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🔹 Vrindavan Protest की आग, चरण पूजन से उठी
22 जून 2025।ब्रजधाम की रज में जो उठता है, वो आंदोलन नहीं — आराधना होता है। और इस बार Banke Bihari Corridor Protest उसी पूजा का नया रूप बन गया है। रविवार को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर परिसर में गोस्वामी समाज की महिलाओं ने गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए सरकार को दो टूक संदेश दिया — “ठाकुर जी की सेवा-पद्धति से छेड़छाड़ नहीं चलेगी।” चरण पूजन, भजन-कीर्तन और रोष के बीच कॉरिडोर के विरोध में श्रद्धा ने संघर्ष का रूप ले लिया है।
🔹 Banke Bihari Corridor: श्रद्धा पर सत्ता की चाबुक?

सरकार इसे विकास का नाम दे रही है, लेकिन ब्रजवासियों के लिए ये सीधे ठाकुर जी की चौखट पर राजकीय हस्तक्षेप है। Banke Bihari Corridor Plan किसी सुविधा का प्रोजेक्ट नहीं, आस्था की जमीन पर बुलडोज़र चलाने की कोशिश है। सदियों से चले आ रहे ठाकुर सेवा-मार्ग पर जबरन ट्रस्ट थोपकर शासन ने यह जता दिया कि भक्तों की भावना, परंपरा और पूजा का अधिकार अब प्रशासन की मर्जी से चलेगा। सवाल ये है—क्या ठाकुर बांके बिहारी अब सरकारी फाइलों के पन्नों में दर्ज होंगे?
🔹 Religious Sentiment: ठाकुर की सेवा या सरकार की साजिश?
यह सिर्फ एक कॉरिडोर नहीं, ये तो ठाकुर जी की परंपरा के रक्त में भरी आस्था पर वार है। Religious Sentiments को जिस बेरहमी से रौंदा जा रहा है, वो सनातन संस्कृति का अपमान है। क्या सरकार भूल गई है कि वृंदावन की हर रज में भक्तों का समर्पण सांस लेता है? स्वामी हरिदास की आत्मा पूछ रही है—क्या अब ठाकुर की सेवा भी राजपत्र से तय होगी? अगर विकास का मतलब मंदिर की आत्मा कुचलना है, तो ये विकास नहीं, आध्यात्मिक नरसंहार है।
🔹 Vrindavan Protest अब क्रमिक अनशन में बदला
रविवार से शुरू हुआ अनशन, फिलहाल शाम 4 से 8 बजे तक चला, लेकिन सेवायतों की चेतावनी साफ है — “अगर आदेश वापस नहीं लिया गया तो यह विरोध Indefinite Hunger Strike में बदल जाएगा।” सरकार की “हठयोग” के आगे अब “भक्तियोग” खड़ा हो गया है।
🔹Banke Bihari Corridor: श्रद्धा बनाम सत्ता – कौन जीतेगा?

प्रशासन कहता है कि विकास के लिए कॉरिडोर ज़रूरी है, लेकिन सवाल ये है — किस कीमत पर? क्या धार्मिक स्वतंत्रता कुर्बान कर दी जाएगी? क्या ठाकुर जी की पावन चौखट से भी अब ‘विकास की बैरिकेडिंग’ शुरू होगी? और अगर सरकार इतनी ही मुस्तैद है, तो फिर जनता सड़कों पर क्यों है?
Banke Bihari Corridor: विरोध का इतिहास और तीव्रता

गोस्वामी समुदाय और व्यापारियों का कहना है कि कॉरिडोर वृंदावन की प्राचीन गलियों और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट कर देगा, और उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा।
Banke Bihari Corridor: महिलाओं की भूमिका और अनशन

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना का विरोध जारी है, और महिलाओं की भागीदारी ने इसे और अधिक तीव्र कर दिया है। यह विरोध न सिर्फ स्थानीय लोगों की आजीविका और विरासत की रक्षा के लिए है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे धार्मिक स्थलों के विकास में स्थानीय भावनाओं और हितों को ध्यान में रखना कितना महत्वपूर्ण है। सरकार और स्थानीय लोगों के बीच यह टकराव भविष्य में और तीव्र हो सकता है, अगर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बनती।

 
         
         
         
        