बांदा में Poison Gang का खेल खत्म: पुलिस मुठभेड़ में चार शातिर ठग ढेर
Banda Poisoning Gang–बांदा, वो शहर जहां गंगा की लहरें भी थमकर सोचती हैं कि अब क्या नया ड्रामा देखने को मिलेगा! इस बार बांदा की फिजाओं में Poison Gang का जहर घोलने वाले चार शातिर ठग पुलिस की चपेट में आ गए। देहात कोतवाली के चहितारा गांव के पास रात के अंधेरे में जब पुलिस और एसओजी की टीम ने इन ‘विष-योद्धाओं’ को घेरा, तो मंजर ऐसा था मानो कोई बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर का क्लाइमेक्स शूट हो रहा हो! गोलियां चलीं, धूल उड़ी, और अंत में Poison Gang का सरगना अखिलेश सिंह अपने तीन साथियों समेत पुलिस की हथकड़ियों में जकड़ा गया। लेकिन ये कहानी इतनी सीधी नहीं, तो चलिए इस जहरखुरानी ड्रामे का पूरा बैंकग्राउंड खंगालते हैं।
Poison Gang का ‘जहर-जादू’: ई-रिक्शा चालकों को कोल्ड ड्रिंक में मिलाया ‘नींद का डोज’
बांदा के इन Poison Gang वालों ने जहरखुरानी को ऐसा आर्ट बना दिया था कि पिकासो भी शरमा जाए! इनका तरीका था बड़ा सिनेमाई—रात के अंधेरे में ई-रिक्शा चालकों को सवारी बनकर लुभाना, फिर ‘भैया, थोड़ी कोल्ड ड्रिंक पी लो’ कहकर ऐसी ड्रिंक पिलाना कि बेचारा चालक अगले दिन सुबह तक ‘स्वर्गलोक’ की सैर कर आए। जेब खाली, रिक्शा गायब, और चालक को बस सिरदर्द का तोहफा! अखिलेश सिंह, इस गैंग का ‘जहर-महाराज’, जिसके नाम डेढ़ दर्जन से ज्यादा मुकदमे हैं, ने इस कला को नया मुकाम दिया। लेकिन कहते हैं ना, शेर की सवारी करने वाला भी एक दिन गिरता है, और अखिलेश का ‘जहर-तख्त’ भी पुलिस की गोलियों से हिल गया।
जब पुलिस ने चहितारा गांव के पास इन ठगों को घेरा, तो अखिलेश ने सोचा कि वो कोई ‘सिंघम’ है। उसने पुलिस पर फायर झोंक दिया, लेकिन भूल गया कि सामने बांदा पुलिस है, जो ‘रिटर्न गिफ्ट’ देने में पीछे नहीं रहती। आत्मरक्षा में पुलिस ने गोली चलाई, और अखिलेश का पैर ‘जहर’ से ज्यादा गोली का शिकार हो गया। अब वो अस्पताल में है, और उसके तीन साथी भी हथकड़ियों में बांदा की हवालात की शोभा बढ़ा रहे हैं। अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज ने बताया कि, “ये Poison Gang अब जेल में अपनी कोल्ड ड्रिंक की रेसिपी भूल जाएगा!”
