
बांके बिहारी कॉरिडोर विरोध: गोस्वामियों की पुकार, वृंदावन की विरासत खतरे में
Banke Bihari corridor विरोध: गोस्वामियों की पुकार, वृंदावन की विरासत खतरे में
लोकेशन:मथुरा।संवाददाता:अमित शर्मा
Banke Bihari corridor: वृंदावन—वह पवित्र धरती, जहां हर कण में कान्हा की मुरली गूंजती है, जहां कुंज गलियों में बांके बिहारी की लीलाएं बसी हैं। लेकिन आज इन गलियों में मुरली की जगह विरोध की आवाजें गूंज रही हैं। Banke Bihari corridor और मंदिर न्यास ट्रस्ट के गठन के खिलाफ गोस्वामी समाज और वृंदावनवासियों का आंदोलन एक भावनात्मक लहर बन चुका है। बुधवार को मंदिर के गर्भ गृह की चौखट और मुख्य द्वार पर मंत्रोच्चार के साथ ठाकुर जी का चंदन पूजन-अर्चन हुआ। सेवायतों ने ठाकुर बांके बिहारी से प्रार्थना की—हे कान्हा, हमारी आस्था, हमारी परंपराओं को इस कॉरिडोर से बचाओ।

“हम अपने ठाकुर को नहीं छोड़ेंगे। सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़े, वरना हम मरते दम तक लड़ेंगे,” गोस्वामी समाज की यह पुकार सिर्फ मंदिर की रक्षा नहीं, बल्कि वृंदावन की आत्मा को बचाने की जंग है। Banke Bihari corridor क्यों बन गया है वृंदावन के लिए संकट? यह कहानी हर उस भक्त के दिल को छूती है, जो बांके बिहारी की भक्ति में डूबा है।
बांके बिहारी कॉरिडोर: आंदोलन की शुरुआत, भक्तों का दर्द
बांके बिहारी कॉरिडोर का प्रस्ताव 2023 में सामने आया, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर वृंदावन में 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2025 को इस परियोजना को मंजूरी दी, जिसमें मंदिर के खजाने से 500 करोड़ रुपये खर्च कर जमीन अधिग्रहण का आदेश हुआ। लेकिन इस खबर ने वृंदावन को हिलाकर रख दिया। गोस्वामी समाज, जो स्वामी हरिदास के वंशज हैं और जिन्होंने बांके बिहारी को प्रकट किया, ने इसे अपनी आस्था पर हमला बताया।

पिछले कई दिनों से वृंदावन की गलियां विरोध प्रदर्शनों से गूंज रही हैं। गोस्वामी समाज, पुजारी, दुकानदार, और श्रद्धालु सड़कों पर उतर आए हैं। महिलाएं युगल घाट पर दीप जलाकर प्रार्थना कर रही हैं, तो पुरुष मंदिर के गर्भ गृह में मंत्रोच्चार के साथ ठाकुर जी से गुहार लगा रहे हैं। सेवायत अनंत गोस्वामी ने भावुक होकर कहा, “स्वामी हरिदास की पूजा पद्धति सैकड़ों सालों से चली आ रही है। बांके बिहारी कॉरिडोर इसे मिटाने की साजिश है।”
बांके बिहारी कॉरिडोर: कुंज गलियों की आत्मा पर संकट
बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होगा, जिसमें वृंदावन की ऐतिहासिक कुंज गलियां शामिल हैं। ये गलियां सिर्फ रास्ते नहीं, बल्कि वृंदावन की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान हैं। श्रीनाथ गोस्वामी ने कहा, “इन गलियों में बांके बिहारी की लीलाएं बसी हैं। बांके बिहारी कॉरिडोर इन गलियों को तोड़कर वृंदावन की आत्मा को छीन लेगा।”
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि कॉरिडोर उनकी आजीविका छीन लेगा। गोस्वामियों की चेतावनी है कि अगर सरकार नहीं मानी, तो वे ठाकुर बांके बिहारी की मूर्ति लेकर वृंदावन छोड़ देंगे। यह सिर्फ धमकी नहीं, बल्कि उनकी आस्था की गहराई है। बांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध अब वैश्विक स्तर पर पहुंच चुका है, जिसमें विदेशों में बसे भारतीय भक्त भी शामिल हैं।
बांके बिहारी कॉरिडोर: सरकार का दावा, वृंदावन का गुस्सा
योगी सरकार का दावा है कि बांके बिहारी कॉरिडोर श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देगा। रोजाना 30,000-40,000 और जन्माष्टमी पर 5 लाख श्रद्धालु मंदिर में आते हैं। 2022 की जन्माष्टमी भगदड़, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान गई, ने कॉरिडोर की जरूरत को उजागर किया। सरकार का कहना है कि कॉरिडोर से पार्किंग, धर्मशाला, शौचालय, और यमुना नदी से मंदिर तक तीन मार्ग बनेंगे।
लेकिन वृंदावनवासियों का सवाल है—जब यमुना में गंदे नाले गिर रहे हैं, जाम और गंदगी का अंबार है, और बिजली घंटों गायब रहती है, तो सरकार का ध्यान सिर्फ बांके बिहारी कॉरिडोर पर क्यों? हिमांशु गोस्वामी ने तंज कसते हुए कहा, “मथुरा नगर निगम बनने से क्या बदला? यमुना शुद्धिकरण, जाम, और गंदगी पर ध्यान दो। मंदिर अधिग्रहण की क्या जरूरत?”
