आतंक, धर्मांतरण और लव जिहाद… CM Yogi के बयान से हलाल पर सियासत गरमाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi ) के हालिया बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। गोरखपुर में आयोजित आरएसएस के दीपोत्सव से राष्ट्रोत्सव कार्यक्रम में सीएम योगी ने हलाल सर्टिफिकेशन को आतंकवाद, धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे षड्यंत्रों से जोड़ते हुए इसे राज्य में पूरी तरह प्रतिबंधित करने की बात कही। उनके इस बयान के बाद यूपी की सियासत में बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
🔹 हलाल सर्टिफिकेशन पर CM Yogi का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह रोक है। कोई भी संस्था या व्यापारी किसी उत्पाद पर हलाल का टैग लगाकर उसे बेच नहीं सकता।
सीएम योगी के शब्दों में —
“हलाल के नाम पर आतंकवाद के लिए पैसे जुटाए जा रहे हैं। इन पैसों का इस्तेमाल धर्मांतरण और लव जिहाद जैसी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। ये एक सुनियोजित साजिश है और यूपी सरकार ने इसे प्रतिबंधित किया है। न कोई इसे बेचेगा, न खरीदेगा।”
उनका ये बयान राज्य में पहले से चल रहे हलाल प्रतिबंध अभियान को और कठोर करने की दिशा में माना जा रहा है।

🔹 “राजनीतिक इस्लाम” पर CM योगी का हमला
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ‘राजनीतिक इस्लाम’ को सनातन आस्था का सबसे बड़ा शत्रु बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के खिलाफ बल्कि राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ भी लंबे समय तक संघर्ष किया है।

CM योगी ने छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और गुरु गोविंद सिंह जैसे वीरों को याद करते हुए कहा —
“राजनीतिक इस्लाम वो विचारधारा है जो भारत की डेमोग्राफी बदलने और राष्ट्र को कमजोर करने की कोशिश करती है। आज भी ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं।”
🔹 मौलाना रजवी का जवाब – “मुख्यमंत्री की बात से सहमत नहीं”
सीएम योगी के बयान पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हलाल सर्टिफिकेट देने का मौजूदा तरीका वाकई गलत है क्योंकि कुछ लोग इसे धर्म के नाम पर कमाई का जरिया बना चुके हैं।
हालांकि उन्होंने ये भी कहा —
“मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस बात से सहमत नहीं हूं कि इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद में किया जा रहा है। हलाल का मूल उद्देश्य धार्मिक मानकों का पालन है, न कि हिंसा या साजिश।”

🔹 हलाल सर्टिफिकेट का मतलब क्या है?
‘हलाल’ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है – वैध या जायज।
इस्लामी कानूनों के अनुसार, हलाल उत्पाद वही होते हैं जो धार्मिक मानकों के अनुरूप तैयार किए गए हों।
हलाल सर्टिफिकेशन ये सुनिश्चित करता है कि:
- किसी खाद्य पदार्थ या वस्तु में इस्लाम में हराम मानी जाने वाली चीजें शामिल न हों।
- मांस उत्पादों के लिए ये देखा जाता है कि जानवर को इस्लामी तरीके से काटा गया हो।
- उत्पादन से लेकर पैकिंग तक की प्रक्रिया धार्मिक नियमों के अनुसार हो।
भारत में जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट जैसी संस्थाएं ये प्रमाणपत्र जारी करती हैं। हालांकि,
- हलाल सर्टिफिकेशन अनिवार्य नहीं, बल्कि स्वैच्छिक प्रक्रिया है।
- केंद्र सरकार इसका कोई राष्ट्रीय मानक नहीं तय करती।
- विभिन्न निजी या धार्मिक संगठन अपने-अपने स्तर पर ये सर्टिफिकेट जारी करते हैं।
यूपी सरकार ने अब राज्य में किसी भी सामान पर हलाल टैग लगाने या बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
🔹 सियासत में नया मुद्दा
सीएम योगी का ये बयान न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक बहस का भी केंद्र बन गया है।
जहां भाजपा समर्थक हलाल प्रतिबंध को “राष्ट्रहित में कदम” बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे समाज में विभाजन फैलाने वाला बयान कह रहा है।
अब ये मुद्दा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक टकराव का प्रतीक बन गया है।
हलाल सर्टिफिकेशन पर सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस छेड़ चुका है।
एक तरफ सरकार इसे आतंकवाद और धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कदम बता रही है, तो दूसरी ओर धार्मिक संगठन इसे गलत समझ और राजनीतिक बयानबाजी का नतीजा बता रहे हैं।
अब देखना ये है कि ‘हलाल विवाद’ आने वाले चुनावी मौसम में कितना बड़ा मुद्दा बनता है।
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