Banda News: यूपी के बांदा जिले में आकाशीय बिजली ने तीन लोगों की जान ले ली। गिरवा और बदौसा थाना क्षेत्र में खेतों में काम कर रहे तीन ग्रामीणों पर बिजली कहर बनकर गिरी।
आसमान ने कहर बरपाया, खेतों में बरसी मौत!
रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला.. जब कुदरत कहर बरपाती है तो इंसान की औकात मिट्टी से ज्यादा कुछ नहीं रहती।
उत्तर प्रदेश के बांदा में बीते 24 घंटों में काले बादलों ने मौत की बिजली बरसाई।
लोग सोच भी नहीं पाए थे कि बारिश राहत नहीं, कफन लेकर आएगी!
कड़कती बिजली की गूंज से पूरा गांव थर्रा उठा।
कुछ ने छत से झांका.. कुछ खेत में भागे.. मगर किस्मत जिन्हें डसने आई थी, वो कहीं नहीं छुप सके।
पहला झटका: खेत में मौत ने घेरा
गिरवा थाना क्षेत्र का पहाड़पुर गांव।
22 साल का कुशल खेत में तार बांध रहा था..
बारिश आई तो लगा पेड़ के नीचे छुप जाएगा तो बच जाएगा।
लेकिन कुदरत की तिजोरी में उसकी जिंदगी की रसीद फटी हुई थी।
कड़कड़ाते बादलों ने उस बबूल के पेड़ को ही मौत की सीढ़ी बना डाली।
बिजली गिरी..कुशल वहीं गिर गया..लाश बनकर।
दूसरा वार: खेत की मेड़ पर आखिरी सांस
गिरवा थाना ही, लेकिन इस बार भरखरी गांव।
श्रीकांत पाठक, 45 साल का आदमी, पांच भाइयों में तीसरे नंबर का।
दोपहर को खेत में तार बांध रहा था..
चारों तरफ बादल ऐसे घूम रहे थे जैसे किसी को ढूंढ रहे हों।
एक कड़क..एक चमक.. और सब खत्म।
बिजली की गाज गिरी और श्रीकांत की जिंदगी राख।
तीसरी मौत: भैंस चराते-चराते मौत ने चर लिया
इस बार बदौसा थाना क्षेत्र।
गारपुर अंश चंदौर गांव।
35 साल का छोटा अपनी भैंसों के पीछे-पीछे गया था।
किसने सोचा था कि भैंस बच जाएगी,लेकिन मालिक नहीं!
तेज बारिश, बिजली की गड़गड़ाहट.. और वो कहर।
छोटा भागा..लेकिन बिजली उससे तेज थी।
एक चमक.. एक धमाका.. छोटा वहीं गिर पड़ा।
गांव वाले दौड़े.. मगर तब तक उसके जिस्म में सांस नहीं बची थी।
अब सवाल — कब तक डरेगा इंसान? Banda News
बांदा के तीन गांव, तीन कहानियां, तीन अर्थियां…
कुदरत के सामने आदमी अब भी बेबस है।
आसमान से गिरने वाली बिजली कब किसे राख बना दे, कोई नहीं जानता।
मौसम विभाग बार-बार चेतावनी देता है, लेकिन लोग खेत, जानवर, मेहनत छोड़ नहीं पाते।
खेतों में पेड़ के नीचे छुप जाना मौत को न्योता देना है, फिर भी लोग छुपते हैं।
आकाशीय बिजली का कहर: यूपी में आंकड़े चीख रहे हैं Banda News
2024 का रिकॉर्ड: यूपी में बिजली गिरने से 1,300 मौतें, जिसमें ज्यादातर खेतों में काम करने वाले किसान और चरवाहे।
