 
                                                      
                                                Bulandshahr DM Road पर Viral Video
बुलंदशहर की सड़कें: भ्रष्टाचार का ‘काला तेल’ और टूटी उम्मीदें
Bulandshahr DM Road इस वक़्त इंटरनेट पर उतना ही वायरल है जितना लोकसभा चुनाव में भाषण। फर्क सिर्फ इतना है — वहां जुमले बिछते हैं, यहां ‘काला तेल’।
संवाददाता-सुरेंद्र भाटी
लोकेशन-बुलंदशहर
23 जून 2025।Bulandshahr DM Road– आवास विकास फर्स्ट के शिवम लॉज से पुलिस चौकी तक बनाई जा रही सड़क का एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर हो रहा है।
वीडियो में एक लोकल नागरिक खुद कैमरा घुमा-घुमाकर दिखा रहा है कि कैसे रोड की जगह “कच्ची शर्म” बिछाई जा रही है।
अब जनता पूछ रही है –
ये सड़क है या किसी नाले की सीलन?
ये निर्माण है या बजट का अंतिम संस्कार?
Black Oil used instead of tar:
घोटाला खुलकर सामने तब आया जब viral video में सड़क की परत उँगली से उखड़ती दिखी। लोगों ने सड़क की सतह खुरचकर दिखाया कि तारकोल तो गायब है, सिर्फ तेल की परत बिछी है।
यह कोई रैंडम ठेकेदारी नहीं, बल्कि DM रोड है — यानी वो सड़क जो शहर की साख और प्रशासन की छवि से जुड़ी होती है। लेकिन छवि तो कब की पिघल चुकी है, ठीक उसी तरह जैसे ये काला तेल धूप में पिघल रहा है।
Viral Road Video में दिखे सवाल:
किस इंजीनियर ने साइन किया BOQ?
किस अफसर ने उठाई निगरानी की जिम्मेदारी?
ठेकेदार का नाम क्यों छिपाया जा रहा है?
Black oil की खरीद कहाँ से हुई?
अगर ये सड़क किसी मंत्री के घर की ओर जाती, तो शायद ये काला तेल उनके बालों पर इस्तेमाल होता, रोड पर नहीं।
बुलंदशहर के DM रोड पर जो हो रहा है वो सिर्फ घटिया निर्माण नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम का असली एक्सरे है।
जहां सड़क के नाम पर घोटाले बिछाए जा रहे हैं और जहां एक वायरल वीडियो ही अब न्याय की आखिरी उम्मीद है।
कहावत थी – “जहां चाह वहां राह।”
बुलंदशहर में अपडेट है – “जहां टेंडर, वहीं घोटाला।”
Bulandshahr DM Road-भ्रष्टाचार की सड़क: आंकड़े चीख रहे हैं
यह कोई नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायतें हर साल आसमान छूती हैं। 2024 में लोक निर्माण विभाग (PWD) को प्रदेश भर से 12,000 से ज़्यादा शिकायतें मिलीं, जिनमें से 4,800 अकेले सड़कों की गुणवत्ता से जुड़ी थीं। बुलंदशहर जिले में पिछले एक साल में 120 से ज़्यादा मामले दर्ज हुए, जहां ठेकेदारों पर घटिया सामग्री इस्तेमाल करने के आरोप लगे। लेकिन, नतीजा? ज़्यादातर शिकायतें फाइलों में दबकर रह गईं। क्या यह सड़क भी उन आंकड़ों का हिस्सा बनने जा रही है?

 
         
         
         
        