Bulandshahr Flag March: कावड़ यात्रा, मोहर्रम पर SSP का डंडा अलर्ट
त्योहारों से पहले SSP साहब निकले सड़कों पर, जैसे शहर नहीं, बॉर्डर हो!
कावड़ और मोहर्रम आने से पहले बुलंदशहर के खुर्जा में पुलिस Flag March पर निकली — लेकिन अंदाज़ ऐसा था जैसे पाकिस्तान से हड़ताल की धमकी आई हो! SSP दिनेश कुमार सिंह, CO, कोतवाल, PAC, पुलिस, फोर्स, गाड़ी, बूट, बंदूकें — सब लेकर निकल पड़े जैसे पूछना हो: “भाईचारा दिखाओ या बेल्ट दिखाएं?”
Flag March के नाम पर ‘साम्प्रदायिक सहमति’ की जगह ‘सरकारी सख्ती’ का टूर!
लोगों को लगा था कि भाईचारे की अपील होगी, भरोसे की बात होगी… लेकिन जो दिखा, वो था एकदम पुलिसिया व्यवस्था। दुकान वालों ने शटर खटखटाए, बच्चों ने गलियों में मोबाइल छिपाए, बुजुर्ग बोले—“इस बार तो फ्लैग मार्च में भी डर लग रहा है बेटा।”
एसएसपी साहब की अपील या चेतावनी?

दिनेश कुमार सिंह बोले—“त्योहार मनाओ, पर कानून मत तोड़ो।”
मतलब साफ़ है—अगर बम के साथ ‘बम-बम भोले’ निकले या ताजिये के साथ ‘तेज़ नारे’ उठे, तो सीधा चालान नहीं, चालान के साथ चाल-चलन सुधार केंद्र मिलेगा!
सोशल मीडिया वालों की शामत तय!
फेसबुक पर स्टेटस लिखा “जय भोले”—तो सवाल होगा: कितना डेसिबल था?
व्हाट्सएप पर “या हुसैन” फॉरवर्ड किया—तो पूछताछ होगी: GIF भेजा या गड़बड़ इरादा था?
SSP ने साफ किया — माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, तो इंटरनेट नहीं, इंटरोगेशन रूम में बैठना होगा!
Flag Marchका असली संदेश – “बूटों की आहट सुन लो, भाईचारा मत भूलो!”
पुलिस की भारी मौजूदगी बता रही थी कि सरकार को जनता पर नहीं, जनता के संयम पर भरोसा है।
वरना हर त्योहार से पहले बूट लेकर गलियों में उतरने की नौबत क्यों आती?
सवाल तो जनता का भी है, साहब! Flag March
फ्लैग मार्च से पहले क्या मोहल्ले के CCTV काम कर रहे हैं?
क्या थाने में हफ्ता-हफ्ता घूमते केस में भी इतनी मुस्तैदी दिखती?
क्यों हर बार भीड़ के बाद पुलिस फाइलों में CCTV फुटेज खोजती रह जाती है — पहले से चालू क्यों नहीं रहता?
🚨 पुलिस की टोली निकली है… भरोसे का जनाज़ा कंधे पर!
कहने को तो SSP साहब का काफिला सायरन बजाते घूम रहा है — लेकिन मोहल्ले में बैठे लोग जानते हैं कि असली सुरक्षा तो वही है जो खुद करनी पड़े!
फ्लैग मार्च कर लो, हज़ार दारोगा उतार लो — जब तक थाने के अंदर की ‘सेटिंग-बैठक’ नहीं टूटेगी, कोई कावड़िया निश्चिन्त नहीं, कोई ताजियादार बेख़ौफ़ नहीं।
सबको पता है — जुलूस निकल जाए, तो अगले दिन CCTV भी अंधा हो जाएगा, FIR भी गूंगी।
कानून का तमाशा, लाठी की नुमाइश! Flag March
हर साल यही ड्रामा — मोहर्रम आए तो अपील, कांवड़ निकले तो अपील, दंगा भड़के तो शांति की अपील!
सवाल ये है SSP साहब — अपीलें जनता से ही क्यों?
आपके थाने के दरोगा से क्यों नहीं?
