Banke Bihari Corridor -वृंदावन में मंत्री सुरेश खन्ना ने बांके बिहारी के दर्शन किए, फूल चढ़ाए, पौधे लगाए लेकिन बांके बिहारी कॉरिडोर की फाइल पर चुप्पी साध ली। अब जनता सवाल पूछ रही है — प्रभु के बंगले में फूल खिलेंगे, पर कॉरिडोर कब खिलेगा?
Banke Bihari Corridor- मंत्री जी की एंट्री, अधिकारी बने ‘सेवक’
उत्तर प्रदेश सरकार में वित्त एवं संसदीय कार्य विभाग के मंत्री सुरेश कुमार खन्ना सोमवार को जैसे ही मथुरा पहुंचे, वैसे ही अफसरों की फौज ने सलामी ठोक दी। हनुमान जी की तरह अधिकारी मंत्री जी की सेवा में जुट गए और पहले ही ‘कॉरिडोर’ की जगह स्वागत द्वार खड़ा कर दिया।
बांके बिहारी के दरबार में ‘फाइल’ नहीं, फूल चढ़े

मंत्री जी सीधे वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर पहुंचे, विधि-विधान से दर्शन हुए, पूजा-अर्चना हुई और फूल बंगला में बैठकर प्रभु को एकटक निहारते रहे। भीड़ सोचती रही कि शायद अब कॉरिडोर पर भी कोई दो शब्द सुनने को मिल जाएंगे — लेकिन कानों में मिश्री घुली रह गई।
दर्शन कर लौटे मंत्री, सवाल छोड़ गए पीछे Banke Bihari Corridor
मंत्री सुरेश खन्ना जी ने बांके बिहारी जी के आगे मत्था टेक कर आशीर्वाद तो बटोर लिया, लेकिन कॉरिडोर के नाम पर खड़े सवालों को शायद भगवान भरोसे ही छोड़ आए। मथुरा में लोग कहते हैं — पूजा-पाठ से आस्था मजबूत होती है, लेकिन कॉरिडोर की आड़ में रोज़गार, दुकान और पुश्तैनी कारोबार उजाड़ना किस किताब में लिखा है? अफसर फाइलों में पेड़-पौधे उगा रहे हैं, मगर श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोगों की चिंता कौन सुनेगा — ये सवाल अब भी वहीं टिका है,
Banke Bihari Corridor पेड़ लगाए, पर कॉरिडोर पर चुप्पी भारी

दर्शन के बाद मंत्री जी पहुंचे पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय — यहां पौधे लगाए गए। मोलश्री, गुलमोहर, पाकड़ सबने अपनी जगह पा ली, लेकिन बांके बिहारी कॉरिडोर की फाइल अभी भी वहीं की वहीं ठंडी पड़ी है — लोग सोचते रह गए, जवाब न मिला।
बच्चों जैसे पेड़, पर कॉरिडोर के लिए कौन माता-पिता?
मंत्री जी ने कहा कि पौधे अपने बच्चों जैसे होते हैं, उनकी देखभाल ज़रूरी है। सवाल यह है कि जिस बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर मथुरा- वृंदावन के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं, उसका ‘पालनहार’ कब मिलेगा? या वो फाइल भी कभी इसी पेड़ की तरह मिट्टी में दब जाएगी?
विरोध के साए में टिकी उम्मीदों की डोर Banke Bihari Corridor
मंत्री जी ने भले ही पौधे लगाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया हो, लेकिन कॉरिडोर के नाम पर जिनके घर-मकान, दुकानें और चूल्हे उजड़ने की तलवार लटक रही है — वो सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर किसके लिए ये विकास? बांके बिहारी के दरबार में तो सब मत्था टेक आए, लेकिन विरोध की आवाज़ें बता रही हैं कि मथुरा के लोगों को अब मीठी बातों से ज़्यादा ठोस फैसले चाहिए — वरना न विरोध थमेगा, न ही सरकार की मंशा पूरी हो पाएगी।
