चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने BRICS 2025 Summit से किनारा कर लिया है। असली वजह उनका ‘बिजी शेड्यूल’ नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने न टिक पाने की हकीकत है। ऑपरेशन सिंदूर से लेकर भारत की बढ़ती साख तक, चीन हर मोर्चे पर बैकफुट पर है। BRICS 2025 चीन के लिए शर्म का आईना बन गया।
💥 BRICS 2025 Summit: भारत आया चमकते सूरज की तरह, चीन बना बौनी परछाई!
BRICS 2025 Summit -रियो डी जेनेरियो: अगले हफ्ते ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में होने वाले 17वें BRICS समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी ने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने जिनपिंग के “बिजी शेड्यूल” का हवाला देते हुए ब्राजील को सूचित किया है कि वह इस बार समिट में हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन असल कहानी कुछ और ही बयां करती है। क्या यह भारत के ऑपरेशन सिंदूर का डर है या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते वैश्विक कद से ड्रैगन की बौखलाहट?
मोदी को स्टेट डिनर, जिनपिंग को डिनायल मोड!
ब्राजील ने PM नरेंद्र मोदी को स्टेट डिनर पर न्योता क्या भेजा, शी जिनपिंग को अपमान का बुखार चढ़ गया। रिपोर्ट्स कहती हैं कि चीन इस बात से बुरी तरह तिलमिलाया है कि मंच पर मोदी को उससे ज्यादा तवज्जो मिलने वाली थी। और जब सामने भारत हो, तो चीन को अपनी हैसियत खुद समझ आ जाती है। तभी तो 12 साल में पहली बार बीआरिक्स छोड़कर भाग निकले जिनपिंग।2013 से वह हर साल इस समिट में शामिल होते रहे हैं, फिर चाहे वह कोविड महामारी के दौरान वर्चुअल भागीदारी ही क्यों न रही हो। इस बार उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग BRICS में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे।मतलब साफ है—चीन का ये फैसला कोई डिप्लोमैटिक निर्णय नहीं, बल्की शर्म का सबूत है।
ऑपरेशन सिंदूर की छाया: जिनपिंग की झुकी निगाहें
भारत का हालिया ऑपरेशन सिंदूर, जिसने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया, चीन के लिए भी किसी बड़े झटके से कम नहीं है। सूत्रों की मानें तो जिनपिंग को डर है कि BRICS समिट में भारत के साथ आमने-सामने होने पर ऑपरेशन सिंदूर का मुद्दा उठ सकता है। पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने के बावजूद चीन भारत के सामने बौना साबित हुआ है। क्या जिनपिंग इसलिए समिट से कन्नी काट रहे हैं, क्योंकि वह मोदी से नजरें नहीं मिला पा रहे?
BRICS 2025 Summit -BRICS में भारत का दबदबा
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) एक ऐसा मंच है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक मंच पर मजबूत आवाज देता है। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और यूएई के शामिल होने से इसका दायरा और बढ़ा है। लेकिन इस मंच पर भारत का दबदबा अब किसी से छिपा नहीं है। मोदी की कूटनीति और भारत की आर्थिक ताकत ने BRICS में भारत को एक मजबूत स्तंभ बना दिया है, जिसके सामने चीन बार-बार कमजोर पड़ रहा है।
भारत का मास्टरस्ट्रोक, चीन की हार
यह पहली बार नहीं है जब चीन भारत के सामने कमजोर पड़ा है। गलवान घाटी से लेकर LAC तक, भारत ने हर बार ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पाकिस्तान को, बल्कि उसके “हर मौसम के दोस्त” चीन को भी साफ संदेश दिया है कि भारत अब किसी के सामने झुकने वाला नहीं। BRICS समिट में जिनपिंग की गैरमौजूदगी भारत की इस कूटनीतिक जीत का एक और सबूत है।
BRICS 2025 Summit में भारत बना ‘हीरो’, चीन निकला ‘ज़ीरो’
निष्कर्ष: शी जिनपिंग का BRICS समिट से दूरी बनाना न केवल उनकी कमजोरी दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत का वैश्विक कद अब ड्रैगन को बेचैन कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर का डर हो या मोदी के सामने कमजोर पड़ने का खौफ, चीन की यह हार भारत की ताकत का ऐलान है।
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