
Bulandshahr Road Accident-डिवाइडर से टकराई कार, पांच की जलकर मौत
Bulandshahr Road Accident ने 18 जून 2025 की सुबह एक परिवार की खुशियों को छीन लिया। बदायूं से शादी समारोह से दिल्ली लौट रही स्विफ्ट कार जहांगीराबाद के जानीपुर-चंदौस तिराहे पर पुलिया से टकराकर खाई में गिरी, और सड़क हादसा बुलंदशहर में आग का गोला बन गई।हादसे में कार में बैठे 6 में से 5 लोगों की जलकर मौत हो गई।
Bulandshahr Road Accident:जलती कार, बुझती ज़िंदगियां
18 जून 2025 की सुबह बुलंदशहर में उस वक्त मातम छा गया, जब एक परिवार की हंसी-खुशी आग की लपटों में जलकर राख हो गई। बुलंदशहर सड़क हादसा ने एक ही झटके में पांच जिंदगियों को छीन लिया। बदायूं के सहसवान से शादी समारोह में शामिल होकर दिल्ली लौट रहा परिवार उस भयावह पल से अनजान था, जब उनकी तेज रफ्तार स्विफ्ट कार जानीपुर-चंदौस तिराहे के पास एक पुलिया से टकराकर पांच फीट नीचे खाई में जा गिरी। पलक झपकते ही कार आग का गोला बन गई, और उसमें सवार छह में से पांच लोग जिंदा जल गए।
जुबैर, उनकी पत्नी निदा, उनका दो साल का मासूम बेटा जैनुल, निदा का भाई तनवीज और उनकी पत्नी मोमिना—ये वो नाम हैं जिन्हें अब सिर्फ आंसुओं में याद किया जाएगा। कार में सवार एकमात्र जीवित बची 28 वर्षीय गुलनाज की चीखें आज भी जानीपुर गांव की हवा में गूंज रही हैं। हादसे की भयावहता ऐसी थी कि स्थानीय लोगों ने खिड़की तोड़कर गुलनाज को बाहर निकाला, लेकिन आग की लपटों ने बाकियों को बचाने की हर कोशिश को नाकाम कर दिया। यह बुलंदशहर सड़क हादसा दिल दहलाने वाला है, जो सड़क सुरक्षा की कमियों को उजागर करता है।
बुलंदशहर सड़क हादसा: एक मंजर जो भूलता नहीं
बताया जा रहा है कि, सुबह करीब 5:30 बजे, जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के जानीपुर-चंदौस तिराहे पर यह हादसा हुआ। पुलिस के मुताबिक, ड्राइवर को झपकी आने से कार अनियंत्रित होकर पुलिया से टकराई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार पलटकर खाई में जा गिरी, और तुरंत आग भड़क उठी। स्थानीय लोगों ने बताया कि आग इतनी तेज थी कि कुछ ही मिनटों में पूरी कार राख हो गई। फायर ब्रिगेड और पुलिस ने पहुंचकर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक पांच जिंदगियां खत्म हो चुकी थीं। गुलनाज को गंभीर हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया, जहां वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
गांव वालों की आंखों के सामने यह मंजर किसी बुरे सपने से कम नहीं था। एक चश्मदीद ने बताया, “हमने शीशा तोड़कर गुलनाज को निकाला, लेकिन बाकी लोग… हम कुछ नहीं कर सके। आग ने सब कुछ निगल लिया।” इस हादसे ने न सिर्फ परिवार को, बल्कि पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। मृतकों के शव इतने जल चुके थे कि उनकी पहचान के लिए डीएनए जांच की जरूरत पड़ रही है।
सड़क हादसों के आंकड़े: एक चेतावनी
भारत में सड़क हादसे एक राष्ट्रीय आपदा बन चुके हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। उत्तर प्रदेश में यह संख्या सबसे ज्यादा है, जहां 2022 में 22,595 मौतें दर्ज की गईं। बुलंदशहर में ही इस साल कई बड़े हादसे हो चुके हैं, जैसे मई 2025 में सिकंदराबाद में ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकराकर तीन लोगों की मौत और मई में ही रौंडा गांव के पास ट्रक-डीसीएम हादसे में तीन लोगों की जान चली गई थी।
गाड़ियों में आग लगने की घटनाएं भी कम नहीं हैं। 2024-25 में भारत में दर्जनों हादसों में वाहन आग का गोला बने। उदाहरण के लिए, जुलाई 2024 में बुलंदशहर के ककरई गांव में सीएनजी वैन में आग लगने से नौ लोग झुलस गए। मई 2025 में छत्तीसगढ़ के रायपुर-बलौदाबाजार मार्ग पर इको कार में आग लगने से ड्राइवर की मौत हो गई। ऐसे हादसों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि खराब सड़कें, तकनीकी खामियां और मानवीय भूलें मिलकर मौत का तांडव रच रही हैं।
Bulandshahr Road Accident: ऐसे क्यों होते हैं हादसे?
बुलंदशहर सड़क हादसा जैसे मामले बार-बार सवाल उठाते हैं कि आखिर ऐसी त्रासदियां क्यों होती हैं? विशेषज्ञों के अनुसार, इसके कई कारण हैं:
ड्राइवर की लापरवाही: इस हादसे में ड्राइवर को नींद की झपकी आना मुख्य कारण रहा। रातभर ड्राइविंग या थकान के कारण ऐसी घटनाएं आम हैं।
सड़क सुरक्षा की कमी: जानीपुर-चंदौस मार्ग पर न तो स्पीड ब्रेकर थे, न ही चेतावनी बोर्ड। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सड़क पर पहले भी कई हादसे हो चुके हैं।
वाहनों की तकनीकी खामियां: कार में आग लगने का सटीक कारण जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन ईंधन रिसाव, शॉर्ट सर्किट या सीएनजी सिलेंडर की खराबी ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती है।
प्रशासनिक ढिलाई: सड़क सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन न होना और खराब सड़कों का रखरखाव न होना हादसों को न्योता देता है।
सड़क सुरक्षा की पुकार
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि हमारी सड़क सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस सड़क पर स्पीड ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड लगाने की मांग की है। सरकार को चाहिए कि सड़क सुरक्षा नियमों को और सख्त करे, ड्राइवरों को जागरूक करे और सड़कों की स्थिति सुधारे।
गुलनाज की आंखों में अब सिर्फ आंसू और सवाल बाकी हैं। वह उस परिवार को याद करती है जो कुछ घंटे पहले हंसी-मजाक में डूबा था। बुलंदशहर सड़क हादसा हमें याद दिलाता है कि जिंदगी अनमोल है, और इसे बचाने के लिए हमें अभी से कदम उठाने होंगे। क्या हम एक और त्रासदी का इंतजार करेंगे, या अब सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लेंगे?