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Banke Bihari Corridor और न्यास के खिलाफ मथुरा में विरोध तेज हो गया है। गुरुवार को गोस्वामी परिवार, उनकी महिलाएं, व्यापारी और तीर्थ पुरोहितों ने बांके बिहारी मंदिर से नंगे पांव पदयात्रा कर निधिवन पहुँचकर स्वामी हरिदास जी से गुहार लगाई। रास्ते में व्यापारियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
संवाददाता-अमित शर्मा,मथुरा।
निधिवन की धूल से उठी पुकार: “बचाओ बिहारी जी का आंगन!”
Banke Bihari Corridor Protest अब केवल आंदोलन नहीं, श्रद्धा और अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। गुरुवार को तपती दोपहर में वो दृश्य ब्रजवासियों ने देखा, जो इतिहास में दर्ज होगा—नंगे पैर, आंखों में आंसू, और हाथों में folded चिट्ठियाँ, गोस्वामी परिवार की महिलाएं, व्यापारी, तीर्थ पुरोहित—all marching towards निधिवन, उस भूमि की ओर जहाँ स्वामी हरिदास जी ने बांके बिहारी को प्रकट किया था।

यह कोई राजनीतिक धरना नहीं था, ये एक भक्त की पुकार थी अपने ठाकुर से—“बचाओ अपने दरबार को, बचाओ अपनी लीला भूमि को!”
आरती के बाद शुरू हुआ पदयात्रा, पुष्पवर्षा से हुआ स्वागत
बांके बिहारी मंदिर से निकले इस पैदल मार्च की शुरुआत भगवान की आरती और भजन के साथ हुई। मंदिर के गोस्वामी परिवार, उनकी महिलाएं, बुज़ुर्ग तीर्थ पुरोहित और व्यापारी—सभी नंगे पांव, हर कदम पर “बिहारी जी रक्षा करो” की गुहार लगाते चले। रास्ते में व्यापारियों ने पुष्पवर्षा कर इस जन आंदोलन को आशीर्वाद और समर्थन दिया।

तीन किलोमीटर लंबा यह पैदल मार्च निधिवन जाकर थमा, लेकिन लोगों का रोष और संवेदना वहीं से और तीव्र हो गई।
Banke Bihari Corridor Protest-हरिदास जी से की गुहार: “बिहारी जी की लीला में सरकार की नो एंट्री!”
निधिवन पहुँचकर सभी ने स्वामी हरिदास जी की समाधि को नमन किया और उनसे प्रार्थना की कि “बिहारी जी की सेवा, व्यवस्था और न्यास किसी अधिकारी की कागजी मेज़ पर न सिमटे।”

मार्च में शामिल गोस्वामी रजत उर्फ सोनू ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को गुमराह कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह खेल सिर्फ बांके बिहारी तक सीमित नहीं—बल्कि ब्रज के 197 मंदिरों को अधिग्रहण में लपेटने की तैयारी है। रजत ने बताया कि इस बात का हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है।
सरकार की सफाई या चुप्पी? दोनों पर सवाल
ब्रज तीर्थ विकास परिषद के CEO श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “बांके बिहारी क्या, कोई भी मंदिर सरकार अधिग्रहण नहीं कर रही।”
लेकिन सवाल यही है—अगर मंशा साफ़ है तो लिखित में क्यों नहीं?
रजत गोस्वामी ने दो टूक कहा—“बरवली नहीं, कागज़ पर दे सरकार कि क्या मंशा है!”
उन्होंने यह भी चेताया कि अगर भ्रम फैलाना बंद न हुआ तो “सारे सबूत सार्वजनिक करेंगे।”
लीला भूमि को राजनीति का रंग मत दो!Banke Bihari Corridor

बांके बिहारी जी का मंदिर कोई संपत्ति नहीं, यह हमारी आत्मा है। और निधिवन कोई पर्यटन स्थल नहीं, वो ब्रज की धड़कन है। जब गोस्वामी परिवार की महिलाएं तपती दोपहर में नंगे पांव निकलती हैं, तो वो किसी पद का अपमान नहीं कर रहीं, वो ‘बिहारी जी के अस्तित्व’ को बचाने की ललकार दे रही हैं।
योगी जी, अगर कोई अधिकारी वाकई भ्रम फैला रहा है तो ब्रज की पुकार को मत अनसुना कीजिए।
और अगर मंशा साफ़ है तो उसे कागज़ पर लाकर, जनता के सामने रख दीजिए।

 
         
         
         
        