Mau के पाउली गांव बहुत बड़े स्तर पर धर्मांतरण की साज़िश !
Mau News Update
Mau News: मऊ जिले के घोसी थाना क्षेत्र के पाउली गांव में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की गतिविधि का खुलासा हुआ है. जानकारी के अनुसार, गांव के सतिराम के घर में इलाज के बहाने महिलाओं को बुलाकर प्रार्थना के जरिए बाइबल की जानकारी दी जा रही थी. रविवार को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना मिली, जिसके बाद उन्होंने तुरंत पुलिस को अवगत कराया.
Mau Police का दावा
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया. छानबीन के दौरान वहां से ईसामसी के चित्र, क्रॉस के निशान और बड़ी संख्या में बाइबल बरामद हुई. प्रारंभिक जांच में पता चला कि करीब 300 महिलाएं वहां मौजूद थीं, जिन्हें कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा था.

बजरंग दल का बड़ा दावा
बजरंग दल ने आरोप लगाया कि ये गतिविधि सुनियोजित थी और धर्मांतरण का प्रयास किया जा रहा था. दूसरी ओर, पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और कहा है कि उचित कार्रवाई की जाएगी.

ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील
स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की है. इस घटना ने क्षेत्र में चर्चा का माहौल गरमा दिया है, और ग्रामीणों ने प्रशासन से ऐसी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
भारत में धर्मांतरण कानून
भारत में धर्मांतरण एक संवेदनशील और बहुचर्चित विषय है, जो सामाजिक, धार्मिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता दी गई है. हालांकि, यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है. भारत में कोई केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं है, लेकिन जबरन, धोखाधड़ी या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण को रोकने के लिए कई राज्यों ने अपने स्तर पर धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं.
राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून
- उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधि*विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 (संशोधित 2024) के तहत जबरन या प्रलोभन द्वारा धर्मांतरण को अपराध माना गया है. संशोधित कानून में सजा को और कड़ा किया गया है:
*सामान्य मामलों में 14 साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना.
*नाबालिग, महिलाओं, या अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) के लोगों के धर्मांतरण पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा.
सभी अपराध गैर जमानती हैं, और पीड़ित को मुआवजा देने का प्रावधान है.
- राजस्थान: राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी विधेयक 2025 में विधानसभा में पेश किया गया है, जो अभी पारित होना बाकी है. इसके तहत:
*जबरन धर्मांतरण पर 3 से 10 साल की सजा.
*स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले जिला कलेक्टर को सूचना देना अनिवार्य.
*लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण पर कठोर सजा का प्रावधान.
- गुजरात: गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन (संशोधन) एक्ट, 2021 के तहत धर्मांतरण के लिए जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति अनिवार्य है. जबरन या लालच देकर धर्मांतरण पर 3 से 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
- मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 में जबरन धर्मांतरण पर 1 से 7 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. सामूहिक धर्मांतरण के लिए सजा अधिक कड़ी है.
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक: इन राज्यों में भी समान कानून लागू हैं, जो बल, धोखाधड़ी, या प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण को रोकते हैं. ओडिशा पहला राज्य था, जिसने 1967 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया.
कानूनी प्रावधानों की मुख्य विशेषताएं
* जबरन धर्मांतरण: बल, धोखाधड़ी, प्रलोभन, या दबाव के माध्यम से धर्मांतरण को अपराध माना जाता है. सजा में जेल, जुर्माना, और कुछ मामलों में मुआवजा शामिल है.
* स्वैच्छिक धर्मांतरण: स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की अनुमति है, लेकिन कई राज्यों में इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को पूर्व सूचना देना अनिवार्य है.
* विवाह और धर्मांतरण: अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में, यदि विवाह का उद्देश्य धर्मांतरण है, तो इसे अवैध माना जा सकता है.
संवैधानिक दृष्टिकोण: सुप्रीम कोर्ट ने रेव स्टैनिस्लॉस बनाम मध्य प्रदेश (1977) मामले में कहा कि अनुच्छेद 25 धर्म प्रचार का अधिकार देता है, न कि जबरन धर्मांतरण का. हालांकि, आलोचकों का मानना है कि ये कानून धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), और निजता (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन कर सकते हैं.
* सुप्रीम कोर्ट का रुख: सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में जबरन धर्मांतरण को “बेहद खतरनाक” बताते हुए केंद्र और राज्यों से इसे रोकने के लिए कदम उठाने को कहा.
