
Banke Bihari Corridor
Banke Bihari Corridor पर अवनीश अवस्थी की Entry, लेकिन गलियों ने कर दी ‘हाय हाय’ से अगवानी!
📍लोकेशन-मथुरा
🎤 संवाददाता-अमित शर्मा
बांके बिहारी की नगरी में सरकार के सलाहकार पधारे। माथे पर तिलक, हाथ में फूल और मन में विकास का सपना। लेकिन जैसे ही Banke Bihari Corridor की बात छेड़ी, गलियों ने गूंज कर कहा — “कॉरिडोर हाय हाय!”
योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी जी ने जब पुजारियों और स्थानीय लोगों की नब्ज़ टटोलने की कोशिश की, तो उधर से पल्स नहीं, पलटवार मिला! कॉरिडोर की मीटिंग में जहां पूजा होनी थी, वहां हंगामा, और जहां समाधान की उम्मीद थी, वहां सवालों की बरसात हुई!
Banke Bihari Corridor”विकास की थाली में परोसा गया ‘न्यास’, गोस्वामियों ने कहा – “हमें भूख नहीं!”
बांके बिहारी मंदिर के 4 नंबर गेट के पास बनी बैठक में अवनीश अवस्थी ने जब कॉरिडोर और न्यास के फायदे गिनाए, तो गोस्वामियों ने चुटीले अंदाज़ में पूछ लिया – “जब गलियां ही नहीं रहेंगी तो विरासत किस कोने में बैठी रहेगी?”
सरकारी भाषा में जवाब आया – “भीड़ बढ़ रही है, व्यवस्था बदलनी पड़ेगी।”
पुजारियों का प्रतिवाद – “व्यवस्था चाहिए, मगर न्यास की नस नहीं चाहिए!”
हंगामा हो गया जनाब! लोग बोले – ‘VIP दर्शन बंद करो, गलियां बच जाएंगी!’
अवनीश अवस्थी की अगली मीटिंग थी स्थानीय व्यापारियों और निवासियों संग। उम्मीद थी कि ‘सुझावों का सागर’ बहेगा, मगर वहां तो नारों की गंगा बह गई!
“कॉरिडोर हाय हाय!”, “गलियों को मत छुओ!”, “ब्रज को कांक्रीट मत बनाओ!” — ये वो ध्वनि थी जो विकास के ‘ड्राफ्ट’ पर लोगों ने चिपका दी!
कुछ लोगों ने तो बैठक ही छोड़ दी और बाहर निकलकर बोले —
“अगर सरकार को सुविधा चाहिए तो कालिदह से केशीघाट तक परिक्रमा मार्ग चौड़ा करे, यमुना किनारे रिवर फ्रंट बनाए। वहीं से श्रद्धालुओं को होल्ड कर भेजे — VIP भी खुश, गलियां भी सलामत!”
Banke Bihari Corridor:सरकारी विकास बनाम गलियों की विरासत — ये लड़ाई तगड़ी है सरकार!
अवनीश अवस्थी जी ने मीटिंग के बाद प्रेस को बताया —
“हर कोई खुलकर बोल रहा है, सुझाव दिए जा रहे हैं, सरकार सब पर विचार करेगी।”
Translation in गलियों की भाषा:
“सुन तो लिया है, अब देखें सुनवाई कब होती है!”
लोगों का तर्क सीधा है —
अगर सरकार भीड़ का समाधान चाहती है, तो समाधान के नाम पर गली-मोहल्लों की बलि क्यों?
Banke Bihari Corridor कोई एयरपोर्ट नहीं, कि रनवे के लिए मोहल्ला उड़ाया जाए!
VIP गलियों से निकलिए सरकार, क्योंकि विरासत सड़क नहीं, संस्कार मांगती है!
बांके बिहारी जी की नगरी वृंदावन, जहां हर गली एक कथा है, जहां हर मोड़ एक लीला है — वहां कॉरिडोर लाकर संस्कार पर शटर डालना, क्या वाकई यही है विकास?
बांके बिहारी के सेवायत तो साफ बोल रहे हैं —
“न्यास नहीं चाहिए, VIP कल्चर नहीं चाहिए, पर हां – श्रद्धालुओं की सहूलियत पर बैठकर बात हो सकती है।”
अब सरकार को तय करना है — आस्था की गली से गुजरेगी या दबंग विकास की बुलडोजर ले जाएगी!