चीन की विजय दिवस परेड से Bharat की दूरी में छिपा है बहुत बड़ा संदेश
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भारत (Bharat) ने चीन की Victory Day Parade से दूरी बना ली है, दरअसल बीजिंग में आयोजित होने वाली विजय दिवस परेड इस बार कई देशों के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में होने जा रही है। दक्षिणपूर्व एशिया से कंबोडिया के राजा नोरोडोम सिहामोनी, लाओस के राष्ट्रपति थोंगलून सिसौलिथ और वियतनाम के राष्ट्रपति लुओंग कुआंग इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा दक्षिण कोरिया की संसद के अध्यक्ष वू वोन-शिक भी इस परेड में शिरकत करेंगे।

दुनिया को ताकत दिखाने की तैयारी
चीन इस परेड को अपनी सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के रूप में देख रहा है। इसमें 100 से अधिक लड़ाकू विमान, उन्नत मिसाइलें और टैंक शामिल किए जाएंगे। बीजिंग इसे अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता का संदेश देने का मौका मान रहा है, खासकर ऐसे समय में जब रूस-यूक्रेन युद्ध और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की नीतियों को लेकर पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।

भारत (Bharat) क्यों रहेगा दूर?
भारत, तुर्की और मिस्र जैसे देश केवल SCO शिखर सम्मेलन तक ही मौजूद रहेंगे और परेड से पहले ही लौट जाएंगे। भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह चीन की सैन्य परेड का हिस्सा नहीं बनेगा। इसके पीछे कई अहम कारण हैं –
- जापान की संवेदनाएं – हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो का दौरा किया था, जहां भारत और जापान ने अगले दशक के लिए साझा दृष्टिकोण तय किया। चूंकि चीन की विजय दिवस परेड जापान पर जीत से जुड़ी है, इसमें शामिल होना भारत-जापान संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकता था।
- क्वाड (Quad) की प्राथमिकता – भारत आज अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन साधने की रणनीति पर काम कर रहा है। चीन की सैन्य परेड का हिस्सा बनना इस दिशा में उल्टा संदेश दे सकता था।
- स्वतंत्र विदेश नीति – भारत चीन से संबंध बिगाड़ना नहीं चाहता, लेकिन किसी सैन्य धुरी का हिस्सा दिखना भी उचित नहीं मानता। SCO मंच पर मौजूद रहकर भारत ने क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन किया, लेकिन परेड से दूरी रखकर अपनी स्वतंत्र नीति का परिचय दिया।
जहां एक ओर बीजिंग की परेड में रूस-चीन-उत्तर कोरिया की नजदीकी का प्रदर्शन होगा, वहीं भारत अपनी रणनीतिक नीति पर कायम रहते हुए केवल SCO सम्मेलन तक ही सीमित रहेगा। यह कदम भारत के संतुलित और स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें सहयोग भी है और रणनीतिक सावधानी भी।
