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“Banda Rain Tragedy” नहीं, दो जिंदगियों की कब्र थी वो बहता नाला
बांदा के परसौड़ा गांव में बरसात की बूंदें जब ज़मीन पर पड़ीं, तो किसी को क्या पता था कि दो मासूम भाई उसका सबसे दर्दनाक हिस्सा बन जाएंगे। इस हादसे ने( Banda Rain Tragedy) एक बार फिर साबित कर दिया कि उत्तर प्रदेश में कुदरत की मार से ज़्यादा खतरनाक चीज़ है—प्रशासन की लापरवाही। 10 और 12 साल के दो भाई मंदिर जा रहे थे, हाथ में हाथ थामे। लेकिन नाले की धारा मौत की नदी बन गई। और सरकार? वो हमेशा की तरह बहाव के बाद पहुंची।
“Two Brothers Drowned”: हाथ थामा था जीवन के लिए, मगर बह गए वादों की तरह।Banda Rain Tragedy
जिसने भी इस हादसे के बारे में सुना (Two Brothers Drowned), उसकी आंखें नम हो गईं। गांव में मातम पसरा है, और प्रशासन की पीठ पर ठंडा पानी पड़ा है। बच्चों ने एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था, जैसे सिस्टम ने जनता का—पर वो हाथ बह गया, और सिस्टम फिर भी स्थिर रहा। पुलिया से ऊपर बह रहे पानी में फिसल कर दोनों भाई समा गए। सवाल ये है कि क्या ज़िम्मेदार अफसरों की संवेदनशीलता भी बह चुकी है?
“UP Monsoon Death”: जहां बारिश से नहीं, इंतज़ार से मरते हैं लोग। Banda Rain Tragedy
तीन घंटे बाद अधिकारी पहुंचे। तीन घंटे। इतने में दिल्ली से बांदा हवाईजहाज से पहुंचा जा सकता है। मगर प्रशासन के लिए तीन घंटे कोई बात नहीं। UP Monsoon Death अब कोई नई हेडलाइन नहीं, ये रूटीन बन चुकी है। प्रशासन को पहले से पता था कि नदी-नाले उफान पर हैं, फिर भी मौके पर न कोई निगरानी, न कोई सूचना। मासूमों की मौत पर अफसरों के बयान वही घिसे-पिटे—”जांच करेंगे, कार्रवाई करेंगे, मुआवजा देंगे।”
“Banda News”: जब मंत्री जी पहुंचे तो आया सिस्टम में हलचल। Banda Rain Tragedy
जैसे ही खबर विधायक और जलशक्ति मंत्री रामकेश निषाद तक पहुंची, वो दौड़े-दौड़े गांव आ गए। Banda News में उनकी फोटो वायरल हो गई—फटी आंखों, रोते परिवार और लिपटे बच्चों के बीच एक नेता। उन्होंने आपदा प्रबंधन से मदद दिलाने का भरोसा दिलाया। मगर सवाल ये है—मंत्री जब आते हैं, तब सिस्टम क्यों दौड़ता है? और जब बच्चे बहते हैं, तब जिम्मेदार अफसरों की जुबान भीगी रुई क्यों बन जाती है?
“Rain Drowning Accident UP”: बारिश की नहीं, लापरवाही की हत्या थी
हर साल यूपी में दर्जनों Rain Drowning Accident होते हैं। मगर बचाव? वो अक्सर ‘मौसम साफ होने’ के बाद शुरू होता है। गोताखोर बुलाए गए—मगर तब, जब दोनों भाई अपने अंतिम स्नान में डूब चुके थे। अगर प्रशासन की टीम समय पर पहुंच जाती, तो शायद ये खबर कभी लिखनी नहीं पड़ती। लेकिन अफसोस, यहां मौत से तेज़ सिर्फ मंत्री का काफिला चलता है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: दीपक पांडेय
📍 लोकेशन: बांदा, यूपी
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