 
                  चीन की Victory Day Parade में USA के तीन दुश्मन दिखेंगे एक साथ, चीन दिखाएगा कूटनीतिक और सैन्य ताकत
China’s Victory Day Parade Update
Victory Day Parade News:चीन 3 सितंबर को तियानआनमेन स्क्वायर पर होने वाली विक्ट्री डे परेड के जरिए दुनिया के सामने अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन करने जा रहा है. ये परेड न केवल आधुनिक हथियारों और सैकड़ों विमानों-टैंकों का प्रदर्शन होगी, बल्कि इसमें शामिल होने वाले वैश्विक नेताओं के जरिए चीन ये संदेश भी देगा कि वो पश्चिमी देशों की धुरी से अलग एक नए अंतरराष्ट्रीय समीकरण की अगुवाई कर रहा है.
इस परेड में खास तौर पर अमेरिका के तीन बड़े विरोधी – रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान – एक साथ नजर आएंगे. इनकी मौजूदगी को अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ सामूहिक चुनौती माना जा रहा है.
अमेरिका और पश्चिमी देशों की अनुपस्थिति
चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस परेड में कुल 26 देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल होंगे. हालांकि इनमें से पश्चिमी देशों के नेता लगभग नदारद रहेंगे. केवल स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको यूरोपियन यूनियन से मौजूद रहेंगे. ये संकेत है कि चीन पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने और वैश्विक दक्षिण (Global South) देशों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा है.
सैन्य ताकत का प्रदर्शन
करीब 70 मिनट लंबी इस परेड में चीन की सेना की नई संरचना दुनिया के सामने आएगी.
Victory Day Parade में क्या क्या ?
- 45 सैन्य यूनिट्स के जवान
- दसियों हजार सैनिक
- सैकड़ों लड़ाकू विमान और टैंक
- नए एंटी-ड्रोन सिस्टम
इतना ही नहीं, पुराने युद्ध योद्धाओं को भी सम्मानपूर्वक परेड का हिस्सा बनाया जाएगा. खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसकी अगुवाई करेंगे.
पुतिन और किम की मौजूदगी के कूटनीतिक मायने
किम जोंग उन और व्लादिमीर पुतिन का एक मंच पर आना चीन की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. इसके कई कारण हैं:
- यूक्रेन युद्ध और कूटनीति: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पुतिन से बातचीत कर यूक्रेन युद्ध खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं और किम से मुलाकात की इच्छा जता चुके हैं. ऐसे में बीजिंग की परेड ये दिखाएगी कि पुतिन और किम पर असर डालने की असली शक्ति चीन के पास है.
- अमेरिका-चीन वार्ता पर असर: ट्रंप अक्टूबर के अंत में एशिया दौरे पर आ सकते हैं और शी जिनपिंग से मिलने की संभावना है. लेकिन उससे पहले पुतिन और किम के साथ शी की सीधी मुलाकात उन्हें बातचीत की मेज पर कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में खड़ा करेगी.
वैश्विक समीकरण में बदलाव का संकेत
ईरान, रूस और उत्तर कोरिया पर लंबे समय से अमेरिकी और पश्चिमी प्रतिबंध लगे हुए हैं. अब इन तीनों का चीन के साथ खड़ा होना केवल सैन्य परेड की औपचारिकता नहीं, बल्कि नए भू-राजनीतिक गठजोड़ का संकेत है. चीन इस मंच से ये संदेश देना चाहता है कि वो न केवल आर्थिक और सैन्य शक्ति है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है.
ये परेड चीन के लिए केवल एक शक्ति-प्रदर्शन नहीं, बल्कि अमेरिका और पश्चिम के लिए एक स्पष्ट संदेश है – वैश्विक शक्ति समीकरण बदल रहा है और उसका केंद्र बीजिंग की ओर खिसक रहा है.

चीन की विक्ट्री परेड (Victory Day Parade) क्या है?
चीन हर साल 3 सितंबर को “विक्ट्री परेड” (Victory Day Parade) आयोजित करता है.
येपरेड द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) में जापान पर मिली जीत और युद्ध की समाप्ति की याद में होती है.

पृष्ठभूमि
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945) के दौरान जापान ने चीन पर हमला किया और कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया.
- चीन ने लंबे संघर्ष और भारी नुकसान के बाद 1945 में जापान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
- 2 सितंबर 1945 को जापान ने आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण किया.
- उसके बाद से 3 सितंबर को चीन “विजय दिवस” के रूप में मनाता है.
परेड का महत्व
- सैन्य ताकत का प्रदर्शन – चीन इस दिन परेड के जरिए अपनी सेना, हथियार और मिसाइलों की शक्ति दिखाता है.
- राष्ट्रीय गर्व – ये दिन चीन के लोगों के लिए विदेशी आक्रमण पर जीत और एकता का प्रतीक है.
- राजनीतिक संदेश – परेड से चीन दुनिया को ये संदेश देता है कि वो एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र है.
खास बातें
- परेड में हज़ारों सैनिक, आधुनिक हथियार, टैंक, मिसाइलें और लड़ाकू विमान शामिल होते हैं.
- बीजिंग के तियानआनमेन स्क्वायर (Tiananmen Square) पर ये परेड होती है.
- इसमें चीन के राष्ट्रपति और शीर्ष नेता मौजूद रहते हैं.
- 2015 में परेड सबसे ज्यादा चर्चा में रही, क्योंकि तब चीन ने जापान पर जीत के 70 साल पूरे होने का जश्न मनाया था.
संक्षेप में, चीन की विक्ट्री परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर मिली जीत की स्मृति में आयोजित एक सैन्य परेड है, जिसमें चीन अपनी ताकत और ऐतिहासिक गर्व दोनों दिखाता है, अब इसी मौके पर एक बार फिर चीन पूरी दुनिया को खासकर अमेरिका को अपनी कूटनीतिक और रणनीतिक शक्ति दिखाने जा रहा है.


 
         
         
        