
बांके बिहारी
मंदिर कॉरिडोर पर गरमाया ब्रज, मंदिर सेवायतों ने जताया विरोध
🎤संवाददाता-अमित शर्मा
लोकेशन-मथुरा
बांके बिहारी कॉरिडोर:ब्रज की पावन धरती पर धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बनाए रखने की लड़ाई तेज़ हो रही है। बांके बिहारी मंदिर की कॉरिडोर और न्यास योजना को लेकर मंदिर के गोस्वामियों और सेवायतों में भारी आक्रोश है। विरोध की यह लहर अब राधा बल्लभ मंदिर तक पहुंच गई है, जहां सोमवार को गोस्वामियों ने जोरदार नारेबाजी कर सरकार की योजना के खिलाफ आवाज़ उठाई।
ब्रज के इतिहास और संस्कृति के रक्षक इस योजना को वृंदावन की पौराणिक गलियों और मंदिरों की अस्मिता पर बड़ा खतरा मान रहे हैं। वे कहते हैं कि यह न केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान है, बल्कि ब्रज की सांस्कृतिक विरासत को भी प्रभावित करेगा।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर: ब्रज के प्राचीन स्वरूप को बचाने की जंग
राधा बल्लभ मंदिर में राजभोग आरती के बाद गोस्वामियों ने विरोध के बैनर लगाए और जोरदार बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया। सूरज गोस्वामी ने कहा, “ब्रज के गलियों और मंदिरों की प्राचीनता को बचाना हम सबका धर्म है। बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना इसे नष्ट करने की कोशिश है।”
उन्होंने बताया कि मुगल आक्रांताओं के समय भी वृंदावन के गलियारों ने मंदिरों की रक्षा की थी, लेकिन आज सरकार की यह योजना इन गलियों को खत्म करने पर तुली है। सेवायतों और गोस्वामियों ने एकजुट होकर इस योजना के खिलाफ कड़ा विरोध जारी रखने का ऐलान किया है।

ब्रज के मंदिरों के इस एकजुट विरोध से यह साफ है कि बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना को लेकर सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
क्या सरकार समझेगी बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विरोध की गंभीरता?
ब्रज के मंदिरों में शुरू हुआ यह विरोध सिर्फ धार्मिक स्थलों का ही नहीं, बल्कि ब्रज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा की लड़ाई है। मंदिर के सेवायत और गोस्वामी मांग कर रहे हैं कि सरकार तुरंत इस कॉरिडोर और न्यास योजना को वापस ले।
यह योजना अगर लागू हुई तो वृंदावन के प्राचीन गलियारे, मंदिरों की पुरानी संरचना और ब्रज की धार्मिक पवित्रता को भारी नुकसान होगा।
सरकार से सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की कदर करेगी, या बस अंधाधुंध विकास की आड़ में ब्रज की पहचान मिटा देगी?
ब्रज की आत्मा को बचाने की लड़ाई अब सड़कों पर आ चुकी है।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के नाम पर सरकार जो विकास की तस्वीर पेश कर रही है, वह ब्रज की रूह से खिलवाड़ जैसा महसूस हो रहा है। गोस्वामी समाज से लेकर आम श्रद्धालु तक एक सुर में कह रहे हैं – ब्रज को बाजार मत बनाओ। अगर सरकार ने इस चेतावनी को अब भी हल्के में लिया, तो आने वाले समय में ये विरोध एक बड़े जन आंदोलन में बदल सकता है। सवाल सिर्फ बांके बिहारी मंदिर का नहीं, बल्कि पूरे ब्रज की पहचान, आस्था और इतिहास का है – और ब्रजवासी इसके लिए आखिरी सांस तक खड़े हैं।