagalpur में जेपी सेनानियों को सम्मान और जनता को आपातकाल की काली कहानी
कार्यक्रम में मंत्री जी ने जेपी आंदोलन के सेनानियों को सम्मानित किया, फिर जनता को 1975 की ‘डरावनी रातों’ की याद दिलाई। बोले—”हम आने वाली पीढ़ियों को बताएंगे कि कैसे कांग्रेस ने संविधान का गला घोंटा था, कैसे प्रेस की आवाज़ दबा दी गई थी, और कैसे जनता को ‘गूंगा-बहरा’ बना दिया गया था।”
“जब चुनाव आता है, कांग्रेस को संविधान याद आता है”
शब्दों के कटोरे में राजनीतिक कढ़ी डालते हुए मंत्री जी बोले—”जैसे ही चुनाव आता है, कांग्रेस के युवराज संविधान लेकर निकल पड़ते हैं। ये मोह नहीं, ये चुनावी GPS है जो सीधे वोटबैंक की दिशा दिखाता है।” उन्होंने कहा—”अबकी बार संविधान की रक्षा का असली पाठ देश के बच्चों को मोदी जी की पाठशाला में पढ़ाया जाएगा, न कि विदेशी मंचों पर भाषण देकर।”
Bhagalpur में संविधान की पूजा या सियासी भांग का घोल?
इस कार्यक्रम ने यह तो साबित कर दिया कि अब ‘संविधान’ सिर्फ न्यायालयों तक सीमित नहीं, मंचों और माइक पर भी उसकी व्याख्या होती है—
अब संविधान भी वोट मांग रहा है!
आपातकाल के 50 साल बाद संविधान अब माइक पर चढ़ चुका है—कभी पुड़िया बनकर विदेश घूम रहा है, कभी पाठशाला में बैठकर नई पीढ़ी को घूंट-घूंट पिलाया जा रहा है। सवाल ये है—क्या संविधान की रक्षा भाषणों से होगी या वाकई जमीन पर लागू होने से? और राहुल गांधी को सच में पाठशाला जाना चाहिए या ये भी एक चुनावी शगूफा है—ये तय करेगी जनता, जो अभी भी भूख, बेरोजगारी और ‘गड्ढा युक्त सड़कों’ के संविधान में उलझी है।

 
         
         
         
         
        
Nice article.