बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासी बयानबाजी अपने चरम पर है। विपक्ष के नेता Tejashwi Yadav ने Nitish Kumar की सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस बार उनके निशाने पर है नीतीश का “नौकरी का लॉलीपॉप”। Nitish कैबिनेट की हालिया बैठक में 2025 से 2030 तक एक करोड़ नौकरियां देने की घोषणा को तेजस्वी ने “चुनावी जुमला” और “खोखला वादा” करार दिया है।
Nitish Vs Tejashwi – सवाल नंबर-1
Tejashwi Yadav तंज कसते हुए पूछा- “नीतीश जी, हर बार चुनाव आते ही आपको युवाओं की याद क्यों आती है? 20 साल से सत्ता में बैठे हैं – अब तक बिहार के नौजवानों को रोज़गार क्यों नहीं दिया? क्या ये सिर्फ़ वोट की खातिर नया ड्रामा है?” तेजस्वी ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया।
Nitish Vs Tejashwi – सवाल नंबर-2
Tejashwi Yadav ने कहा – “नीतीश जी, आपने 2020 में मेरे 10 लाख नौकरियों के वादे का मज़ाक उड़ाया था। कहा था पैसा कहाँ से आएगा?’ अब आप एक करोड़ नौकरियों का ढोल पीट रहे हैं। बताइए, ये पैसा कहाँ से आएगा? जनता को जवाब दीजिए, या ये भी आपका पुराना जुमला है, जिसका हिसाब कोई नहीं मांगेगा?”
Nitish Vs Tejashwi – सवाल नंबर-3
Tejashwi Yadav ने CM Nitish Kumar से आगे सवाल किया कि अगर इतने सालों में बिहार की बेरोज़गारी कम नहीं हुई तो अब ये “महा-वादा” कैसे पूरा होगा?
बिहार में बेरोज़गारी का हाल – चीख रहे आंकड़े
Bihar Unemployment:बिहार में बेरोज़गारी की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। National Career Service Portal के आंकड़ों के मुताबिक- बिहार में बेरोज़गारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2022-23 के बीच बिहार की बेरोज़गारी दर 3.9% रही – जो राष्ट्रीय औसत 3.2% से अधिक है। सीएमआईई (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार बिहार में युवा बेरोज़गारी दर 2020 में 46.6% के आसपास थी – जो देश में सबसे ऊँची थी।
इसके बावजूद, नीतीश सरकार का दावा है कि अब तक 10 लाख से अधिक सरकारी नौकरियाँ और 39 लाख रोज़गार के अवसर दिए गए हैं। लेकिन तेजस्वी ने इसे “कागज़ी आंकड़ा” बताते हुए कहा – “जो नौकरियाँ हमारी महागठबंधन सरकार ने दीं, उसका क्रेडिट लेने की कोशिश हो रही है। लेकिन जनता सब जानती है।” तेजस्वी यादव ने नीति आयोग का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में प्रति 1 लाख छात्रों पर केवल 7 कॉलेज हैं। इसके अलावा 534 ब्लॉकों में से 400 में डिग्री कॉलेज नहीं हैं, जो शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी को दर्शाता है।
Tejashwi Yadav ने Nitish Kumar से पूछा – “20 साल सत्ता में रहने के बाद भी बिहार के नौजवान पलायन क्यों कर रहे हैं? दिल्ली, मुंबई, गुजरात में मज़दूरी करने को मजबूर क्यों हैं? अगर आपकी नीतियाँ इतनी कारगर थीं, तो बिहार आज ‘अपराध की राजधानी’ क्यों बन गया?”
Tejashwi नेRahul Gandhi के बयान का समर्थन करते हुए कहा – “बिहार में गोली चल रही है, अपराधी बेखौफ हैं, और नीतीश सरकार सो रही है। पुलिस और प्रशासन के हौसले पस्त हैं, लेकिन नीतीश जी को सिर्फ़ कुर्सी की चिंता है।”
Bihar Nitish Kumar Cabinet: बिहार में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा – फिर छले जाएंगे नौजवान?
