
Bandaa Corruption Scandal
Bandaa Corruption Scandal: Zero Tolerance के जाप में घूसे हैं भ्रष्टाचार के भूत
“बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक उल्लू ही काफी नहीं… यहां हर साख पर उल्लू बैठा है, और सबको कुर्सी मिली हुई है।”
उत्तर प्रदेश सरकार के ‘Zero Tolerance’ वाले भाषणों को अगर ऑस्कर मिल जाए, तो कोई अचरज नहीं होगा। लेकिन बांदा ज़िले की ज़मीन पर उतरते ही यही ज़ीरो टॉलरेंस “100% घूस गारंटी स्कीम” में बदल जाता है। ताज़ा मामला Bandaa Corruption Scandal का है, जिसमें एक राजस्व निरीक्षक को घूस लेते रंगे हाथों पकड़ लिया गया। जी हां, इस बार घोटाले का भूत बबेरू तहसील की दीवारों से टकराकर बाहर निकल आया है।
💰 घूसखोरी की नई करेंसी – इंसानियत!Bandaa Corruption Scandal
Bandaa Corruption Scandal की कहानी में वो सब कुछ है, जो एक भ्रष्टाचारी ब्यूरोक्रेसी थ्रिलर में होना चाहिए। गरीब फरियादी अवधेश महीनों से जमीन की पैमाइश के लिए राजस्व निरीक्षक के दरवाज़े खटखटा रहा था। लेकिन साहब के कान तभी खुले, जब उनकी जेब गरमाने का वादा किया गया। ₹8000 की घूस की डिमांड की गई, जैसे ये कोई ‘ऑफिशियल सरकारी फी’ हो।
अवधेश ने समझदारी दिखाई, और Anti-Corruption Team से संपर्क किया, जिसके बाद राजस्व निरीक्षक लाला भैया वर्मा उसी मुद्रा में धरे गए, जिसमें आजकल कई अफसर पकड़े जाते हैं — मुट्ठी में नोट, और ज़ुबान पर “मुझे फंसाया गया है” का शाश्वत राग।
जनसुनवाई पोर्टल या डिजिटल झुनझुना?Bandaa Corruption Scandal
बात यहीं खत्म नहीं होती। यूपी सरकार ने बड़ी शान से जनसुनवाई पोर्टल शुरू किया था — लेकिन हकीकत में ये पोर्टल आज “सरकारी सफेद हाथी” बन चुका है। Bandaa Corruption Scandal जैसे मामलों में शिकायतें वहीं अधिकारियों के पास भेजी जाती हैं, जिन पर शिकायत होती है! फरियादी चप्पल घिसता है, अधिकारी रिपोर्ट बना देते हैं — बिना मौके पर गए, बिना सच्चाई देखे।
इस व्यवस्था में सच को सस्पेंड कर दिया गया है और झूठ को सरकारी सील मिल गई है।
Zero Tolerance या Zero Accountability?Bandaa Corruption Scandal
हर तरफ़ “Zero Tolerance” के नारों का भोंपू बज रहा है, लेकिन Bandaa Corruption Scandal जैसे मामलों में सरकार की चुप्पी कानों में सीटी बजा रही है। सवाल उठता है — क्या सरकार की सख्ती सिर्फ़ प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित है? क्या ज़मीन पर उनके आदेशों का वजन इतना हल्का हो गया है कि एक निरीक्षक ₹8000 में ‘राज्य नीति’ को कुचल दे?
जब कुर्सी के नीचे लूट का जखीरा हो…
सिस्टम का हाल ऐसा है कि जिनके कंधों पर जवाबदेही होनी चाहिए, वही लिफाफे में जवाब खरीद रहे हैं। Bandaa Corruption Scandal केवल एक मामला नहीं — ये उस पूरे घुन लगे सिस्टम का ट्रेलर है, जिसमें गरीब की आवाज़ घूस की गूंज में दब जाती है।
अगर आज अवधेश जैसे जागरूक लोग सामने नहीं आए, तो कल किसी मासूम की जमीन, नौकरी या ज़िंदगी किसी घूसखोर की अंटी में दफ्न मिल सकती है।
अब भी मौका है, नहीं तो बांदा से बहकर भ्रष्टाचार हर जिले में फैलेगा
Bandaa Corruption Scandal सिर्फ़ एक केस नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — सरकार के लिए, सिस्टम के लिए और जनता के लिए। अगर एंटी करप्शन टीम की सख्ती ना होती, तो ये मामला भी दबी जुबान में ‘हो गया सुलझाव’ बनकर रह जाता।
अब प्रशासन को चाहिए कि वो सिर्फ़ दिखावे के टूलकिट बंद करे और जमीन पर ईमानदारी का रॉकेट छोड़े। वरना एक दिन ये भ्रष्टाचारी सिस्टम सरकार के दामन पर भी दाग लगा देगा।