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Chiraga Village Dark Reality: कहां विकास का शोर, कहां चिरागा का अंधेरा
Chiraga Village – नाम सुनकर लगता है मानो गांव रोशनी से जगमगा रहा होगा, लेकिन सच्चाई ऐसी है कि सरकार के विकास के पोस्टर से ज्यादा चमक तो यहां की डिबरी में है! पीलीभीत जनपद की तहसील व ब्लॉक पूरनपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया मजरा में लगने वाला छोटा सा गांव चिरागा आज भी चिराग और लालटेन के सहारे 21वीं सदी का भारत देख रहा है। 60 साल से सात परिवार विकास के इंतजार में बैठे हैं – किसी ने कहा था सबका साथ, सबका विकास… शायद इस गांव का पता गूगल मैप पर नहीं है!
Chiraga Village Dark Reality: बिजली आई नहीं, उम्मीद भी मरी नहीं
Chiraga Village में रोशनी का हाल ऐसा है जैसे सरकार ने गांव वालों को रात में सितारों की गिनती करने का ठेका दे रखा हो! जरा सोचिए — 60 साल में वो सब बदल गया जो बदलना नहीं था, लेकिन चिरागा गांव की लालटेन आज भी वहीं टिमटिमा रही है। नेता आए, घोषणाएं हुईं, बिजली के खंभे भी कहीं फोटो में लगे, लेकिन गांव की गली में आज तक एक तार नहीं टंगा। जंगल में जानवरों को तो सरकार ने पावरफुल बना दिया, लेकिन इंसानों को कब लाइन मिलेगी – ये कोई नहीं बताता!
🔌 Chiraga Village Dark Reality: नेता जी के भाषण रोशन, गांव अंधेरे में
Chiraga Village में हर चुनाव से पहले वादों का लाइट एंड साउंड शो चलता है। नतीजा? गांव वाला मोबाइल चार्ज कराने पड़ोस जाता है, नेताजी ट्विटर पर डिजिटल इंडिया चमकाते हैं। बच्चों की किताबें हैं, पन्ने हैं, बस रोशनी नहीं है। जो अफसर साहब सर्वे-सर्वे खेल रहे हैं वो भूल जाते हैं कि सर्वे से दीये नहीं जलते — बिजली चाहिए तो तार खिंचना पड़ेगा, कुर्सी से उठना पड़ेगा!
Chiraga Village Dark Reality: कागज पर बिजली, जमीनी हकीकत में ढिबरी
Chiraga Village ने सरकारी दावों की ऐसी मिट्टी पलीद की है कि अफसर फाइलों में तारे गिन रहे हैं और गांव वाला जंगल में जानवरों से खुद को बचा रहा है। एसडीओ साहब का जवाब – नानकपुरी से लाइन आएगी — सुनकर गांव वालों ने अब चिराग को ही नानकपुरी मान लिया है। सवाल सीधा है – लाइन पहले आएगी या गांव खाली होगा? जंगल बढ़ रहा है, आदमी घट रहा है — और विकास? वो सिर्फ सरकारी भाषणों में घूम रहा है!
Chiraga Village Dark Reality: नेता जी की कुर्सी चमके, गांव भाड़ में जाए!
अब असली ‘Chiraga Village’ यही है कि इस गांव में रात होते ही सांसद जी का विज़न और विधायक जी का विकास दोनो अंधेरे में घुस जाते हैं। चुनाव में वोट मांगते वक्त चिरागा के नाम पर भाषण में हजार वाट की लाइट जलती है, लेकिन जैसे ही कुर्सी मिलती है, ये गांव नक्शे से भी गायब कर दिया जाता है। हर साल कागजों पर फाइलें घूमती हैं — ‘लाइन आएगी, पोल लगेंगे, कनेक्शन मिलेगा’, मगर जमीनी हकीकत में चिरागा के लोग आज भी लालटेन ढिबरी और मोमबत्ती से अंधेरे को चीर रहे हैं।
कभी कभार अफसर साहब गांव में आते हैं — झाड़फूंक सर्वे कर जाते हैं — फिर वही लाइन: ‘कागज बन गया, पास हो गया, जल्द ही बिजली आएगी…’ गांव वाला भी जान गया है कि वोट डालो, भरोसे में रहो, नेता जी की कुर्सी रोशन करो — खुद माचिस से दीया जलाओ! इस देश में विकास से बड़ी कोई जुमलेबाज़ी नहीं है और चिरागा इसका सबसे जिंदा सबूत है — जहां बिजली के ख्वाब को भी अब लोग हँसी में टाल देते हैं!
चिरागा का सवाल: विकास का चिराग कब जलेगा?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: शकुश मिश्रा
📍 लोकेशन: पीलीभीत, यूपी
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