सवाल तो Lalu-Tejashwi से भी बनते हैं!
RJD नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोल रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब तेजस्वी यादव खुद सरकार में उपमुख्यमंत्री थे – तब उन्होंने बिहार के युवाओं के लिए क्या किया? साथ ही उनके पिता और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री काल में कितने नौजवानों को नौकरियां मिलीं? तेजस्वी यादव ने 2022-23 के बीच महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में 17 महीने तक काम किया। इस दौरान उन्होंने बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाया और 2020 के विधानसभा चुनाव में 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था। तेजस्वी का दावा है कि उनके कार्यकाल में 5 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान की गईं और 3.5 लाख नौकरियां प्रक्रियाधीन थीं। इसके अलावा- उन्होंने आईटी नीति, खेल नीति, और खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी के प्रावधान जैसे कदम उठाए – जिसमें मेडल विजेता खिलाड़ियों को डीएसपी जैसे पदों पर नियुक्ति का प्रावधान शामिल था। लेकिन तेजस्वी से पूछा जाना चाहिए –
10 लाख नौकरियों का वादा पूरा क्यों नहीं हो सका?
क्या 5 लाख नौकरियों का दावा स्वतंत्र रूप से सत्यापित है?
डोमिसाइल नीति को लागू करने के लिए ठोस कदम क्या उठाए गए?
बिहार में पलायन रोकने के लिए दीर्घकालिक औद्योगिक नीति या निवेश क्यों नहीं लाया गया?
सवाल बीजेपी नेता और बिहार के मौजूदा उपमुख्यमंत्री Samrat Chaudhary भी तेजस्वी से पूछते हैं और कहते हैं कि नौकरियां देने का श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है – न कि तेजस्वी को। सम्राट चौधरी का दावा है कि तेजस्वी ने अपने 17 महीने के कार्यकाल में कोई नया रोजगार सृजन नहीं किया – बल्कि नीतीश सरकार की योजनाओं को ही आगे बढ़ाया। सम्राट चौधरी ये दावा भी किया कि Lalu Yadav के 15 साल के शासनकाल में नौकरियों का सृजन न के बराबर था – और इसकी तुलना में Nitish Kumar ने 2005 से 2020 तक 7.5 लाख और मौजूदा कार्यकाल में 9 लाख से अधिक नौकरियां दीं।
लेकिन तेजस्वी दावा करते हैं कि हमने 17 महीनों में 5 लाख नौकरियाँ दीं और 3 लाख प्रक्रियाधीन छोड़ीं। तेजस्वी पूछते हैं कि नीतीश सरकार ने उन प्रक्रियाधीन नौकरियों को क्यों रोका? डेढ़ लाख नौकरियों की फाइल को कैबिनेट में क्यों अटकाया?” तेजस्वी ने नीतीश को चुनौती दी, “अगर इतना ही दम है, तो अभी उन 3 लाख नौकरियों की भर्ती शुरू कीजिए। जनता देख रही है कि आपकी नीयत कितनी साफ है।”
मिलेगी सत्ता की मलाई तो भूल जाएंगे वादे?
Bihar में विधानसभा के चुनाव होने हैं – इसलिए बेरोजगारी के मुद्दे पर तेजस्वी और नीतीश आमने सामने हैं। रोज नए हमले हो रहे हैं- क्योंकि सत्ता सबको चाहिए। लेकिन सवाल जहां का तहां है कि बेरोजगारों का क्या होगा? क्या चुनाव में किए गए वादे हकीकत में बदलेंगे? अगर बदलेंगे तो कैसे? या फिर सत्ता पाकर फिर राजनीतिक दल मलाई खाने में लग जाएंगे और बेरोजगारों के हाथों में रह जाएगा फिर वही लॉलीपॉप? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं – कमेंट कर हमें जरूर बताइए।