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SDM Slapping Scandal: विधायक जी की सफाई, पर SDM साहब की चुप्पी ने उड़ाई नींद!
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में SDM Slapping Scandal ने सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हंगामा मचा रखा है। कहानी कुछ यूं है कि बांदा सदर के बीजेपी विधायक प्रकाश द्विवेदी पर आरोप लगा कि उन्होंने नरैनी के SDM अमित शुक्ला को थप्पड़ जड़ दिया। वजह? ओवरलोड ट्रकों को सीज करना, जो विधायक जी के दिल को चुभ गया। लेकिन विधायक जी ने इसे “मनघड़ंत खबर” करार दिया और कहा, “साक्ष्य लाओ, इस्तीफा दूंगा!” अब सवाल ये है कि अगर कुछ हुआ ही नहीं, तो SDM साहब चुप क्यों हैं? और मऊ तबादले की अफवाह क्या गुल खिला रही है? 
SDM Slapping Scandal की कहानी: सच या सियासी ड्रामा?
बात उस दिन की है जब SDM अमित शुक्ला ने नियमों का पाठ पढ़ाते हुए दो मौरंग से लदे ट्रकों को सीज कर दिया। ट्रकों के मालिक ने शायद सोचा, “चलो, विधायक जी से बात करते हैं, वो तो सियासत के सुपरमैन हैं!” लेकिन जब SDM ने फोन पर विधायक जी की “सिफारिश” को ठुकरा दिया, तो मामला गर्म हो गया। सोशल मीडिया पर खबर उड़ी कि विधायक जी अपने काफिले के साथ मौके पर पहुंचे और SDM साहब को “तमाचा थेरपी” दे दी। इतना ही नहीं, SDM के ड्राइवर को भी कथित तौर पर लपेटे में लिया गया, जिसने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज की कि उसे लोहे की रॉड और डंडों से पीटा गया। लेकिन रुकिए, विधायक जी का कहना है, “ये सब झूठ है, ड्राइवर तो वसूलीबाज है!” 
अब ये तो वही बात हुई कि “न खाता, न बही, जो विधायक जी कहें, वही सही!” लेकिन अगर सब कुछ इतना शांतिपूर्ण था, तो SDM साहब की चुप्पी का आलम क्या है? और ये मऊ तबादले की खबर कहां से उड़ रही है? क्या SDM साहब को चुपके से “मऊ की सैर” कराने की तैयारी है, ताकि SDM Slapping Scandal की आग ठंडी हो जाए?
विधायक जी की सफाई: साक्ष्य नहीं, तो इस्तीफा भी नहीं!
विधायक प्रकाश द्विवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े जोर-शोर से सफाई दी। बोले, “मैंने तो SDM साहब से सौहार्दपूर्ण बात की थी। मेरे समर्थक आए थे, शिकायत थी कि ट्रकों से अवैध वसूली हो रही है। मैंने तो बस जनता की आवाज़ उठाई!” उन्होंने ये भी कहा कि ट्रक सीज होने की प्रक्रिया को वो जानते हैं, और दबाव बनाने का सवाल ही नहीं उठता। ड्राइवर की शिकायत को “मनघड़ंत” बताते हुए विधायक जी ने तंज कसा कि अगर लोहे की रॉड से पिटाई हुई, तो ड्राइवर इतना स्वस्थ कैसे? क्या ड्राइवर साहब ने कोई “सुपरमैन सिरप” पी लिया था? इतना आत्मविश्वास तो गंगाजल में गीले कुर्ते वाला बाबू में भी नहीं दिखा था।
विपक्ष, खासकर सपा मुखिया अखिलेश यादव, ने इस SDM Slapping Scandal को लपक लिया। अखिलेश जी ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा कि बीजेपी की “गुंडागर्दी” अब खुलकर सामने आ रही है। लेकिन विधायक जी ने पलटवार किया, “सपा और कांग्रेस बौखलाए हुए हैं, क्योंकि जनता ने उन्हें लोकसभा और विधानसभा में पटखनी दी है।” अब ये तो वही बात हुई कि “तुम हार गए, तो हम पर कीचड़ उछालो!” लेकिन सवाल वही, अगर सब कुछ इतना साफ-सुथरा था, तो SDM साहब की जुबान पर ताला क्यों?
SDM साहब की चुप्पी: डर या सियासी दबाव?
अब आते हैं असली ट्विस्ट पर। SDM Slapping Scandal में SDM अमित शुक्ला की चुप्पी ने सबके कान खड़े कर दिए। न कोई बयान, न कोई सफाई। सूत्रों की माने तो SDM साहब को बांदा से मऊ भेजने की तैयारी है। अब अगर कुछ हुआ ही नहीं, तो ये तबादला क्यों? क्या SDM साहब को “चुप रहो, वरना मऊ जाओ” का अल्टीमेटम मिला है? या फिर वो खुद ही सोच रहे हैं कि “बांदा में थप्पड़ कांड का ड्रामा झेलने से बेहतर मऊ में शांति से काम कर लें!”
विपक्ष का शोर और मीडिया का जोर
विपक्ष ने इस SDM Slapping Scandal को बीजेपी के खिलाफ हथियार बना लिया। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर खूब तंज कसे, तो कांग्रेस ने भी बीजेपी को “गुंडाराज” का तमगा दे दिया। लेकिन विधायक जी ने इसे “टीआरपी के लिए मनघड़ंत खबर” करार दिया। बोले, “मीडिया बिना साक्ष्य के हमें बदनाम कर रहा है।” अरे भाई, अगर साक्ष्य ही चाहिए, तो SDM साहब को बोलने दो न! शायद वो कोई सीसीटीवी फुटेज या सेल्फी लेते वक्त का वीडियो निकाल लें!
माफिया का तमगा और बालू का खेल
विधायक जी ने ये भी सफाई दी कि वो अब बालू के कारोबार से दूर हैं। बोले, “हां, पहले बालू का व्यवसाय था, लेकिन विधायक बनने के बाद न परोक्ष, न अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल हूं।” लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग उन्हें “माफिया” कहकर चिढ़ा रहे हैं। अब ये तो वही बात हुई कि “पहले माफिया थे, अब संत बन गए!” लेकिन विधायक जी का दावा है कि वो 16-17 घंटे जनता के लिए काम करते हैं। तो क्या ये SDM Slapping Scandal विपक्ष की साजिश है, या फिर सत्ता की ठसक का नमूना?
SDM Slapping Scandal या सियासी ड्रामा?
तो जनाब, SDM Slapping Scandal में सच क्या है, ये तो पुलिस की जांच ही बताएगी। लेकिन विधायक जी की सफाई, SDM साहब की चुप्पी, और मऊ तबादले की अफवाह ने इस कहानी को और रसदार बना दिया है। अगर कुछ हुआ ही नहीं, तो डर किस बात का? और अगर सब कुछ सौहार्दपूर्ण था, तो SDM साहब की जुबान पर ताला क्यों? शायद ये सियासत का वो खेल है, जहां थप्पड़ की गूंज से ज्यादा चुप्पी की आवाज़ गूंज रही है। बांदा की जनता तो बस यही कह रही है, “साहब, सच बोलो, वरना मऊ की सैर पक्की!”

 
         
         
         
        