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Banda Lightning Deaths: बांदा में बारिश बनी काल — खेतों में गिरी बिजली, दो की मौत

Banda Lightning Deaths ने फिर साबित कर दिया कि यूपी के किसानों के लिए बारिश अब बरकत नहीं, मौत लेकर आती है। बांदा के बबेरू इलाके में हुई रुक-रुक कर बारिश में दो किसान — लवलेश और माया देवी — खेतों में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर मौत के शिकार हो गए।

Banda Lightning Deaths: जब बारिश कफ़न लेकर उतरी!

बांदा के बबेरू के खेतों में जब बादल गरजे तो किसी ने नहीं सोचा था कि बूंदें उम्मीद नहीं, मौत लेकर आएँगी। 24 साल का लवलेश — जो कल तक अपने खेत में धान की बेड सजाकर खुश था, उसे क्या पता था कि बादल के पीछे छुपी बिजली उसके लिए श्मशान का न्यौता लेकर खड़ी है। तेज बारिश आई तो बेचारा भागकर पेड़ के नीचे बैठ गया — लेकिन किस्मत ने वहीं उसका दिल जला दिया। एक कड़क, एक चमक — और लवलेश वहीं खेत में राख बन गया।

Banda Lightning Deaths: किसानी — आसमान से टूटा शाप!

लवलेश अकेला नहीं था इस Banda Lightning Deaths की कहानी में। कुचेन्दू गांव की माया देवी भी खेत में खड़ी थी — हल्की बारिश देख कर सोचा था, कुछ और काम निपटा दूँगी। लेकिन माया को क्या पता था कि खेत की मिट्टी उसके पैरों के नीचे से खिसकने वाली है। बिजली आई, आसमान गड़गड़ाया — एक पल में सब खत्म! माया की लाश वहीं खेत में गिरी रही — और घर में बच्चे बिलखते रह गए। खेत में अन्न उगाने वाले हाथों के बदले अब गांव में रोते गले गूंज रहे हैं।

Banda Lightning Deaths: सरकारी फाइलों में मौत की कीमत!

Banda Lightning Deaths
Banda Lightning Deaths

Banda Lightning Deaths में ADM राजेश कुमार आए, मुआवजे की स्क्रिप्ट पढ़ी — ‘दैवीय आपदा राहत दी जाएगी।’ यही है किसानों की मौत की सरकारी कीमत — खेतों में बिजली गिरेगी, मौत होगी, पोस्टमार्टम होगा, फिर मुआवजे का चेक — और सब खामोश! कोई ये नहीं पूछता कि किसान को किसानी छोड़कर आसमान ताकने की सजा क्यों मिलती है? हर साल हजारों लवलेश-माया जैसे किसान आसमान से गिरी मौत की भेंट चढ़ जाते हैं।

Banda Lightning Deaths: गांवों में पसरा मातम, खामोशी और डर!

आज भदेहदु और कुचेन्दू गांव के घरों में रोटियां नहीं बन रही हैं — चूल्हे ठंडे हैं, आंखों में आंसू हैं और कानों में गरजती बिजली की गूंज है। हर बूंद अब किसान को डरा रही है। बारिश का इंतजार करने वाले किसान अब बादल देख कर छुपने की जगह ढूंढते हैं — खेती करने की तैयारी नहीं करते। ये सोचते हैं कि, आसमान से गिरने वाली आफत से कैसे बजा जाए।

मौत का मौसम लौटेगा ही!

जुलाई से सितंबर तक यूपी के गांवों में ये बिजली गिरने वाली बारिश हर साल किसी न किसी घर से एक जवान बेटा, एक मां, एक पिता छीन लेती है। ADM साहब जाएंगे, हादसे पर दुख जताएंगे, मुआवजा थमाएंगे, और गांव फिर अकेला रह जाएगा — मौत की अगली गरज तक!

खबरीलाल की खरी-खरी

हर किसान को बारिश से उम्मीद होती थी — अब डर लगता है। उम्मीद पर मौत भारी है, सवाल सिर्फ इतना है — अगला लवलेश कौन होगा? अगली माया कौन होगी? क्या कोई सुनेगा?

 Written by khabarilal.digital Desk

🎤 संवाददाता: गुल मोहम्मद
📍 लोकेशन: बांदा, यूपी

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