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Bihar Election 2025 में NDA के लिए खतरे की घंटी बजा गए Omprakash Rajbhar
Bihar Election 2025 update
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बिहार की सियासत में एक और तड़का मार दिया है। ज़ुबान उनकी वैसे भी तेज धार वाली तलवार है, लेकिन इस बार उन्होंने तलवार म्यान से निकाल दी है। राजभर ने खुलकर एलान किया है कि अगर NDA ने “70% पर फाइनल” बात को “100%” में नहीं बदला, तो साहब हम तीसरा मोर्चा बना देंगे – वो भी पूरे 156 सीटों पर।
अब NDA के पसीने छूट रहे हैं, और INDIA गठबंधन वालों की उम्मीदें फिर भी धरी की धरी हैं क्योंकि राजभर साफ कर चुके हैं – “INDIA के मोह में हम नहीं फँसने वाले।”
Third Front और Prashant Kishor: Omprakash Rajbhar ने दिए भारी संकेत> Bihar Election 2025
राजभर की इस बार की राजनीतिक शब्दावली कुछ अलग थी। एक ओर वो NDA से बातचीत की “70% सफलता” का ढोल बजा रहे थे, तो दूसरी ओर Prashant Kishor के साथ चल रही बातचीत के सुर भी छोड़ गए। साफ शब्दों में बोले – “दूसरा ऑप्शन भी हमलोग बनाकर चल रहे हैं।”
अब सवाल ये है कि क्या NDA को झटका देने के लिए राजभर–PK (प्रशांत किशोर) गठजोड़ बन रहा है? क्या बिहार की सियासत में एक नई थाली परोसी जा रही है, जिसमें भाजपा को ‘नमक’ नहीं मिलेगा?
Omprakash Rajbhar की सियासी बिसात: मोहरे वही, चालें पुरानी
बात साफ़ है — ओमप्रकाश राजभर खुद को राजनीति का चाणक्य समझने लगे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि सुभासपा अब भी यूपी-बिहार की सियासत में साइड स्टोरी ही है। खुद राजभर बलिया में कह चुके हैं कि “70% बात फाइनल है”, लेकिन सियासत में जो नेता हर बयान में विकल्प लेकर चलता है, उसकी हैसियत सिर्फ सौदेबाज़ी तक सीमित रह जाती है।
NDA से बात नहीं बनी तो प्रशांत किशोर, वो नहीं तो तीसरा मोर्चा — ये सब बातें ज़्यादा चूल्हे की, कम चावल की गिनती लगती हैं।
हकीकत ये है कि सुभासपा की खुद की राजनीतिक जमीन रेत पर खड़ी है। यूपी में यादव-मुस्लिम समीकरण से बाहर हैं, और बिहार में ना जातीय पकड़ है, ना जनाधार। 156 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात तो दूर, 56 उम्मीदवार ढूंढने में भी पसीने छूटेंगे। ये तीसरा मोर्चा अगर बना भी, तो पहले और दूसरे मोर्चे की नजरों में सिर्फ वोट कटवा ही रहेगा।
Third Front का सपना और Omprakash Rajbhar की हकीकत>Bihar Election 2025
राजभर भले ही खुद को ‘किंगमेकर’ मानते हों, लेकिन राजनीति का कड़वा सच ये है कि उनकी पार्टी न किंग बन सकती है, न किंगमेकर — बस किंग से लड़ते-लड़ते खुद की पगड़ी उतार लेती है।
INDIA से इंकार करके वो भाजपा को खुश करना चाहते हैं, और तीसरे मोर्चे की बात करके भाजपा को डराना — लेकिन ऐसे नेताओं का ना कोई स्थायी चेहरा होता है, ना चंबल जैसी पकड़।
अगर NDA से डील नहीं बनती और राजभर बिहार में तीसरा मोर्चा बनाकर उतरते हैं, तो नुकसान भाजपा को नहीं, सबसे पहले उन्हीं की पार्टी को होगा।
राजभर को यह समझ लेना चाहिए कि राजनीति में इधर-उधर का बयान देकर फुटेज तो मिल जाता है, लेकिन फुटिंग नहीं।
और बिहार की राजनीति में सिर्फ बयानवीर नहीं, जमीनवीर जीतते हैं — और वहाँ राजभर जी, आपकी पहुंच अब भी दहलीज़ से बाहर नहीं निकल पाई है।

 
         
         
         
        