Banda News: बांदा के अस्पताल का अजब हाल, सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है?
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Banda News: उत्तर प्रदेश के बांदा जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. यहां मरीजों को इलाज के लिए न केवल लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. हालात इतने खराब हैं कि एक बुजुर्ग मरीज को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जिला अधिकारी (डीएम) जे. रिभा के पास फरियाद लेकर पहुंचना पड़ा. इस घटना ने जिला अस्पताल की लचर व्यवस्था और स्वास्थ्य माफियाओं के मकड़जाल को उजागर कर दिया है.
अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला, मरीज भटक रहे
जिला अस्पताल में बने अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लटका हुआ है. एक बुजुर्ग मरीज ने डीएम से शिकायत की कि पूछने पर पता चला कि रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध नहीं है. गरीब मरीजों के लिए निजी सेंटरों में 700 से 3000 रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराना संभव नहीं है. मरीज ने आरोप लगाया कि निजी सेंटरों में डॉक्टरों का 50% कमीशन तय है, जिसके चलते मरीजों को बाहर जांच के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस स्थिति में दर्जनों मरीज, खासकर ग्रामीण और गरीब, अस्पताल में भटकते नजर आए.
डीएम ने लगाई फटकार
मरीज की शिकायत पर डीएम जे. रिभा ने तत्काल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) को फोन कर फटकार लगाई और तुरंत व्यवस्था करने के निर्देश दिए. डीएम के सख्त रवैये के बाद भी सीएमएस का जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा, “रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, इसलिए कक्ष में ताला लगा है. जब आएगा, तब खोल दिया जाएगा.”
डॉक्टरों पर गंभीर आरोप
मरीजों ने जिला अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर कमीशन के चक्कर में बाहर की दवाइयां लिखते हैं और ब्लड टेस्ट व अन्य जांच के लिए निजी सेंटरों में भेजते हैं. गरीब मरीज, जो गांव-देहात से इलाज के लिए आते हैं, इस मकड़जाल का शिकार बन रहे हैं. मरीजों ने इस भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत
बांदा जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और स्वास्थ्य माफियाओं का बोलबाला कोई नई बात नहीं है. मरीजों को न तो समय पर इलाज मिल रहा है और न ही जरूरी जांच की सुविधा. अल्ट्रासाउंड जैसी बुनियादी सुविधा के लिए ताला लगा होना और डॉक्टरों का गायब रहना स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है. ये स्थिति न केवल मरीजों के लिए परेशानी का सबब है, बल्कि ये उनके जीवन के साथ खिलवाड़ भी है.
जरूरी है सख्त कार्रवाई
जिला अस्पताल की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है. शासन को चाहिए कि रेडियोलॉजिस्ट और अन्य जरूरी डॉक्टरों की नियुक्ति तुरंत की जाए. साथ ही, निजी सेंटरों के साथ कमीशनखोरी के खेल की जांच हो और दोषी डॉक्टरों व कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. मरीजों का भरोसा जीतने के लिए पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था लागू करना जरूरी है.
स्थायी समाधान की दरकार
बांदा जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्था और स्वास्थ्य माफियाओं का गठजोड़ गरीब मरीजों की मजबूरी का फायदा उठा रहा है. डीएम के हस्तक्षेप से भले ही तात्कालिक कार्रवाई शुरू हुई हो, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है, जब स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाए. मरीजों का हक है कि उन्हें बिना परेशानी और रिश्वत के इलाज मिले. क्या प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा? ये सवाल अभी बरकरार है.