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🚍 BusStand Saharanpur: पानी के लिए तरसता मुसाफिर, MLA Gumber का Warning Dose!
BusStand Saharanpur, वो जगह जो दिल्ली रोड की धूल फांकते मुसाफिरों की पहली उम्मीद होती है — वहां प्यास बुझाने को एक लोटा पानी तक नसीब नहीं। टॉयलेट? अरे जनाब! रोडवेज बस स्टैंड पर वो तो सपना है। हालत ये कि लोग प्यास से बेहाल, धूप में झुलसते हुए बस का इंतजार कर रहे हैं। और अफसर साहब फाइलें पलट-पलटकर मीटिंगों में आश्वासन परोस रहे हैं।
🚍 BusStand Saharanpur: विधायक गुंबर पहुंचे तो उड़ी अफसरों की नींद
BusStand Saharanpur की ये दिक्कतें बीजेपी के नगर विधायक Rajeev Gumber को इतनी नागवार गुजरीं कि आश्वासन समिति की बैठक में ही उन्होंने अफसरों की क्लास ले डाली। बड़े-बड़े वादे हुए — “जी साहब, हो जाएगा, पानी आएगा, टॉयलेट चमकेगा।” लेकिन हफ्ते बीत गए, बस स्टैंड वहीं खड़ा — प्यासा और बदहाल!
गुंबर जी ने ठान लिया, वो खुद बस अड्डा देखने पहुंच गए। अफसरों को लाइन में खड़ा किया। डांट ऐसी कि सबकी पेशानी पर पसीना छलक गया — “जल्दी सुधरो, वरना जिले से बाहर जाओगे!” — यही गूंजा BusStand Saharanpur की फर्श से लेकर छत तक।
🚍 BusStand Saharanpur: जनता के गुस्से से भी डरे अधिकारी
BusStand Saharanpur की हालत देख मुसाफिर भी भड़के पड़े हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट हो रही हैं — “कहां का स्मार्ट बस अड्डा? यहां तो प्यासे मर जाओ!” लोगों ने ट्वीट कर डाला — #BusStandSaharanpur #NoWaterNoToilet। अब अफसरों की पेशी फिक्स है। विधायक गुंबर की चेतावनी खुले शब्दों में है — अगर जल्दी से पानी का नल, टॉयलेट की टंकी नहीं दिखी तो जिले से बाहर फाइल समेत निकलने का इंतजाम होगा।
🚍 BusStand Saharanpur: कब मिलेगा पानी, कौन देगा जवाब?
अब सवाल ये — BusStand Saharanpur पर पानी कब आएगा? क्या अफसर मीटिंगों से निकलकर जमीनी हकीकत देखेंगे? या प्यासा मुसाफिर आगे भी धरती चाटता रहेगा? मुसाफिर पूछ रहे हैं — “बस स्टैंड तो बहुत दूर, ये रोडवेज वाले अपना दिमाग कब साफ करेंगे?”
Rajeev Gumber का डंडा अब बस अड्डे के अफसरों की कुर्सियों तक पहुंच गया है। देखना होगा अगला ‘आश्वासन’ अब वाकई पानी बनकर नलों में बहेगा या फिर वही पुराना फाइल घिसाई वाला राग बजेगा।
🚍 BusStand Saharanpur: मुसाफिर पूछ रहा — कौन सुनेगा आवाज़?
अब BusStand Saharanpur पर हर मुसाफिर की एक ही गुहार है — “विधायक गुंबर जी ने तो गरज कर दिखा दिया, पर क्या अफसरों में सुधरने की ज़रा भी शर्म बाकी है?” बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक हर कोई बस यही पूछ रहा — “हमारी प्यास कब बुझेगी? टॉयलेट के लिए कब दर-दर भटकना बंद होगा?” सबकी नज़रें अब राजीव गुंबर पर टिक गई हैं — जिन्होंने रोडवेज के ढीठ तंत्र को ललकारा है। देखना है BusStand Saharanpur पर पानी की धारा पहले बहेगी या अफसरों का तबादला पहले होगा!

 
         
         
         
        