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CMO Sleep in Meeting: मोहर्रम पर बुलाई गई शांति बैठक में मुरादाबाद के CMO मंच पर ही झपकी मारते दिखे। ज़िले की तैयारी पर अब जनता को गहरी चिंता!
📍 मुरादाबाद | 26 जून 2025 | रिपोर्ट: खबरीलाल ब्यूरो
👉 सीएमओ साहब मंच पर बैठे थे, सोच सब रहे थे स्वास्थ्य पर बात होगी…
पर साहब तो खुद ही “अचेत अवस्था” में चले गए।
ये कोई अस्पताल का आईसीयू नहीं था, न ही कोई बाबा रामदेव की योग कक्षा… ये ज़िला स्तरीय शांति समिति की बैठक थी, जहां मोहर्रम जैसे संवेदनशील पर्व को लेकर तमाम धार्मिक गुरु, समाज के रहनुमा और प्रशासनिक अफसर एक मंच पर जुटे थे।
लेकिन… “मंच पर बैठे मुरादाबाद के सीएमओ आंखें मूंदे समाधि में चलाे गये।”
मंच पर नींद और मैदान में उम्मीद—मुरादाबाद की तैयारी का यही है हाल!CMO Sleep in Meeting

जनता उम्मीद लेकर बैठी थी कि मेडिकल इंतजामों पर बातें होंगी। एसएसपी सतपाल अंतिल साहब गंभीर दिखे, डीएम अनुज सिंह ने भी कड़ी निगरानी की बात कही।
लेकिन सीएमओ साहब का अंदाज़ कुछ और ही निकला—अलर्टनेस की जगह अल्प-निद्रा!
क्या ये वही अधिकारी हैं जिन पर पूरे जिले की सेहत की जिम्मेदारी है?
जो मंच पर बैठकर आंखें मूंद लें, वो मोहर्रम में एंबुलेंस चलवाएंगे?
🔥 खबरीलाल पूछता है—क्या पीस कमेटी की बैठकें अब ‘स्लीपिंग पिल्स’ का विकल्प हैं?CMO Sleep in Meeting
जिनके जिम्मे पूरे ज़िले की स्वास्थ्य तैयारियां हैं, जब वही मंच पर उंघते मिल जाएं तो सवाल उठते हैं—
क्या मुरादाबाद का हेल्थ सिस्टम भी “स्लीप मोड” में है?
या फिर झपकी अब सरकारी नीति का हिस्सा बन चुकी है?
भाई साहब, अगर मंच पर ही कंबल ओढ़ लेते तो कम से कम जनता को ये गुमान न होता कि आप तैयारी पर मंथन कर रहे हैं।
“मंच पर झपकी, और फील्ड में ज़िम्मेदारी”— ऐसा चलेगा?CMO Sleep in Meeting

यह तस्वीर केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नींद का प्रतीक बन गई है। जिस समय मोहर्रम को लेकर कानून-व्यवस्था, मेडिकल अलर्ट, बिजली-पानी से लेकर धर्मिक सौहार्द तक पर चर्चा होनी थी, उस वक्त सीएमओ साहब गहरी ‘प्रेरणा’ में लीन थे।
सवाल सीधा है – अगर सीएमओ को नींद आ रही थी, तो क्या शांति समिति में उन्हें कंबल और तकिया साथ लाना चाहिए था? या भविष्य में प्रशासनिक बैठकें रात्रिकालीन भोजन के बाद आयोजित हों, ताकि नींद दोष टल सके?

 
         
         
         
        