Banda News: विकास पर भारी लापरवाही की मार!
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Banda News: बांदा के ऐतिहासिक अलीगंज रामलीला मैदान का निर्माण कार्य, जिसे 6 महीने में पूरा किए जाना का वादा था, तीन साल बाद भी अधूरा पड़ा है. इस देरी ने स्थानीय लोगों में असंतोष पैदा कर दिया है. शिकायतों का सिलसिला शुरू हुआ, और आखिरकार यूपीपीसीएल इकाई 13 ने नींद से जागकर कार्य को गति देने की कोशिश शुरू की. शुक्रवार सुबह मजदूरों की चहल-पहल देखकर लोगों ने पूछताछ की, तो जवाब मिला कि ठेकेदार भाग गया और अब यूपीपीसीएल ने कमर कस ली है. लेकिन गेट का निर्माण छोड़कर केवल इंटरलॉकिंग का काम शुरू हुआ है.
यूपीपीसीएल को मिली थी जिम्मेदारी
तीन साल पहले यूपीपीसीएल इकाई 13 ने मैदान के विकास और सौंदर्यीकरण का जिम्मा लिया था. शुरुआत में काम शुरू हुआ, लेकिन वो मानकों से परे और कमियों से भरा रहा. धीरे-धीरे प्रगति ठप हो गई. छह माह में पूरा होने वाला कार्य तीन साल बाद भी अधूरा है. बरसात में मैदान में कीचड़ और पानी भरने की समस्या ने लोगों का गुस्सा बढ़ाया. शिकायतें यूपीपीसीएल तक पहुंचीं, और शुक्रवार को मजदूरों ने इंटरलॉकिंग के लिए खुदाई शुरू की. लेकिन ये भी स्पष्ट हुआ कि पहले की इंटरलॉकिंग के नीचे डीपीसी नहीं बिछाई गई, बल्कि काली डस्ट डालकर काम चलाया गया.
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बद से बदतर हैं हालात
मैदान की स्थिति बद से बदतर है. गेट का निर्माण अभी तक अधूरा है. मंच के पीछे बने भवन में दरवाजे नहीं लगे, शौचालयों की हालत खराब है, और टीन शेड इतना जर्जर है कि ओस की बूंदें भी फर्श पर टपकती हैं. ये शेड बारिश तो दूर, ओस की बूंदें भी सहन नहीं कर पाता. मजेदार बात ये है कि इस शेड के नीचे गायें रात गुजारती हैं, मानो वे धीमे निर्माण कार्य की सराहना कर रही हों.
ठेकेदार हैं बेलगाम?
स्थानीय लोग निराश हैं. वे कहते हैं कि यूपीपीसीएल इकाई 13 खुद एक ठेकेदार की तरह काम करती है. अगर ठेकेदारों पर नियंत्रण होता, तो ये काम तय समय में पूरा हो गया होता. हाल के प्रयासों ने लोगों में थोड़ी उम्मीद जगाई है कि शायद अब काम पूरा होगा, लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ये उम्मीद धोखा साबित हो रही है. रामलीला मैदान का ये अधूरापन न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है. अब सवाल ये है कि क्या यूपीपीसीएल इस बार अपनी जिम्मेदारी पूरी करेगा, या ये मैदान अधूरी कहानी का प्रतीक बना रहेगा?
