 
                  Banda News: बांदा में प्रशासन पर लगे मनमानी के आरोप, सदर विधायक ने लगाई फटकार !
Banda News: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बबेरू कस्बे में एक ब्राह्मण परिवार पर प्रशासन का कथित कहर टूट पड़ा है. पिछले 60 वर्षों से अपने घर में रह रहे दिव्यांग बुजुर्ग राजेंद्र प्रसाद पांडे और उनके परिवार के साथ प्रशासन ने अमानवीय व्यवहार किया. बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के उनके घर पर बुलडोजर चलाकर उसे ध्वस्त कर दिया गया. विधायक प्रकाश द्विवेदी ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और संकेत दिए हैं कि दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. दरअसल इस घटना ने न केवल परिवार को बेघर कर दिया, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
विधायक जी का रौद्र रुप
जैसे ही इस घटना की जानकारी क्षेत्रीय विधायक सदर प्रकाश द्विवेदी को मिली, वे तुरंत पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. विधायक ने परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया और इस मामले में कठोर कार्रवाई का वादा किया. उन्होंने कहा, “एसडीएम रजत वर्मा सहित सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.ये पूरी तरह से अन्याय है और हम पीड़ित परिवार के साथ हैं.” विधायक के इस आश्वासन से परिवार को कुछ राहत मिली, लेकिन उनका दर्द और बेघर होने की पीड़ा अभी भी बरकरार है।
प्रशासन, जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोप
घटना बबेरू तहसील के अंतर्गत बबेरू कस्बे की है, जहां राजेंद्र प्रसाद पांडे का परिवार दशकों से निवास कर रहा था. परिवार की बहू प्रीति पांडे ने बताया कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए जबरन उनके घर को तोड़ दिया.उन्होंने एसडीएम बबेरू रजत वर्मा और जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रीति के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों ने न केवल उनके घर को बिना नोटिस के ध्वस्त किया, बल्कि घर में मौजूद महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की. महिला पुलिसकर्मियों ने परिवार की महिलाओं को खींचकर घर से बाहर निकाला, जबकि दिव्यांग बुजुर्ग के बेटे को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
पीड़ित लगा रहे न्याय की गुहार
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है. पीड़ित परिवार ने बताया कि वे कई दिनों तक अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. परिवार की गुहार को अनसुना कर प्रशासन ने मनमानी करते हुए उनके आशियाने को मलबे में बदल दिया.इस दौरान दिव्यांग बुजुर्ग राजेंद्र प्रसाद पांडे की स्थिति को देखकर भी अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा.
प्रशासन की संवेदनहीनता !
ये घटना प्रशासन की संवेदनहीनता और मनमानी का जीता-जागता उदाहरण है.एक तरफ जहां सरकार गरीबों और कमजोर वर्गों के लिए आवास योजनाओं की बात करती है, वहीं दूसरी ओर एक दिव्यांग बुजुर्ग और उनके परिवार को बिना किसी ठोस कारण के बेघर कर दिया गया. इस मामले ने स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति अविश्वास पैदा किया है।
स्थानीय लोगों में गुस्सा
स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और मांग की है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए.साथ ही, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए.ये मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है, बल्कि ये भी दर्शाता है कि कैसे कमजोर वर्ग के लोग आज भी अन्याय का शिकार बन रहे हैं।

 
         
         
        