 
                                                      
                                                Bulandshahr Waterlogging Crisis
Bulandshahr Waterlogging Crisis: विकास के पोस्टर में दलदल की हकीकत
22 जून 2025। Bulandshahr Waterlogging Crisis – बुलंदशहर का गुलावठी क्षेत्र का छपरावत गांव , जहां स्कूल की घंटी अब पानी में डूब चुकी है और विकास की योजनाएं सिर्फ सरकारी कागजों में तैर रही हैं। गांव में जलभराव इस कदर हावी है कि न बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं, न बुजुर्ग मंदिर। कारण—तालाब की वो ज़मीन, जिसे पहले तालाब कहा जाता था, अब कुछ खास लोगों की जागीर बन चुकी है।
छपरावत में शिक्षा नहीं, सिर्फ कीचड़ बह रहा है
तालाब गाटा संख्या-112स, रकवा 0.3540 हेक्टेयर—कागज़ों में ये सार्वजनिक संपत्ति है, लेकिन ज़मीन पर यह कुछ ‘जनसेवकों’ और ‘पड़ोसी रईसों’ की निजी वसीयत बन चुकी है। अतिक्रमण इतना कि तालाब अब गांव के स्कूल में घुस आया है। बच्चे जलभराव से डरकर घर में बैठे हैं, कई ने स्कूल छोड़ दिया। अध्यापक भी थककर चुप हो गए हैं, क्योंकि उनके शिकायती पत्र भी दलदल में बह चुके हैं।

Bulandshahr Waterlogging Crisis: अब सिर्फ बीमारी की दुआ बची है
तालाब पर अवैध कब्ज़ा, उसकी सफाई बंद, और अब उसमें गंदगी का साम्राज्य है। मच्छर, बदबू और पानी की सड़ांध अब गांव की पहचान बन चुकी है। प्रशासन जुर्माना लगाता है, मगर ना कब्ज़ा हटता है, ना गंदगी। आखिर कब्जाधारी इतने ‘पवित्र’ कैसे हैं, जिन्हें कानून का डर ही नहीं लगता?

प्रशासन ने हाथ झाड़े, नेता ने आंखें मूंदी
गांववालों ने तमाम अधिकारियों को शिकायत दी। विधायक को ट्वीट किया, सांसद को वाट्सएप भेजा, मगर नतीजा? जीरो! क्या यही है प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत, मुख्यमंत्री का सुदृढ़ उत्तर प्रदेश और सांसदों का जन सेवा संकल्प?
छपरावत बना विकास विरोधी पोस्टर चिपकाने की जगह
तालाब पर कब्जा, स्कूल में जलभराव, बच्चों की पढ़ाई चौपट, बीमारी फैलने का खतरा और शासन की चुप्पी—अगर यही विकास है, तो गांव वाले इस ‘विकास’ से छुटकारा चाहते हैं। क्या अब छपरावत को भी किसी रैली या रोड शो की ज़रूरत है ताकि प्रशासन जागे?
Bulandshahr Waterlogging Crisis: सवालों का कीचड़ सरकार के दरवाज़े तक

क्या छपरावत के बच्चे तभी स्कूल जा पाएंगे जब कोई मंत्री हेलिकॉप्टर से उतरेंगे?
क्या शिक्षा, सफाई और जीवन की प्राथमिकताएं सिर्फ़ चुनावी वादे हैं?
क्या बुलंदशहर जैसे जिले में ‘विकास’ सिर्फ टीवी डिबेट्स और इश्तहारों तक सीमित रहेगा?
छपरावत की यह हालत पूरे प्रदेश की लचर ग्रामीण विकास नीति की पोल खोल रही है। गांव अब सरकार से नहीं, ठाकुर जी से दुआ मांग रहा है कि या तो बारिश बंद हो जाए या ये विकास का तमाशा।
लोकेशन-बुलंदशहर
✍संवाददाता-सुरेंद्र सिंह भाटी

 
         
         
         
        