 
                  Bulandshahr Rain Collapse: बुलंदशहर के बुगरासी में मूसलाधार बारिश ने पुराना मकान गिरा दिया, गनीमत रही कि कोई घायल नहीं हुआ। अफसर मौके पर पहुंचे पर हादसों को रोकने की कोई ठोस तैयारी अब भी नदारद।
🌧️ बारिश आई, दीवार गिरी — अफसरों की नींद नहीं टूटी!
जनपद बुलंदशहर में सुबह से हो रही मूसलाधार बारिश ने एक पुराना मकान जमींदोज कर दिया। राहत की बात यही रही कि अंदर कोई नहीं था, वरना मलबे में दब कर कोई परिवार हमेशा के लिए खामोश हो जाता — और हमारे अफसर साहब अगली मीटिंग में ‘आपदा राहत’ का बिंदु जोड़ कर अपनी कुर्सी चमका लेते।
बुगरासी चौकी में हादसा — प्रशासन अब भी ‘देख रहा है’ Bulandshahr Rain Collapse
स्याना कोतवाली के बुगरासी चौकी क्षेत्र में ये हादसा हुआ। मकान की हालत बारिश से पहले ही ऐसी थी कि एक छींक से भी दरक जाता, ऊपर से बारिश ने सीधा ‘किलर पंच’ मार दिया।

स्थानीय लोग हादसे की आवाज सुनकर दौड़े — क्योंकि प्रशासन तो सूचना मिलने पर ही दौड़ता है। सौभाग्य से अंदर कोई नहीं था, वरना दफ्तर में ‘मुआवज़ा फाइल’ तैयार होने में देर नहीं लगती।
🧱 पुराने मकानों पर आफत — अफसरों के लिए बोनस! Bulandshahr Rain Collapse
हादसे के बाद इलाका सहम गया है। लोग कह रहे हैं — साहब, बारिश में बाकी मकान भी कहीं भरभराकर ना गिर जाएं। लेकिन सरकारी बाबूओं के लिए तो ये मौसम बोनस जैसा है — हादसा होगा, दौरा होगा, मीडिया बाइट होगी — और काम चल निकलेगा। राहत का पैसा भी ‘राहत’ की तरह ही हजम होता रहेगा।
SDM-CO का ‘रूटीन’ दौरा — मकान गिरा, बयान गिरा

कोई रिस्क तो नहीं था लेकिन पुरानी दीवारों के बीच बयान ज़रूर रिस रहा था — ‘जांच होगी’, ‘कार्यवाही होगी’, ‘सूचना भेजी जा रही है’। जनता को इतना भर भरोसा कि अगली बारिश तक फिर कोई दीवार न ढह जाए।
“बारिश से कमजोर दीवारें, अफसरों से कमजोर जिम्मेदारियां”
अब सवाल ये है कि ये पुराना मकान गिरा कैसे? जवाब सीधा है — बारिश की वजह से दीवारें कमजोर थीं, लेकिन अफसरों की ज़िम्मेदारी उससे भी ज्यादा कमजोर पड़ी थी। सालों से जर्जर मकानों का रिकॉर्ड कागजों में है, लेकिन दफ्तरों में फाइलों के वजन से ही दीवारें मजबूत होती हैं — गरीब की छत कब गिर जाए, इससे किसी को क्या लेना!
अब भी वक़्त है — वरना बारिश फिर हिसाब बराबर करेगी! Bulandshahr Rain Collapse

सीएम योगी आदित्यनाथ जी ने गरीबों की छत बचाने के लिए बजट दिया, योजना दी, अफसरों को चौकसी का आदेश दिया। लेकिन क्या करें, कुछ अफसर अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं। जनता उम्मीद कर रही है कि योगी जी की छवि पर ये ‘गिरती दीवारें’ दाग न लगा दें — वरना बारिश अगले साल फिर आएगी, मकान फिर गिरेंगे — और अफसर फिर बयान गिराएंगे!

 
         
         
         
        