 
                  Big scam in MNREGA: मऊ में मनरेगा भ्रष्टाचार का सनसनीखेज खुलासा!”
मऊ जिले के रानीपुर ब्लॉक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) योजना के तहत भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। फर्जी हाजिरी और एक ही फोटो को बार-बार अपलोड कर सरकारी धन की लूट का खुलासा हुआ है। सरसेना, चकिया, बस्ती और दादरी जैसे गांवों में मजदूरों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर लाखों रुपये की हेराफेरी की जा रही है। यह घोटाला न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार सेवकों और ग्राम प्रधानों की मिलीभगत को उजागर करता है – बल्कि उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर यह खेल इतने बड़े पैमाने पर कैसे चल रहा है, और इसमें कितने बड़े लोग शामिल हो सकते हैं? सिलसिलेवार तरीके से पढ़ें मऊ से राजधानी लखनऊ तक हड़कंप मचा देने वाली ये पूरी खबर-
Big scam in MNREGA: फर्जी हाजिरी से सरकारी खजाने पर डाका!”
मनरेगा की पारदर्शिता के लिए बनाए गए एनएमएमएस (नरेगा मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) ऐप की मदद से यह घोटाला सामने आया। इस ऐप पर मजदूरों की लाइव फोटो अपलोड करने का नियम है, जिसमें कार्यस्थल, तारीख, और मजदूरों की उपस्थिति का विवरण होता है। लेकिन रानीपुर ब्लॉक के कई गांवों में एक ही फोटो को अलग-अलग मस्टर रोल में बार-बार अपलोड किया गया। स्थानीय ग्रामीणों की शिकायतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगरानी के बाद यह गड़बड़ी पकड़ी गई। जांच में पता चला कि सरसेना में 56, चकिया में 107, बस्ती में 96, और दादरी में 108 मजदूरों की हाजिरी फर्जी थी। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ स्थानीय स्तर का फर्जीवाड़ा है, या इसके पीछे बड़े अधिकारियों का हाथ है?
Big scam in MNREGA: एक फोटो, कई मस्टर रोल, होश उड़े खुली जब पोल
रानीपुर ब्लॉक में भ्रष्टाचार की कहानी किसी थ्रिलर से कम नहीं। एक ही फोटो को अलग-अलग तारीखों और मजदूरों के नाम पर अपलोड कर हाजिरी दर्ज की गई। उदाहरण के लिए, सरसेना में 56 मजदूरों की उपस्थिति के लिए एक ही तस्वीर का इस्तेमाल हुआ, जिसमें न तो मजदूरों की संख्या बदली और न ही फोटो का बैकग्राउंड। चकिया में काम खत्म होने के हफ्तों बाद भी मस्टर रोल पर हाजिरी चढ़ती रही। यह स्पष्ट करता है कि रोजगार सेवक और मेट इस खेल में शामिल हैं। लेकिन क्या यह संभव है कि ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारी इससे अनजान रहे? क्या एनएमएमएस ऐप की मॉनिटरिंग में कोई खामी है, या जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया गया?

Big scam in MNREGA: ग्राम प्रधान और सचिव की चुप्पी…100 सवाल!
ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान और सचिव की भूमिका मनरेगा कार्यों की देखरेख में अहम होती है। फिर भी, रानीपुर ब्लॉक के गांवों में फर्जी हाजिरी का खेल खुलेआम चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सचिव न केवल इस फर्जीवाड़े से वाकिफ हैं, बल्कि इसमें उनकी सक्रिय भागीदारी भी है। बस्ती गांव के लोगों ने बताया कि रोजगार सेवक और मेट की मिलीभगत से पुराने काम को नए मस्टर रोल में दिखाकर पैसा निकाला जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या ग्राम प्रधान और सचिव कमीशन के लालच में इस घोटाले को बढ़ावा दे रहे हैं? क्या उनकी चुप्पी भ्रष्टाचार का हिस्सा है?
Big scam in MNREGA: एपीओ और डीसी मनरेगा भी करप्शन के इस खेल में?
मनरेगा की निगरानी के लिए ब्लॉक स्तर पर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी (एपीओ) और जिला स्तर पर डीसी मनरेगा जिम्मेदार होते हैं। रानीपुर ब्लॉक में इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होने के बावजूद इन अधिकारियों की चुप्पी संदेह पैदा करती है। क्या एपीओ और डीसी मनरेगा इस घोटाले से अनजान हैं, या उनकी मिलीभगत इसे चलाने में मदद कर रही है? एक ही फोटो का बार-बार इस्तेमाल और फर्जी मस्टर रोल की मंजूरी सिस्टम की गंभीर खामियों को दर्शाती है। क्या यह भ्रष्टाचार का एक संगठित नेटवर्क है, जिसमें बड़े अधिकारी भी शामिल हैं?
मऊ के Big scam in MNREGA पर सरकार से सीधे सवाल, क्या मनरेगा बन गया दलालों का अड्डा?
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को रोजगार देना और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारना था, लेकिन रानीपुर ब्लॉक का घोटाला इसे दलालों का अड्डा साबित करता है। ग्रामीणों का कहना है कि मजदूरी का पैसा उन तक नहीं पहुंच रहा, बल्कि रोजगार सेवक, मेट, और संभवतः बड़े अधिकारियों की जेब में जा रहा है। सरकार ने एनएमएमएस ऐप और जियो-टैगिंग जैसे उपाय लागू किए, फिर भी यह फर्जीवाड़ा कैसे संभव हुआ? क्या कमीशन का लालच प्रशासन को अंधा कर रहा है? क्या यह घोटाला सिर्फ रानीपुर तक सीमित है, या पूरे जिले और प्रदेश में इसका जाल फैला हुआ है? सरकार को इसकी उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले और मनरेगा का असली उद्देश्य पूरा हो।

 
         
         
         
        