Bulandshahr के डुग्गू को गंभीर बीमारी, पैरों पर भी नहीं हो सकता खड़ा !
Bulandshahr News Update
Bulandshahr: बुलंदशहर के स्याना कस्बे का एक मासूम बच्चा डुग्गु गौतम, CM Yogi और PM Modi से मदद की गुहार लगा रहा है. दरअसल करीब 3 साल 10 महीने के डुग्गू की हालत एक नवजात की तरह हैं , वो एक ऐसी दुर्लभ और खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है, जिसे सुनकर हर किसी का दिल कांप उठता है. डुग्गु को ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा टाइप-बी (Osteogenesis Imperfecta Type B) नामक बीमारी है, जिसमें बच्चे की हड्डियां सामान्य रूप से विकसित नहीं होतीं. इस बीमारी के कारण उसकी हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि वो न तो बैठ सकता है, न खड़ा हो सकता है, और न ही सामान्य गतिविधियां कर सकता है. डुग्गु की हालत ऐसी है कि वो अपने शरीर को संभालने में पूरी तरह असमर्थ है, लेकिन उसका दिमाग तेज है. वो सवालों को समझकर सटीक जवाब देता है और उसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और महिलाओं की शिक्षा की मशाल जलाने वाली सावित्रीबाई फुले जैसे महान व्यक्तियों के नाम बखूबी याद हैं. डुग्गु का सपना है कि वो अपने पैरों पर खड़ा होकर समाज की सेवा करे. डुग्गू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री मोदी से इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है, ताकि वो अपने सपनों को सच कर सके. डुग्गू के इलाज के लिए करीब 17 करोड़ रुपए की ज़रुरत पड़ेगी.

ऑटो ड्राइवर कैसे जुटाए 17 करोड़ ?
डुग्गु का परिवार स्याना कस्बे में बेहद तंगहाल जिंदगी जीता है. उसके पिता आकाश गौतम एक ऑटो रिक्शा चालक हैं, जो रोजाना 500 से 600 रुपये की मजदूरी कमाते हैं. डुग्गु की बीमारी के इलाज के चक्कर में परिवार कर्ज के बोझ तले दब चुका है. आकाश बताते हैं कि पहले उनके पास खुद का ऑटो था, लेकिन बेटे के इलाज के लिए उसे बेचना पड़ा. अब वो किराए का ऑटो चलाकर परिवार का खर्च चलाते हैं. डुग्गु के माता-पिता दोनों अशिक्षित हैं, जिसके कारण उन्हें इस दुर्लभ बीमारी की सही जानकारी नहीं मिल पाई. कई डॉक्टरों और लोगों से मिलने के बाद भी उन्हें कोई ठोस इलाज नहीं सुझाया गया. कुछ लोगों ने बताया कि डुग्गु का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए करोड़ों रुपये की जरूरत है. प्रधानमंत्री आवास योजना के एक कमरे के मकान में रहने वाला ये परिवार इतना बड़ा खर्च कैसे उठा सकता है?

डुग्गू की 2 घंटे बाद सांस लौटी
डुग्गु के जन्म की कहानी भी उतनी ही दुखद है. आकाश बताते हैं कि जब डुग्गु पैदा हुआ, तो उसमें सांस नहीं थी. करीब दो घंटे तक ऑक्सीजन पर रखने के बाद उसकी सांसें लौटीं, और परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. डुग्गु सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा रोता था. तीन दिन बाद उसके शरीर पर चोट के निशान दिखाई देने लगे. डेढ़ साल की उम्र तक वो बोलने तो लगा, लेकिन न बैठ पाता था और न ही खड़ा हो पाता था. आज तक उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. वो बिस्तर पर ही पड़ा रहता है, और उसकी नाजुक हड्डियां उसे सामान्य जीवन जीने से रोकती हैं.

डुग्गू की ज़िंदादिली हैरान करती है !
डुग्गु की मासूमियत और जिंदादिली देखकर हर कोई हैरान है. वो स्कूल नहीं जा पाता, लेकिन उसका मन पढ़ने-लिखने और बड़े सपने देखने में रमता है. वो कहता है कि अगर उसका इलाज हो जाए, तो वो बड़ा होकर समाज के लिए कुछ करना चाहता है. ये नन्हा बच्चा अपनी बीमारी के बावजूद हिम्मत नहीं हारता, और उसकी ये जिजीविषा समाज के लिए प्रेरणा है.

डुग्गू की पुकार, मदद करो सरकार !
डुग्गु की कहानी न केवल दिल को छूने वाली है, बल्कि समाज और सरकार के सामने एक बड़ा सवाल भी खड़ा करती है. क्या इस मासूम को अपने सपने पूरे करने का हक नहीं? क्या उसकी जिंदगी को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए? डुग्गु और उसके जैसे बच्चों को समाज और सरकार से मदद की जरूरत है. इस परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ये जरूरी है कि लोग और सरकार मिलकर इस बच्चे को नया जीवन देने के लिए आगे आएं. डुग्गु की गुहार है कि उसे अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिले, ताकि वो अपने सपनों को हकीकत में बदल सके.
