Bihari Corridor Protest की आग
खाटू श्याम के नाम से सरकार को चेतावनी:
सरकार को लगता था कि मामला धीरे-धीरे शांत हो जाएगा, लेकिन यहां तो अब श्याम खुद अपने भक्तों के साथ मैदान में उतर आए हैं। बुधवार को जब गोस्वामी समाज की महिलाएं अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठीं, तो खाटू दीदी श्याम बाबा की मूर्ति लेकर वहीं पहुंच गईं। और फिर जो बोलीं, उसने शासन की जड़ों में भी कंपकंपी भर दी।

Bihari Corridor Protest-खाटू दीदी की हुंकार: कॉरिडोर नहीं, बृज का स्वरूप बचाओ
गोस्वामी समाज का सुलगता हुआ दर्द: “जिससे उम्मीद की, उसी ने छत छीन ली”
खाटू दीदी के आने से धरने पर बैठी गोस्वामी समाज की महिलाओं में एक नई ऊर्जा दिखी। नीलम गोस्वामी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “हमें लगा था ये सरकार हिंदुओं की सरकार है, लेकिन अब तो यही सरकार हमारे सपनों की चिता सजा रही है। ठाकुरजी की छांव को उजाड़ने का काम कर रही है।”
उनके चेहरे पर सिर्फ गुस्सा नहीं, विश्वासघात का दर्द भी था। वो कह रही थीं – “हमने जिनसे उम्मीद की थी, वही हमारी छत छीन रहे हैं।”

Bihari Corridor Protest-“कॉरिडोर रूपी राक्षस का अंत तय है”: श्रद्धा खंडेलवाल की हुंकार
श्रद्धा खंडेलवाल ने कहा, “ये कॉरिडोर नहीं, राक्षस है जो ब्रज के स्वरूप को निगलना चाहता है। 197 मंदिरों पर बुलडोज़र चलाने की मंशा छुपाई नहीं जा रही। सरकार साफ इरादों से आई थी लेकिन अब इरादे साफ नज़र आ रहे हैं – ब्रज उजाड़ो योजना!”
उनकी बातें सिर्फ बयान नहीं थीं, चेतावनी थीं – “बृजवासी, गोस्वामी समाज और व्यापारी किसी भी कीमत पर सरकार की इस योजना को सफल नहीं होने देंगे। यहां के कण-कण में ठाकुर हैं, यहां रेत से भी विरोध निकलेगा।”
रामलला और काशी का नाम लेकर ब्रज के साथ धोखा क्यों?
खाटू दीदी का सवाल सबसे तीखा था—“रामलला का कोरिडोर जरूरी था क्योंकि वहां की ज़रूरतें अलग थीं। लेकिन वृंदावन में वो भीड़ नहीं, वो भक्ति है। यहां सेवा का स्वरूप है, दिखावे का नहीं। फिर सरकार किस गणित से कोरिडोर थोप रही है?”
उनका तंज सीधा दिल में चुभता है—“क्या ठाकुरजी को भी अब प्रशासन की अनुमति से देखना पड़ेगा? क्या अब भक्ति भी ले-आउट प्लान से होगी?”

Bihari Corridor Protest-सत्ता के गलियारों में भक्ति नहीं, वोट दिखता है
जिस सरकार ने खुद को ‘सनातन रक्षक’ बताया, वही अब ब्रज की आत्मा पर बुलडोज़र चला रही है। लेकिन भूल रही है कि ब्रज में आस्था की नींव भावनाओं से बनी है, बीना सीमेंट के। और इन भावनाओं को न कानून दबा सकता है, न प्लान पास करा सकता है।
खाटू श्याम की प्रतिमा के साथ खाटू दीदी का आना सिर्फ एक प्रतीक नहीं, एक संदेश है—“भगवानों को मत उजाड़ो, वरना भक्ति तुम्हारे वोट बैंक से भी हाथ खींच लेगी।”