बांके बिहारी कॉरिडोर: सवाल जो हर भक्त के मन में
बांके बिहारी कॉरिडोर ने कई सवाल खड़े किए हैं:
क्यों सरकार सैकड़ों वर्षों की परंपराओं को नजरअंदाज कर रही है?
क्यों यमुना शुद्धिकरण और जाम जैसी समस्याओं पर ध्यान नहीं?
क्यों बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए कुंज गलियां तोड़ी जा रही हैं?
क्या मंदिर न्यास ट्रस्ट गोस्वामियों के पूजा अधिकार छीन लेगा?
क्या विकास के नाम पर वृंदावन की सांस्कृतिक पहचान मिट जाएगी?
सेवायत अनंत गोस्वामी ने कहा, “भीड़ की समस्या है, लेकिन समाधान गलियां तोड़ना नहीं। परिक्रमा मार्ग चौड़ा करो, यमुना किनारे रिवर फ्रंट बनाओ।” लेकिन सरकार की हठधर्मिता ने भक्तों को सड़कों पर उतार दिया है।
बांके बिहारी कॉरिडोर: आंदोलन की भावनात्मक लहर
पिछले 10 दिनों से बांके बिहारी कॉरिडोर के खिलाफ आंदोलन ने वृंदावन को एकजुट कर दिया है। गोस्वामी महिलाएं युगल घाट पर दीप जलाकर प्रार्थना कर रही हैं। पुरुष मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ ठाकुर जी से गुहार लगा रहे हैं। बच्चे और बुजुर्ग भी धरनों में शामिल हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने समर्थन देते हुए कहा कि बांके बिहारी कॉरिडोर बीजेपी की हार का कारण बनेगा।
सोशल मीडिया पर #SaveBankeBihari और #StopBankeBihariCorridor ट्रेंड कर रहे हैं। विदेशों में बसे भारतीय भक्त भी ऑनलाइन याचिकाओं और प्रदर्शनों के जरिए समर्थन दे रहे हैं। यह आंदोलन अब सिर्फ वृंदावन की गलियों तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक पुकार बन चुका है।
बांके बिहारी कॉरिडोर: समाधान की राह
गोस्वामियों ने सुझाव दिया है कि सरकार पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की सिफारिशों पर अमल करे, जिसमें दर्शन समय बढ़ाने, ऑनलाइन पंजीकरण, और परिक्रमा मार्ग चौड़ा करने की बात थी। वे यमुना शुद्धिकरण, जाम, और बिजली व्यवस्था पर ध्यान चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में 29 जुलाई को अगली सुनवाई है, जहां गोस्वामी समाज अपनी बात रखेगा। तब तक यह आंदोलन थमने वाला नहीं।
बांके बिहारी की भक्ति या विकास की भेंट?
बांके बिहारी कॉरिडोर सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि वृंदावन की आत्मा पर सवाल है। कुंज गलियों की मिट्टी, मुरली की धुन, और बांके बिहारी की मुस्कान—क्या यह सब विकास की चमक में खो जाएगा? गोस्वामियों की पुकार, महिलाओं के दीप, और बच्चों की प्रार्थनाएं ठाकुर जी से यही गुहार लगा रही हैं—हमारी आस्था को बचाओ। सरकार को संवाद करना होगा, यमुना को स्वच्छ करना होगा, और वृंदावन की आत्मा को बचाना होगा। बांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध हर भक्त की आवाज है—कान्हा की लीलाएं कुंज गलियों में ही जीवित रहेंगी।
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