Bulandshahr News: ससुराल में अत्याचार की हद पार, स्वाती ने लगाई न्याय की गुहार !
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बुलंदशहर (Bulandshahr) की स्वाती गुप्ता की दर्दनाक कहानी समाज और प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े करती है. अनाथ स्वाती को ससुराल वालों ने शादी के तीन साल बाद यातनाएं देकर घर से निकाल दिया. अब वो अपने हक और इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही हैं, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता उनके जख्मों पर नमक छिड़क रही है.
शादी के बाद शुरू हुआ दुखों का सिलसिला
2021 में स्वाती गुप्ता की शादी फर्रुखाबाद के सजल गुप्ता से हुई थी. स्वाती के माता-पिता का पहले ही देहांत हो चुका है. शादी के शुरुआती दिन ठीक रहे, लेकिन जल्द ही ससुराल वालों का असली चेहरा सामने आ गया. स्वाती का आरोप है कि ससुराल वालों ने उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं दीं. तीन साल तक अत्याचार सहने के बाद उन्हें घर से बेघर कर दिया गया. इस उत्पीड़न का असर इतना गहरा था कि स्वाती की नातिन के दुख से उनके नाना की भी मृत्यु हो गई.

पुलिस की निष्क्रियता ने बढ़ाया दर्द
स्वाती ने ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की, लेकिन अब तक उनके पति सजल गुप्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया. पुलिस की इस उदासीनता से स्वाती का इंसाफ का इंतजार और लंबा हो गया है. वो कहती हैं, “मैं अनाथ हूं, मेरा कोई सहारा नहीं. ससुराल वालों ने मुझे बर्बाद कर दिया, और अब पुलिस भी मेरी मदद नहीं कर रही.”

महिला आयोग से लगाई गुहार
न्याय की उम्मीद में स्वाती ने उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष से मुलाकात की और अपना दर्द बयां किया. उन्होंने ससुराल वालों के अत्याचार और पुलिस की निष्क्रियता की पूरी कहानी सुनाई. महिला आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन स्वाती के लिए अभी भी इंसाफ की राह आसान नहीं दिख रही.

अनाथ बेटी की पुकार
स्वाती की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन तमाम औरतों की है जो ससुराल में अत्याचार सहती हैं और समाज व प्रशासन की उदासीनता का शिकार बनती हैं. स्वाती का कहना है, “मेरे पास न परिवार है, न कोई सहारा. मैं सिर्फ इंसाफ चाहती हूं.” उनकी ये पुकार प्रशासन और समाज के लिए एक चुनौती है कि क्या एक अनाथ बेटी को उसका हक मिलेगा?
जरूरी है सख्त कार्रवाई
स्वाती के मामले में पुलिस की निष्क्रियता गंभीर सवाल उठाती है. प्रशासन को चाहिए कि तत्काल इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि कोई और स्वाती इस तरह की यातनाएं न सहे. महिला आयोग और पुलिस को मिलकर ये सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित महिलाओं को समय पर न्याय मिले.
आखिर कब मिलेगा न्याय ?
स्वाती गुप्ता का दर्द समाज के उस चेहरे को उजागर करता है, जहां अनाथ और बेसहारा महिलाएं अत्याचार की शिकार बनती हैं. ये सिर्फ स्वाती की लड़ाई नहीं, बल्कि हर उस महिला की लड़ाई है, जो इंसाफ के लिए संघर्ष कर रही है. प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसी घटनाओं पर लगाम लगानी होगी, ताकि हर बेटी को सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का हक मिले. क्या स्वाती को इंसाफ मिलेगा? ये सवाल अभी भी बरकरार है .
