 
                                                      
                                                Bijnor Police viral Video
Bijnor Police Viral Video: ‘वर्दी में गुंडागर्दी’ का सबूत
बिजनौर जिले के थाना बढ़ापुर से वायरल हो रहा वायरल वीडियो (Bijnor Police Viral Video) किसी पुलिस थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लग रहा। दावा किया जा रहा है कि थाना इंचार्ज मृदुल कुमार और उनकी टीम ने आधी रात को एक घर में धावा बोला। वीडियो में महिलाओं की चीखें, बच्चों की दहशत और पुलिसकर्मियों की डंडों की बरसात साफ सुनाई दे रही है।
अब सवाल ये है – क्या पुलिस ‘जनसेवक’ से ‘घर के घुसपैठिये’ बन चुकी है?
घर में घुसकर तोड़फोड़ – Bijnor Police Viral Video का खौफनाक सच
वीडियो में चीखती महिलाएं, रोते बच्चे और हाथ में डंडा लिए लोकतंत्र के सिपाही – ऐसा दृश्य तो रामगोपाल वर्मा भी नहीं शूट कर पाता।
महिला कांस्टेबल? वो तो जैसे पुलिस की गूगल मैप में थी ही नहीं।
और जो शब्द इस्तेमाल किए गए, वो अगर थाने में न कहे गए होते तो अश्लील साहित्य में गिने जाते।
महिला सुरक्षा के पोस्टर से निकली पुलिसिया पोस्टमार्टम की स्याही
योगी सरकार हर साल ‘नारी सुरक्षा पखवाड़ा’ मनाती है, लेकिन बढ़ापुर थानेदार तो शायद ‘नारी पिटाई सप्ताह’ की तैयारी कर रहे थे।
(Bijnor Police Brutality Video) ने सरकार के ब्रांड एंबेसडर “मिशन शक्ति” को सीधे ICU में पहुंचा दिया।
पोस्टर पर बेटी बचाओ, ज़मीन पर डंडा बजाओ — यही है यूपी मॉडल?
महिलाओं संग अभद्रता – Bijnor Police Viral Video पर योगी सरकार घिरी
सवाल ये नहीं कि पुलिस आई, सवाल ये है कि क्यों आई, कैसे आई और किस हक से आई?
पुलिस एक्ट पढ़ेंगे तो उसमें साफ लिखा है कि महिला के घर में दबिश देते समय महिला कांस्टेबल जरूरी है… पर बढ़ापुर थाने ने शायद “Google Translate” से पढ़ा था – “कांस्टेबल की जगह कष्ट-बल जरूरी है।”
फर्ज़ी FIR नहीं, ‘डंडा आधारित न्याय प्रणाली’ की नई मिसाल है ये वीडियो
इस मामले ने साबित कर दिया कि यूपी में पुलिस ‘लोक सेवा’ नहीं, ‘लाठी वितरण योजना’ चला रही है।
Bijnor Police Brutality Video में जो दिखा, वह लोकतांत्रिक भारत की आंख में धूल नहीं, मिर्ची है।
और मिर्ची ऐसी कि सीधा सरकार की छवि में घुसकर चुभ रही है।
वायरल वीडियो की गवाही – Bijnor Police Viral Video का असर
इस Viral Video ने सोशल मीडिया पर बवंडर खड़ा कर दिया है। फेसबुक और ट्विटर (X) पर लोग पुलिस की इस दबंगई को लेकर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लेकिन क्या ये वायरल वीडियो भी सिर्फ एक “ट्रेंडिंग खबर” बनकर रह जाएगा? या इस बार जिम्मेदारों को सस्पेंड करने का समय आ गया है?
थानेदार साहब को नहीं है डर, क्योंकि ‘वर्दी है यारो!’
अबतक न कोई सस्पेंशन, न विभागीय जांच और न ही माफीनामा — आखिर क्यों?
क्योंकि साहब वर्दी में हैं। और वर्दी आजकल सिर्फ तन को नहीं, ज़मीर को भी ढक देती है।
यहां खाकी सुरक्षा की नहीं, ‘छूट की यूनिफॉर्म’ बन गई है।
क्या न्याय मिलेगा? – Bijnor Police Viral Video पर प्रशासन की चुप्पी
जनता पूछ रही है – “जब वीडियो सबूत बनकर सामने है, तब कार्रवाई क्यों नहीं?” अगर इस वायरल वीडियो (Bijnor Police Viral Video) पर फौरन एक्शन नहीं हुआ, तो जनता का भरोसा सिर्फ टूटेगा नहीं, बल्कि शासन पर सवालों की बरसात होगी।
अब देखना है कि मृदुल कुमार और उनकी टीम पर गाज गिरती है या नहीं।

 
         
         
         
        