Bijnor Leopard Attack: गुलदार ने खेत को बनाया डाइनिंग टेबल
बिजनौर के जंगलों से निकलकर गुलदार अब गांव वालों की जान का दुश्मन बना बैठा है। Bijnor Leopard Attack की ताजा किस्त में पिलाना गांव में खेत से चारा लेने गई महिला को गुलदार ने ऐसे दबोचा जैसे बुफे में प्लेट पर टिक्का रख लिया हो। शोर मचाने पर गांव वाले लाठी-डंडा लेकर टूट पड़े — वरना वन विभाग के भरोसे तो आज गांव में एक और लाश मिलती!
Forest Department Bijnor: मीटिंग में मीटिंग, जंगल में गुलदार — बीच में पिसे गांव वाले
कहने को तो बिजनौर में Forest Department है — मगर ये महकमा गुलदार के लिए नहीं, कुर्सी के लिए बना है! गाँव में लोग रात को खेत जाने से डरें, मवेशी चराना छोड़ दें, बच्चे स्कूल न जाएं — इससे वन विभाग के फाइलों के पन्ने जरा भी नहीं फड़फड़ाते। मीटिंग पर मीटिंग, बयान पर बयान — हकीकत में गुलदार जंगल से गांव तक फ्री घूम रहा है। पूछो तो जवाब — ‘टीमें लगा दी गई हैं, पिंजरे मंगवाए जा रहे हैं’। पिंजरा मंगवाने में ही महीना निकल गया — गुलदार ने तब तक आधा गांव खा लिया!
Bijnor Leopard Attack: आंकड़े सुनकर भी नींद ना खुले तो क्या करें?
पिछले कुछ महीनों में Bijnor Leopard Attack से दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं, सैकड़ों घायल हुए, मवेशियों का क्या — वो तो गुलदार के नाश्ते-डिनर में शामिल हैं। मगर वन विभाग का पेट भरा है — सरकारी गाड़ी, एयर कंडीशन दफ्तर, फाइलें मोटी और जवाब ढीले। गांव वाले जंगल में रहें या जानवरों से लड़ें — साहब मीटिंग में व्यस्त हैं!
Forest Department Bijnor: गांव वालों का सब्र जवाब दे रहा
गांव वालों ने अब साफ कह दिया है — Forest Department अगर जागा नहीं तो सड़क पर उतरेंगे। मंत्री जी से लेकर DM तक सबका घेराव होगा। जंगल में गुलदार बेशर्म घूमे और गांव वाले पिंजरे में कैद रहें — ये तमाशा अब नहीं चलेगा! अगर गुलदार न पकड़ा गया तो गांव वाले खुद जाल बिछा देंगे — फिर पूछना मत कि गुस्साए लोग जंगल से कैसे निपटते हैं!
Bijnor Leopard Attack: घायल महिला जिंदगी और मौत के बीच
पिलाना गांव की घायल महिला फिलहाल जिला अस्पताल में है। हालत नाजुक है। इलाज चल रहा है, परिवार रो रहा है, गांव में खौफ है — मगर वन विभाग फिर भी ‘कागज़ी कार्रवाई’ में मस्त है। पता नहीं कब जागेंगे — शायद तब जब गुलदार किसी नेता को निवाला बना लेगा!
Forest Department Bijnor: गुलदार से पहले डर खत्म करो!
गांव वालों का गुस्सा अब गदर बनने वाला है। Forest Department Bijnor को समझ लेना चाहिए कि गुलदार से बड़ा शिकारी गांव वाला होता है, जब उसकी रोटी-रोज़ी, जान-माल दांव पर लगे। अगर सरकार ने अभी भी अपनी खर्राटू फाइलों से बाहर न निकाला तो अगली खबर होगी — गुलदार मरे या अफसर भागे! क्योंकि अब गांव वालों ने कसम खा ली है — या तो गुलदार जाएगा, या वो जिंदा रहेंगे। जंगल का कानून अब गांव में नहीं चलेगा, गांव वाले अब खुद कानून बनेंगे!
