Banke Bihari Corridor Brajvasis challenge Yogi’s corridor plan
Banke Bihari Corridor Controversy: वृंदावन में ‘गुस्से’ के 58 दिन
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विवाद बढ़ता ही जा रहा है – और इसी के साथ योगी सरकार के लिए चुनौतियां भी बढ़ रही हैं – मथुरा के विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और इसके लिए जारी अध्यादेश के खिलाफ गोस्वामी समाज, स्थानीय व्यापारी और श्रद्धालु विरोध पर उतरे – और इस विरोध ने बड़ी मुहिम का रूप ले लिया। वृंदावन में इस विरोध को अब 58 दिन पूरे हो गए हैं। शुक्रवार (25 जुलाई) को वृंदावन की सड़कों पर एक विशाल रैली निकाली गई – जिसमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग, और छोटे-छोटे बच्चे शामिल हुए। यह रैली मंदिर के गेट नंबर एक से शुरू होकर गोपेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंची।
विरोध रैली में शामिल लोगों ने “गणेश जी रक्षा करो.. शंकर जी रक्षा करो, श्याम सुंदर रक्षा करो” के नारे लगाए
इन नारों के बीच “कॉरिडोर बहाना है, मंदिर का पैसा खाना है” जैसे नारे भी लगे
प्रदर्शनकारी हुंकार भर रहे – “ना कॉरिडोर चाहिए, ना अध्यादेश चाहिए
हमें तो सिर्फ हमारी कुंज गलियां और हमारा ठाकुर चाहिए।”
Banke Bihari Corridor बनाम 500 साल पुरानी कुंज गलियां!
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना – जिसका उद्देश्य 5 एकड़ जमीन पर तीन प्रवेश द्वार, पार्किंग, और आधुनिक सुविधाओं के साथ मंदिर परिसर का विस्तार करना है – शुरू से ही विवादों में घिरी हुई है। गोस्वामी समाज और स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यह परियोजना वृंदावन की 500 साल पुरानी कुंज गलियों को नष्ट कर देगी – जो ब्रज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। उनके अनुसार कॉरिडोर से न केवल उनकी आजीविका पर संकट मंडराएगा, बल्कि मंदिर की परंपराओं और स्वायत्तता पर भी खतरा उत्पन्न होगा।

Banke Bihari Corridor के खिलाफ विरोध अब विश्वव्यापी
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ उठे विरोध के सुर अब स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच गए हैं। विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी गोस्वामी समाज के समर्थन में उतर आए हैं। इसके अलावा, फिल्मी हस्तियां और कुछ राजनेता भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा रहे हैं – जिससे विवाद और तीव्र हो गया है। कांग्रेस ने जहां कॉरिडोर के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की है – वहीं बीजेपी इसका समर्थन करते हुए इसे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आवश्यक बता रही है।
Banke Bihari Corridor पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई, क्या होने वाला है?
सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार को कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर के ₹500 करोड़ के फंड से 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी थी।
हालांकि गोस्वामी समाज और ब्रजवासियों ने इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है – जिसकी अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को होनी है।
कोर्ट ने सरकार से 26 मई के अध्यादेश की कॉपी और परियोजना की रूपरेखा का हलफनामा मांगा है।
जैसे-जैसे सुनवाई की तारीख नजदीक आ रही है – विरोध प्रदर्शन और उग्र हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने “मर जाएंगे – लेकिन कॉरिडोर नहीं बनने देंगे, ब्रज को नहीं मिटने देंगे” जैसे नारे लगाकर जता दिया है कि Banke Bihari Corridor उन्हें किसी कीमत पर मंजूर नहीं है।

Banke Bihari Corridor का बवाल, योगी सरकार के लिए फांस!
योगी सरकार के लिए यह कॉरिडोर प्रोजेक्ट एक “ड्रीम प्रोजेक्ट” है – जिसका मकसद भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा को बढ़ाना है। 2022 में मंगला आरती के दौरान दो श्रद्धालुओं की मौत और कई लोगों के घायल होने के बाद इस परियोजना की जरूरत पर जोर दिया गया था।
सरकार कह रही- संकरी गलियों के कारण होने वाली अव्यवस्थाएं और भगदड़ जैसी घटनाएं कॉरिडोर बनने से रुकेंगी।
गोस्वामी समाज और स्थानीय व्यापारियों को लेकिन ये दलील मंजूर नहीं
गोस्वामी समाज के लोग मंदिर को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं
इसे स्वामी हरिदास जी की विरासत से जोड़ते हैं
मांग है कि सरकार बिना उनकी सहमति के मंदिर के फंड या जमीन का उपयोग न करे
इसके अलावा – स्थानीय दुकानदारों को डर है कि उनकी दुकानें और घर तोड़े जाएंगे – जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।

Banke Bihari Corridor: योगी के मंत्री ने भी देखी गुस्से की झलक
हाल ही में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को मंदिर में दर्शन के दौरान गोस्वामी समाज की महिलाओं के विरोध और नारेबाजी का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें काले पट्टे पहनाकर और प्रसाद देने से इनकार कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इस तरह की घटनाएं सरकार की छवि को प्रभावित कर सकती हैं – खासकर तब जब यह मामला धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता से जुड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई इस विवाद में निर्णायक साबित हो सकती है। यदि कोर्ट गोस्वामी समाज की याचिका पर विचार करता है – तो परियोजना में देरी हो सकती है। वहीं सरकार की कोशिश है कि गोस्वामी समाज को समझा-बुझाकर परियोजना को आगे बढ़ाया जाए। लेकिन जिस तरह से विरोध उग्र हो रहा है – उससे यह साफ है कि योगी सरकार को इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाने होंगे – वरना यह धार्मिक और सांस्कृतिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक नुकसान भी पहुंचा सकता है।
Written by khabarilal.digital Desk
संवाददाता: अमित शर्मा
लोकेशन: मथुरा, यूपी
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