PoK में जनता का उग्र विद्रोह: पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ भड़का गुस्सा
PoK News
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) इन दिनों भयंकर जन आक्रोश की आग में जल रहा है। लगातार बढ़ती महंगाई, सरकारी दमन, भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं की कमी से त्रस्त लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं। ये प्रदर्शन इतना उग्र हो चुका है कि कई जिलों में हिंसा, झड़प, पुलिसकर्मियों के अपहरण और मौतों की खबरें सामने आ चुकी हैं।
PoK कब-कैसे से शुरू हुआ आंदोलन?
इस विरोध की शुरुआत दो साल पहले आटे और बिजली की नियमित आपूर्ति को लेकर हुई थी। सरकार से समझौता भी हुआ, लेकिन आम जनता का कहना है कि वो समझौता आज तक पूरा नहीं हुआ। अब मामला सिर्फ राशन या बिजली का नहीं रहा – लोग प्रशासनिक अन्याय, वीआईपी कल्चर, आरक्षित सीटें और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के खिलाफ एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।

क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें?
PoK की जनता ने सरकार के सामने 38 मांगों की सूची रखी है। प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- बिजली दरों में कटौती
- हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की रॉयल्टी स्थानीय लोगों को
- प्रवासियों के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों को हटाना
- वीआईपी भत्तों का अंत
- मुफ्त स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था
- भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई
इन सभी मांगों का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JKAAC) कर रही है।
कहां-कहां भड़की हिंसा?
मुज़फ़्फ़राबाद:
यहां लाल चौक पर प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। इसके बाद हालात और बिगड़ गए। नेताओं ने मोबाइल नेटवर्क बहाल करने की चेतावनी दी, अन्यथा संचार टावर गिराने की धमकी दी गई है।
बाग जिला:
यहां स्थानीय लोगों ने पंजाब पुलिस के दर्जनों जवानों को बंधक बना लिया। झड़पें जारी हैं और स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
कोटली और दादयाल:
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ते हुए मुज़फ़्फ़राबाद की ओर कूच किया। प्रशासन कंटेनर लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा है।
रावलाकोट:
ये इलाका जो कभी आईएसआई की गतिविधियों के लिए कुख्यात था, अब खुलेआम पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है। यहां हुई बड़ी जनसभा में “कश्मीर के संसाधनों पर हमारा हक़ है” जैसे नारे गूंजे।
PoK में आज जो कुछ हो रहा है, वो केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि वर्षों से चल रहे राजनीतिक दमन और अधिकारों की अनदेखी का परिणाम है। पाकिस्तान की सरकार और सेना के खिलाफ आम लोगों का ये आक्रोश दर्शाता है कि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। ये केवल विरोध नहीं, बल्कि एक जन विद्रोह है – जिसे अब न तो बंदूकें दबा सकती हैं, और न ही झूठे आश्वासन।
Maulana Mahmood Madani : …मुसलमान हर कुर्बानी के लिए है तैयार..!

https://shorturl.fm/Qr5Yn
https://shorturl.fm/TJkVZ