 
                  वोटरों के नाम कटने के आरोप से बिहार की सियासत में भूचाल, महागठबंधन ने खोला मोर्चा”
Bihar Politics में मतदाता सूची पर ‘सुपारी’?
Bihar Politics इन दिनों ऐसे आरोपों से उबल रही है, जैसे किसी ने लोकतंत्र के गले पर छुरी रख दी हो। महागठबंधन का दावा है कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने मिलकर गरीब, दलित, मजदूर और महादलित तबकों के वोट काटने का मास्टर प्लान बना लिया है। आरोप है कि पूरे 3 करोड़ वोटरों को सूची से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है — ताकि ‘डबल इंजन’ सरकार को बिहार में फ्री-वे मिल जाए।
Bihar Politics में महागठबंधन का बड़ा दावा
जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव का कहना है कि यह वोटर डीलिशन सीधा लोकतंत्र का गला घोंटना है। उनके शब्दों में — ‘‘गरीबों का वोट छीनना संविधान से सीधी बगावत है। हम इसे जमीन पर नाकाम करेंगे। मीडिया चुप रही तो इसका हिसाब भी उसे देना होगा।’’
मतलब Bihar Politics की आग अब सोशल मीडिया से लेकर गांव की चौपालों तक फैल रही है।
Bihar Politics में चेतावनी: सड़क-रेल बंद होगा!
पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने तो साफ कह दिया है — ‘‘9 जुलाई को बिहार की सड़कें बोलेंगी, रेलवे लाइनें बोलेंगी, जीटी रोड से पटना-गया तक गरीबों की आवाज सत्ता तक गूंजेगी। ये चेतावनी नहीं, जनप्रतिरोध होगा!’’
Bihar Politics में ये बयान ऐसे वक्त आया है, जब मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया ने गांव के गरीब-दलित को दस्तावेजों के जाल में उलझा दिया है।
Bihar Politics में दस्तावेजों का झमेला

पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत पूछते हैं — जब गांव के दलित-गरीब के पास जमीन का कागज ही नहीं, तो बीएलओ से क्या दिखाएंगे? आयोग खुद खर्च दे, तभी पता चलेगा कितने नाम कटने वाले हैं।
बिहार की सियासत में यह सवाल नई हलचल पैदा कर रहा है — क्या मतदाता सूची से नाम काटने का ये खेल गरीबों के खिलाफ साजिश है?
Bihar Politics पर महागठबंधन का सीधा संदेश
पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने दो टूक कहा — ‘‘इतनी जल्दी-जल्दी में मतदाता सूची की जांच लोकतंत्र के साथ मजाक है। इसमें खामियां ही खामियां हैं, जिन्हें हम उजागर करेंगे।’’
बिहार की सियासत के जानकार मानते हैं कि महागठबंधन इस मुद्दे को ‘गरीब बनाम सत्ता’ बनाकर पेश करना चाहता है। और अगर चुनाव आयोग ने सही जवाब न दिया तो यह मसला 2024 में वोट बैंक की गणित बिगाड़ देगा।
Bihar Politics: सवाल बड़ा, जवाब कौन देगा?
अब सवाल ये है कि क्या चुनाव आयोग और केंद्र सरकार महागठबंधन के आरोपों का कोई ठोस जवाब देंगे? या फिर बिहार की सियासत में Bihar Politics का यह तूफान वोटर डीलिट के तूफान में सब बहा ले जाएगा?
जवाब फिलहाल हवा में है — लेकिन गांव-गांव में यह मुद्दा अब चाय की दुकान से लेकर सोशल मीडिया तक ‘वायरल है’।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:उस्मान
📍 लोकेशन: पटना, बिहार
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