CHINA-PAK की ये डील, Bharat दोगुना सतर्क होना पड़ेगा !
CHINA-PAK News Update
China-Pak के बीच हुई एक सीक्रेट डील से पर्दा उठ गया है, चीन-पाकिस्तान भारत पर तीसरी आंख से नज़र रख रहे हैं, दरअसल चीन,पाकिस्तान के साथ भारत से जुड़ा डेटा साझा कर रहा है. चीन-पाकिस्तान के बीच सैटेलाइट डेटा साझा की रणनीति, भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती बनकर उभरी है, खासकर तनाव के समय में चीन-पाकिस्तान की जुगलबंदी, भारत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है. इस सहयोग को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि ये भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.
CHINA-PAK की डील का पर्दाफाश
2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान, चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट के जरिए खुफिया जानकारी मुहैया कराई. चीन ने ये चालबाजी तब की थी, जब 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इस ऑपरेशन के जवाब में, चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सैन्य ठिकानों की सैटेलाइट तस्वीरें और रडार डेटा उपलब्ध कराया, जो पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ.

सैटेलाइट और सैन्य सहायता
चीन ने 2025 में पाकिस्तान के पहले ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट PRSS-1 समेत अन्य सैटेलाइट्स के लॉन्च में भी सहायता की. सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) जैसे थिंक टैंकों का दावा है कि इस सहयोग से पाकिस्तान को हवाई रक्षा और सैन्य रणनीति में मजबूती मिली है. विशेष रूप से, जब भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए, तब चीन का ये समर्थन पाकिस्तान के लिए एक बड़ा फायदा रहा.
भारत के लिए बड़ा खतरा
CHINA-PAK का ये सैटेलाइट सहयोग भारत के लिए इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे पाकिस्तान को भारतीय सीमाओं, सैन्य गतिविधियों और रक्षा तंत्र की वास्तविक समय की जानकारी मिल सकती है. इससे युद्ध के दौरान भारत की रणनीति पर असर पड़ सकता है और दुश्मन को बढ़त मिल सकती है. साथ ही, चीन का ये कदम दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश भी दिखाता है.
भविष्य में और बढ़ेगी चुनौतियां
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये सहयोग और गहराया तो भारत को अपनी साइबर सुरक्षा और सैटेलाइट-रोधी तकनीक को मजबूत करना होगा. इसके अलावा, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए भारत को अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रणनीति बनानी होगी. दरअसल चीन-पाक सैटेलाइट सहयोग भारत के लिए एक नई चुनौती है, जिसका असर युद्ध के समय में और गहरा हो सकता है. हालांकि, भारत की सैन्य और तकनीकी क्षमता इस खतरे का जवाब देने में सक्षम है, बशर्ते वो समय रहते सही कदम उठाए. ये स्थिति दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है.
