Bulandshahr CHC Death: यूपी के बुलंदशहर में जहांगीराबाद सीएचसी पर लापरवाही ने एक बुजुर्ग की जान ले ली। 65 साल के अशोक शर्मा इलाज के लिए 45 मिनट तक तड़पते रहे लेकिन डॉक्टरों ने वक्त पर हाथ तक नहीं लगाया। जब जान चली गई तो तीमारदारों ने गुस्से में अस्पताल में हाथापाई कर दी। हंगामा बढ़ा तो पूरा वीडियो वायरल हो गया। अब पुलिस दोनों तरफ से तहरीर लेकर ‘रूटीन जांच’ में जुटी है। लेकिन सवाल वही – Bulandshahr CHC में इलाज मिलेगा या सिर्फ बहाना?
45 मिनट तक तड़पते रहे अशोक शर्मा — पर अस्पताल का सिस्टम ‘कोमा’ में सोता रहा!
बुलंदशहर के जहांगीराबाद सीएचसी में मरीज को इलाज वक्त पर मिलना सपना है — और अशोक शर्मा की मौत ने ये कड़वी हकीकत फिर से सबके सामने परोस दी।
65 साल के अशोक शर्मा को सांस लेने में दिक्कत थी, पर अस्पताल वालों को ‘सांस लेना बंद’ होने तक कोई जल्दी नहीं थी। मरीज 45 मिनट तक तड़पते रहे — तीमारदार हाथ जोड़ते रहे — डॉक्टर साहब कुर्सी तोड़ते रहे!
डॉक्टरों का जवाब — ‘हमने सब किया!’ मरीज के परिजनों का सवाल — ‘फिर भी मर गया?’
परिजन कहते हैं — ‘हम चिल्लाते रहे, डॉक्टर को आवाज़ देते रहे — कोई उठ कर देखने तक नहीं आया!’
डॉक्टर कहते हैं — ‘हमने ड्यूटी की, आरोप निराधार हैं!’
मतलब मरीज़ को ऑक्सीजन नहीं मिली, इलाज शुरू नहीं हुआ — लेकिन डॉक्टर साहब निर्दोष! वाह भाई वाह! कागज पर सब सही, ICU में मरीज खत्म — यही है बुलंदशहर सीएचसी का ‘मॉडल हेल्थ सिस्टम’!
मौत के बाद बवाल — बहस, थप्पड़, लात-घूंसा और सोशल मीडिया वायरल!
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जब अस्पताल की ‘चैन की नींद’ तोड़ी, तो डॉक्टरों की कुर्सियां हिल गईं। फिर क्या — तीखी बहस, जमकर हाथापाई, अस्पताल के गलियारे में गाली-गलौज — और पूरा तमाशा सोशल मीडिया पर LIVE!
अब पुलिस आई है — शिकायत दर्ज है — जांच होगी — रिपोर्ट बनेगी — और फिर फाइल धूल खाएगी! वही पुराना ड्रामा।
अब सवाल — ये अस्पताल हैं या ‘तीमारदारों की परीक्षा केंद्र’?
जहांगीराबाद सीएचसी में मरीज की जान बचाना कोई प्राथमिकता नहीं, यहां तो लगता है परिजन आएं — पहले डॉक्टर साहब को ढूंढें — फिर ‘कृपा’ से इलाज मांगें — फिर इलाज मिले या न मिले, परिजन जरूर रोते-झींकते वापस लौटें!
अरे भाई! ये हॉस्पिटल है या सरकारी दफ्तर — जहाँ बिना सिफारिश कुछ नहीं चलता?
Bulandshahr CHC Death- खबरीलाल की खरी-खरी — डॉक्टर साहब, मरीज तड़प रहा है, कुर्सी छोड़िए!
खबरीलाल कहता है — ‘डॉक्टर साहब! मरीज की जान आपके हाथ में होती है — चाय की प्याली और कुर्सी की गर्मी छोड़ दीजिए! वरना अगली बार वायरल वीडियो में आप नजर आएंगे — अपनी सफाई देते हुए कि इलाज हुआ था, मरीज ही गलत टाइम पर मर गया!’
पुलिस क्या करेगी? वही जो हमेशा करती है — शिकायत दर्ज, बयान दर्ज, मामला ठंडा!
पुलिस पहुंच गई है — दोनों पक्षों से शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं — वायरल वीडियो देखे जा रहे हैं — गवाहों के बयान होंगे — चार्जशीट तैयार होगी — और फिर वही ‘मामला जांचाधीन’ का बोर्ड टंग जाएगा।
कभी न्याय मिला तो ठीक, नहीं मिला तो ‘सिस्टम माफ’!
