
Bulldozer Action in Sambhal ने बहजोई की सड़कों से धूल झाड़ दी!
Bulldozer Action in Sambhal – बहजोई की सरकारी जमीन पर बनी दुकानों और मंदिर पर चला प्रशासन का डोज़र, अतिक्रमणकारियों में मचा हड़कंप।
पांचवें दिन की कार्रवाई में प्रशासन ने सड़क के नाम पर दशकों पुरानी मार्केट को ध्वस्त कर दिया।
संभल से रामपाल सिंह की रिपोर्ट
Bulldozer Action in Sambhal – जी हां, ये वही संभल है जहां जनता अब हनुमान चालीसा कम और बुलडोजर की गरज ज़्यादा गुनगुनाती है। मंगलवार को बहजोई के इस्लामनगर चौराहे पर ‘बुलडोजर बाबा’ का साया कुछ इस अंदाज़ में मंडराया कि दुकानवालों की दुकानें तो गईं, साथ में हौसले भी ढह गए। बुलडोजर की सात घंटे की तानाशाही में जो बचा, वो केवल धूल, खून पसीना और “सरकार ज़िंदाबाद” की गूंजती गूंज थी – वो भी PAC की छांव में।
Bulldozer Action in Sambhal ने बहजोई की सड़कों से धूल झाड़ दी, लेकिन क्या ये ‘सफाई’ या ‘सियासी स्टंट’?
शहर की हड्डियों में धंसी पुरानी दुकानों को उखाड़ने का ये ऑपरेशन इतना रोमांचक रहा कि NH हाईवे ने भी सड़क से ज़्यादा सिनेमा जैसा महसूस करवाया। SDM साहब और E.O. ने मौके पर मोर्चा संभाला, और ‘Bulldozer Action ’ को पांचवे दिन की श्रद्धांजलि देते हुए, सीधे सरकारी अभिलेख निकालकर सुनाए – “यहां सड़क है, दुकान नहीं।” दुकानवालों ने भी बिना स्क्रिप्ट वाला ड्रामा दिया – “हम 40 साल से बैठे थे, अब क्या ज़मीन भी तुड़वाएंगे?”

Bulldozer Action in Sambhal: मंदिर हटाया, दुकानें उड़ाईं, प्रशासन ने जनता की आस्था को डोज़र से नापा!
शहर के बीचोबीच, जिस शनिदेव मंदिर में दशकों से हनुमान जी बजरंगी बनने का रोल निभा रहे थे, उसे भी हटाकर “शुद्धिकरण” की प्रक्रिया में डाल दिया गया। मूर्तियों को छैनी-हथौड़ी से निकाला गया जैसे वो टाइल्स हों – और बड़ी श्रद्धा से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर कर दिया गया। किसी को शर्म आई या नहीं, प्रशासन को तो बिलकुल नहीं। PAC और RRF की मौजूदगी में हर मूर्ति को VIP एस्कॉर्ट दिया गया – मानो चुनावी प्रचार से लौट रही हो।

अब जनता पूछ रही है – “क्या बुलडोजर चलाना ही विकास है?” लेकिन जवाब में फिर वही आदेश की पंक्तियाँ: “मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार…”
कितना आसान हो गया है हर ज़ुल्म को आदेशों की चादर से ढक देना।
वो दुकानदार जो सुबह तक चाय बेच रहे थे, अब सोशल मीडिया पर लाइव रोते हुए ट्रेंड कर रहे हैं। एक का कहना था – “मंदिर हटा दिया, दुकान उड़ा दी, अब हमारे पेट पर कौन हाथ रखेगा?”
प्रशासन ने इसका जवाब RRF की तैनाती से दिया – “जो बोलोगे, पकड़ लिए जाओगे।”

संभल में बुलडोजर एक्शन: पांच दिन की ध्वस्तीकरण सैर

Bulldozer Action in Sambhal में इस बार नया ट्विस्ट ये रहा कि आस्था और व्यापार – दोनों को एक ही डोज़र से बराबरी में कुचला गया। मंदिर हो या मार्केट, जब सरकारी रिकॉर्ड में “सड़क” लिखा हो, तो इमारतों की औकात झोपड़ी से भी बदतर हो जाती है।
पांचवें दिन की इस ‘महाएक्शन गाथा’ ने इतना जरूर बता दिया है कि बहजोई अब सिर्फ नक्शे में नहीं, बुलडोजर के GPS में भी दर्ज हो चुका है। यहां अब दुकान खोलने से पहले रजिस्ट्री नहीं, राजस्व अभिलेख देखने की सलाह दी जा रही है।

विकास का बुलडोजर या विवादों का मीटर? आंकड़े क्या कहते हैं
दोस्तों, ये मत सोचिए कि ये सिर्फ संभल का सीन है। यह तो पूरे उत्तर प्रदेश में चल रही ‘विकास’ नामक फिल्म का एक धमाकेदार ट्रेलर है। यह Sambhal Bulldozer अभियान उसी बड़ी पटकथा का हिस्सा है, जो प्रदेश के कई शहरों में दोहराई जा रही है। जरा आंकड़ों और हालिया घटनाओं पर गौर फरमाइए:
मथुरा: यहाँ बांके बिहारी कॉरिडोर के नाम पर लगभग 300 दुकानों और घरों को हटाने का प्रस्ताव है, जिसका भारी विरोध हो रहा है।वाराणसी और अयोध्या: यहाँ भी विकास और सौंदर्यीकरण के नाम पर बड़े पैमाने पर निर्माण हटाए गए हैं, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए।
उत्तराखंड (पड़ोसी राज्य): हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया था, जहाँ हजारों परिवारों के विरोध ने राष्ट्रव्यापी ध्यान खींचा था।
ये आंकड़े बताते हैं कि ‘विकास’ और ‘अतिक्रमण’ के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ सड़कों और बाजारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों की रोजी-रोटी, विरासत और कभी-कभी आस्था से भी सीधे टकरा रही है। हर बुलडोजर एक्शन के साथ एक नया विवाद जन्म ले रहा है।

सोशल मीडिया पर ‘ज्ञान’ और SDM का ‘शासन-प्रशासन’: Sambhal Bulldozer पर किसकी सुनें?
जैसे ही Sambhal Bulldozer की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जनता-जनार्दन ने भी कमेंट सेक्शन में अपनी-अपनी प्रतिक्रियाओं की बौछार कर दी। कुछ लोग इसे ‘योगी का सुशासन’ बता रहे हैं, तो कुछ प्रशासन पर ही सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। एक यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा, “गजब है! एक तरफ संभल में प्रशासन नए तीर्थों की खोज कर रहा है और दूसरी तरफ पुराने धार्मिक स्थलों को नष्ट कर रहा है।”
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