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बांदा में Loan corruption की हकीकत फिर उजागर हुई है, जहां बिना सुविधा शुल्क दिए कोई लोन पास नहीं होता। नरैनी थाना क्षेत्र के पुकारी गांव निवासी रामकिशोर ने चार लाख अस्सी हजार का लोन तो ले लिया, लेकिन जैसे ही बैंक मैनेजर को कमीशन नहीं मिला, उसने रामकिशोर के पीछे शिकायती शिकंजा कसना शुरू कर दिया।
🟥Loan corruption Banda:सुविधा शुल्क
Loan corruption-सुविधा शुल्क बांदा का नया धर्म बन चुका है!
अगर लोन लेना है तो बैंक मैनेजर को चढ़ावा देना ही होगा।
नरैनी के रामकिशोर ने चार लाख अस्सी हजार का लोन लिया, चक्की और स्पेलर भी लगा दिए — पर एक ‘पाप’ कर बैठा।
सुविधा शुल्क नहीं दिया!
बस, यहीं से शुरू हुआ ‘बैंक टेररिज़्म’ — झूठी शिकायतें, बार-बार जांच, और अब चरित्रहनन!
🟥Loan corruption:बिना सुविधा शुल्क दिए लोन लेना — सीधा जुर्म
रामकिशोर के गुनाह की सजा ये है कि बैंक मैनेजर विकास गुप्ता अब उस पर लाठी नहीं, रिपोर्टों की मार कर रहे हैं।
फोटो खिंच चुकी, मशीनें चल रही — लेकिन सुविधा शुल्क नहीं आया तो सब झूठा!
बैंक लोन अब कर्ज नहीं, बंधक बना चुका है जनता को।
🟥Loan corruption:सुविधा शुल्क नहीं दोगे तो “फर्जीवाड़ा” तुम्हारे नाम
बांदा की इंडियन बैंक शाखा में नियम नहीं चलते — वहां चलती है फीस की फिरौती!
रामकिशोर का आरोप है कि, बैंक मैनेजर का कहना है —
“अगर पैसा नहीं दोगे, तो कह दूंगा कि चक्की लगी ही नहीं!”
सरकार ‘मुद्रा योजना’ देती है, बैंक ‘सूदखोरी योजना’ चलाता है।
🟥Loan corruption:सुविधा शुल्क नहीं तो लोन भी गुनाह!
बैंक मैनेजर से बातचीत का ऑडियो
WhatsApp Audio 2025-06-20 at 7.55.27 PM
पीड़ित का आरोप है कि, जब सुविधा शुल्क नहीं दिया, तो मैनेजर भड़क गए, और उसे घर बुलाकर अपशब्द कहे।यानी बैंक अब वित्तीय संस्थान नहीं, ‘सुविधा शुल्क वसूली केंद्र’ बन चुका है।
बिना कमीशन अगर लोन मिल गया, तो बैंक अफसरों की नींद उड़ जाती है।
जनता का विकास अब सुविधा शुल्क के बगैर असंभव है!🟥Loan corruption:जिलाधिकारी से लगाई न्याय की गुहार
जब बैंक मैनेजर के झूठ और धमकियों की सुनवाई कहीं नहीं हुई,
तो रामकिशोर आख़िरकार बांदा जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच गया।
हाथ में शिकायती पत्र, आँखों में उम्मीद — और साथ में सबूतों की तस्वीरें भी!
उसने साफ़ बताया कि बैंक मैनेजर ने सुविधा शुल्क की मांग की,
ना देने पर लोन को ही फर्जी बताने की झूठी कहानी गढ़ दी।
अब सवाल ये है — क्या डीएम इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचेंगे या ये मामला भी “फाइलों की चक्की” में पीस जाएगा?🟥Loan corruption:जब सिस्टम ही सुविधा शुल्क पर टिक जाए तो न्याय कौन देगा?
रामकिशोर की कहानी सिर्फ उसकी नहीं, पूरे सिस्टम की तस्वीर है।
जहां नियम-कानून का कोई मोल नहीं, वहां “सुविधा शुल्क” ही असली शासन बन चुका है।
सरकार लोन देकर आत्मनिर्भर बनाना चाहती है,
लेकिन बैंक मैनेजर कमीशन लेकर उसे आत्मसमर्पण में बदल देते हैं!
जिलाधिकारी चाहे जितनी जांच बिठा लें,
जब तक हर शाखा में बैठे “सुविधा शुल्क योद्धा” कुर्सी पर हैं —
जनता का लोन, लोन नहीं — लूट बना रहेगा।जैसा कि होता आया है, बैंक मैनेजर विकास गुप्ता ने रामकिशोर के सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, और सुविधा शुल्क मांगने की बात को गलत बताया है। अब कौन सच बोल रहा है कौन झूठ ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। फिलहाल अब गेंद जिलाधिकारी के पाले में है।
बांदा। संवाददाता-दीपक पांडेय।20 जून 2025।

 
         
         
         
        