बांदा में Poison Gang का आतंक: आंकड़े जो रोंगटे खड़े कर दें
Poison Gang जैसे जहरखुरानी गिरोह बांदा और आसपास के इलाकों में लंबे समय से सक्रिय हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 500-600 जहरखुरानी की घटनाएं दर्ज होती हैं, जिनमें से 10-15% मामले बांदा, चित्रकूट, और महोबा जैसे जिलों से आते हैं। बांदा में पिछले तीन सालों में लगभग 50 जहरखुरानी की वारदातें दर्ज की गईं, जिनमें ई-रिक्शा चालक, ऑटो ड्राइवर, और देर रात सफर करने वाले यात्री मुख्य शिकार रहे।
इन गिरोहों का शिकार बनने वालों में 70% पुरुष और 30% महिलाएं शामिल हैं, और ज्यादातर मामलों में पीड़ित को क्लोरोफॉर्म, नींद की गोलियां, या नशीली कोल्ड ड्रिंक दी जाती है। बांदा पुलिस ने 2022 से 2025 तक तीन बड़े जहरखुरानी गिरोहों का पर्दाफाश किया, जिनमें कुल 12 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। इस ताजा मुठभेड़ के साथ अब ये संख्या 16 हो गई। लेकिन सवाल ये है कि क्या पुलिस का ये ‘जहर-शिकार’ अभियान स्थायी है, या ये ठग फिर कोई नया ‘कोल्ड ड्रिंक फॉर्मूला’ लेकर लौटेंगे?
पुलिस की ‘जहर-खोजी’ कार्रवाई: नकेल कसने का दावा, हकीकत में कितना दम?
बांदा पुलिस और एसओजी की इस कार्रवाई को देखकर लगता है कि वो ‘जहरखुरानी’ के खिलाफ ‘एक्शन मोड’ में है। पिछले दो सालों में पुलिस ने नाइट पेट्रोलिंग बढ़ाई, चेकपॉइंट्स की संख्या दोगुनी की, और एसओजी को विशेष ट्रेनिंग दी ताकि ऐसे गिरोहों का पता लगाया जा सके। लेकिन हकीकत ये है कि बांदा जैसे छोटे शहरों में पुलिस बल की कमी और संसाधनों का अभाव इन ठगों को बार-बार मौका देता है।
2024 में बांदा पुलिस ने एक और Poison Gang का भंडाफोड़ किया था, जिसमें तीन महिलाओं समेत पांच लोग पकड़े गए थे। ये गैंग खास तौर पर बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर सक्रिय था। पुलिस के दावे के मुताबिक, अब तक 80% जहरखुरानी के मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन पीड़ितों को उनका सामान या पैसा वापस मिलने की दर सिर्फ 20% है। यानी, जहरखुरानी का ‘जादू’ तो टूट रहा है, लेकिन पीड़ितों का ‘दर्द’ अभी बाकी है।
अखिलेश सिंह: Poison Gang का ‘जहर-सम्राट’ या महज एक प्यादा?
अखिलेश सिंह की कहानी तो मानो किसी क्राइम थ्रिलर की स्क्रिप्ट है। डेढ़ दर्जन मुकदमों वाला ये ‘जहर-सम्राट’ बांदा की गलियों में आतंक का पर्याय था। लेकिन मुठभेड़ के बाद अब वो अस्पताल के बेड पर ‘जहर’ की जगह ‘दर्द’ की सैर कर रहा है। सवाल ये है कि क्या अखिलेश इस Poison Gang का असली मास्टरमाइंड है, या इसके पीछे कोई बड़ा ‘जहर-खिलाड़ी’ है? पुलिस की पूछताछ में शायद ये राज खुल जाए, लेकिन तब तक बांदा की जनता यही दुआ कर रही है कि अब रात में कोल्ड ड्रिंक ऑफर करने वाला कोई और ठग न मिले!
बांदा में ‘जहर’ का अंत, या नई शुरुआत?
बांदा की इस Poison Gang मुठभेड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जहरखुरानी के ठग भले ही नए-नए तरीके आजमाएं, लेकिन पुलिस की ‘गोली’ और ‘हथकड़ी’ का जवाब उनके पास नहीं। फिर भी, ये जंग अभी खत्म नहीं हुई। बांदा पुलिस को अब और सख्ती बरतनी होगी, ताकि कोई नया अखिलेश सिंह पैदा न हो। और आप, हां आप! अगली बार कोई रात में कोल्ड ड्रिंक ऑफर करे, तो पहले पूछ लीजिएगा—‘भैया, ये जहर तो नहीं?’
संवाददाता: गुल मोहम्मद लोकेशन: बांदा, उत्तर प्रदेश