Banda Flood Risk - केन तटबंध पर मरम्मत का खेल!
Banda Ken Barrage Scam: राम ही बचाए!
बांदा शहर की किस्मत पर सिंचाई विभाग ने फिर मिट्टी डाल दी — वो भी बारिश में!
Banda Ken Barrage Scam अब खुलकर बता रहा है कि तटबंध के नाम पर करोड़ों का बजट कैसे ‘बरसाती पानी’ में बहाया जा रहा है।
उच्चाधिकारी चैन की नींद सोए हैं, ठेकेदार मिट्टी छिड़क रहे हैं, जनता तटबंध को टुकुर-टुकुर देख रही है कि कब केन नदी अंगड़ाई लेकर पूरे शहर को डुबो दे!

Banda Ken Barrage Scam: मिट्टी में लीपापोती का खेल
खबरीलाल.डिजिटल के संवाददाता दीपक पांडये जब पहुंचे तो खुली आंखों ने जो देखा वो अपने आप में सारी कहानी बयां कर रहा था। Banda Ken Barrage Scam को साबित करने को काफी था।
जिलाधिकारी के आदेशों का पालन यहां सिर्फ कागजों में है, ज़मीनी हकीकत में बारिश में मिट्टी की परतें बह रही थीं — जैसे भरोसा बहता है।
नाले के किनारे लकड़ी बीनने वाली महिलाओं ने हंसते हुए कहा — ‘साहब, मिट्टी कहाँ टिकेगी? बस नोट टिके हैं!’
तटबंध मरम्मत के नाम पर लीपापोती और फोटो खिंचाई — यही असली खेल है।
Banda Ken Barrage Scam: पानी बढ़ा, भरोसा डूबा!

मप्र की मूसलाधार बारिश ने केन का जलस्तर उफान पर ला दिया है।
Banda Ken Barrage Scam में जो मिट्टी छिड़की गई थी वो तटबंध को टिकाएगी या नहीं — ये ठेकेदार और अभियंता भी नहीं जानते!
क्षेत्रीय लोग पहले ही देख चुके हैं 1992 और 2005 की बाढ़ का कहर — इस बार अगर केन ने प्रलय ओढ़ ली तो तटबंध नहीं, जनता डूबेगी।
फिर वही हाहाकार, फिर वही सरकारी ‘मुआवजा नाटक’ और फिर वही अगले साल की मिट्टी की परत।
Banda Ken Barrage Scam: जनता का सवाल — कब तक?
जनता कह रही है — साहब, Banda Ken Barrage Scam में जो मिट्टी है वो जिम्मेदारों की जेब में ही टिकती है, तटबंध पर नहीं।
क्षेत्रीय लोगों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई है कि वे एसी कमरों से बाहर निकलकर खुद इस ‘कलाकारी’ का स्थलीय निरीक्षण करें, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। अब देखना यह है कि केन नदी का पानी पहले तटबंध तोड़ता है, या अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद!
बांदा के लोगों की जान खतरे में है, लेकिन सिंचाई विभाग अब भी नींद में है। तटबंध के नाम पर की जा रही लीपापोती और विभागीय उदासीनता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सरकारी सिस्टम में जनता की जान की कोई कीमत नहीं। अगर समय रहते तटबंध को पुख्ता नहीं किया गया, तो यह “आपदा” नहीं बल्कि “निर्मित त्रासदी” बन जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: दीपक पांडेय
📍 लोकेशन: बांदा, यूपी
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