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Bulandshahr Mami Bhanja Love की ये कहानी रिश्तों की दीवारों पर मोहब्बत की चिट्ठी लिखती है, लेकिन समाज की स्याही इतनी काली है कि दोनों को ज़हर पीकर इश्क़ का इम्तिहान देना पड़ा।
संवाददाता-सुरेंद्र सिंह भाटी
Bulandshahr Mami Bhanja Love-जब इश्क़ ने रिश्ते की रस्सी तोड़ी
23 जून 2025। “इश्क़ की कोई उम्र नहीं होती” – ये लाइन फिल्मों में सुनकर दिल बहलाने वाली लगती है। लेकिन जब वही इश्क़ समाज के बनाए रिश्तों की सीमाओं को तोड़ता है, तो मोहब्बत की ये मीठी बात ज़हर पीने तक पहुंच जाती है। और इस बार ये ज़हर छलका है बुलंदशहर की ज़मीन पर, जहां मामी-भांजे की मोहब्बत ने रिश्तों की लाज को गले से उतार फेंका।
बुलंदशहर – वो जिला जो कभी गन्ने, घी और गौरव की वजह से जाना जाता था, अब यहां की पहचान रिश्तों के विद्रोह से बनती जा रही है । थाने की चौखट पर इस बार जो मामला पहुंचा, उसने पुलिस वालों को भी सांस रोकने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली की एक मामी और बुलंदशहर के युवक यानी भांजे ने प्यार में ऐसा छलांग मारा कि ज़िंदगी और मौत की रेखा तक पहुंच गए।
जी हां, दिल्ली की महिला – उम्र लगभग 34 साल, और बुलंदशहर के 22 वर्षीय युवक में पिछले कुछ महीनों से इश्क़ का गुलाब पनप रहा था। लेकिन समाज की ज़बानें लम्बी होती हैं और सोच छोटी। घरवालों की घूरती निगाहें, समाज का ‘ये क्या रिश्ता है’ वाला सवाल, और रिश्तेदारी की मीन-मेख – इन सबने इस प्रेम कहानी को दी एक खौफनाक मोड़।
Bulandshahr Mami Bhanja Love-होटल बना मोहब्बत का आखिरी ठिकाना
बुलंदशहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में एक होटल में दोनों ने एक साथ ज़हर खा लिया। होटल वाले ने जब कमरे से आवाज़ें नहीं आईं, तो शक हुआ। दरवाजा खुलवाया गया तो ज़िंदगी बेसुध पड़ी थी और मोहब्बत मौत के करीब। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों को फौरन अस्पताल भिजवाया, जहां अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस कह रही है – “जांच कर रहे हैं”, समाज कह रहा है – “हाय राम!”
पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है, पूछताछ जारी है। मामी का बयान – “हम दोनों बालिग़ हैं, लेकिन समाज के डर से हमें ये करना पड़ा।” उधर भांजा भी आंखों में आँसू लिए वही रट लगाए – “प्यार किया तो डरना क्या?” लेकिन समाज अभी भी डराता है, क्योंकि मामी को मामी ही रहना चाहिए और भांजा बस भांजा!
Bulandshahr Mami Bhanja Love-समाज की अदालत और रिश्तों का चीरहरण
ये घटना सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, ये एक सामाजिक तमाचा है उस सोच पर जो हर रिश्ते को बस एक फ्रेम में देखती है। मामी-भांजा का रिश्ता जब तक राखी और पूजा में था, तब तक समाज को प्यारा लगता था। लेकिन जैसे ही उसमें प्यार घुसा, लोग बिदक गए। सवाल ये नहीं है कि ये रिश्ता ठीक है या ग़लत – सवाल ये है कि क्या किसी की निजी भावना को समाज का ठप्पा तय करेगा?
मोहब्बत या मानसिक दबाव – कौन है गुनहगार?
बुलंदशहर की इस कहानी में मोहब्बत है, विद्रोह है, और समाज की उस सड़ी हुई सोच का पर्दाफाश है, जिसमें प्यार को रिश्तों की कोठरी में बंद कर दिया जाता है। दिल्ली से आई मामी और बुलंदशहर के भांजे की ये जोड़ी शायद समाज के हिसाब से ‘अस्वीकृत प्रेम’ की मिसाल बन गई है, लेकिन इनका ज़हर पीने का फैसला एक आईना भी है – जो दिखाता है कि हम 2025 में भी रिश्तों को लेकर कितने पिछड़े हुए हैं।
शुक्र है कि दोनों की जान बच गई। लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि प्यार बचा या नहीं? क्योंकि अब उनके आगे अस्पताल की छुट्टी के बाद फिर से वही समाज खड़ा है – सवालों की चिलचिलाती धूप लिए, रिश्तों की दरारों में झांकता हुआ। और ये मोहब्बत? ये अब अदालतों की फ़ाइल में दर्ज होगी या सोशल मीडिया की पोस्टों में मज़ाक बनेगी – ये वक्त बताएगा।

 
         
         
         
        