Bihar Voter List Verification Row
Bihar Voter List Verification Row: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस अभियान के तहत पूरे राज्य में लगभग 51 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की तैयारी है। चुनाव आयोग का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य फर्जी और गैर-मौजूद मतदाताओं की पहचान कर मतदाता सूची को शुद्ध करना है। हालांकि विपक्ष ने इस कदम को ‘वोटबंदी’ करार देते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
Bihar Voter List Verification Row: 51 लाख वोटरों के नाम हटाने की तैयारी
चुनाव आयोग का दावा है कि उसके सर्वेक्षण में सामने आया है कि बिहार में 18 लाख मतदाता मृत पाए गए हैं – जबकि 26 लाख मतदाताओं ने स्थायी रूप से बिहार छोड़ दिया है। इसके अलावा – 7 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने दो जगहों पर मतदाता पंजीकरण कराया है – जो नियमों का उल्लंघन है। साथ ही 11,000 मतदाताओं की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इन कारणों से चुनाव आयोग ने इन 51 लाख नामों को मतदाता सूची से हटाने का फैसला किया है।
Bihar Voter List Verification Row: 97% से अधिक मतदाताओं ने भरा फॉर्म
चुनाव आयोग के मुताबिक – इस सत्यापन अभियान में अब तक 97% से अधिक मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। केवल 2.7% मतदाताओं ने अभी तक फॉर्म जमा नहीं किया है। इस सर्वे को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए आयोग ने 98,500 से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए हैं, जो घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन का काम कर रहे हैं।
Bihar Voter List Verification Row: विपक्ष का हंगामा: ‘वोटबंदी’ का आरोप
विपक्षी दलों ने इस अभियान को लेकर तीखा विरोध जताया है। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर ‘वोटबंदी’ की साजिश रच रहा है। विपक्ष का दावा है कि इस सत्यापन के जरिए गरीब, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। विधानसभा में भी इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ – जहां विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया। उनका कहना है कि इस कदम से NDA को चुनाव में फायदा होगा।
Bihar Voter List Verification Row: चुनाव आयोग पर सवालों की बौछार
चुनाव आयोग के इस अभियान पर कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने मांग की है कि सत्यापन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और प्रभावित मतदाताओं को नाम हटाने से पहले पर्याप्त समय और मौका दिया जाए। कई नेताओं ने आशंका जताई है कि यह अभियान जल्दबाजी में किया जा रहा है – जिससे वास्तविक मतदाताओं के नाम भी गलती से हटाए जा सकते हैं।
Bihar Voter List Verification Row: बिहार चुनाव पर असर की आशंका
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और मतदाता सूची से इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने से सियासी समीकरण बदल सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि यह कदम विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभाव डालेगा, जहां विपक्षी दलों का वोट बैंक मजबूत है। दूसरी ओर चुनाव आयोग का कहना है कि यह अभियान स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
सवाल नंबर-1 – क्या चुनाव आयोग का कदम सही है?
मतदाता सूची को शुद्ध करने की प्रक्रिया जरूरी है – लेकिन क्या इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाना उचित है? क्या इससे वास्तविक मतदाताओं के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे?
सवाल नंबर-2 – क्या आंकड़ों पर भरोसा किया जा सकता है?
आयोग के दावे के अनुसार 18 लाख मृत और 26 लाख प्रवासी मतदाता हैं। लेकिन इन आंकड़ों की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं। क्या सर्वे पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष है?
सवाल नंबर-3 – क्या यह वोटबंदी की साजिश है?
विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान खास समुदायों को निशाना बना रहा है। क्या यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण है या वास्तव में मतदाता सूची को दुरुस्त करने का प्रयास है?
सवाल नंबर-4 – बूथ लेवल कार्यकर्ताओं की निष्पक्षता?
इतनी बड़ी संख्या में बूथ लेवल ऑफिसर और एजेंट लगाए गए हैं लेकिन क्या उनकी कार्यप्रणाली पूरी तरह निष्पक्ष है?
सवाल नंबर-5 – 11,000 मतदाताओं का क्या होगा?
जिन मतदाताओं की जानकारी नहीं मिली – उनके नाम हटाने से पहले क्या कोई वैकल्पिक जांच की जाएगी?
