Banda Corruption Scandal

Banda Corruption Scandal:”बांदा में टेंडर का टोकन नहीं, ‘कमीशन की पर्ची’ जरूरी है!”

Banda Corruption Scandal: घोटाले की गंध से महक रहा बांदा

बांदा में विकास कार्य अब जनता की खुशहाली का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचारियों की तिजोरी का जरिया बन गए हैं। Banda Corruption Scandal का ताजा एपिसोड फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल के नाम पर टिका है। विधायक से लड़ाई के बाद सुर्खियों में आए पटेल साहब पर अब ठेकेदारों ने सीधा तीर चलाया है। आरोप है कि टेंडर में ईमानदारी का गला घोंटकर, कमीशन की सीटी बजाई जा रही है।

Banda Corruption Scandal: पर्ची से चल रहा टेंडर का खेल

कहते हैं सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए ई-टेंडर का सिस्टम लागू किया। लेकिन बांदा में Tender Scam का नया फॉर्मूला निकला – बिना ‘पर्ची’ का टेंडर अवैध! ठेकेदारों का आरोप है कि जो कमीशन भरते हैं, उन्हें पर्ची का पास मिलता है। जो इनकार करते हैं, उनके लिए दफ्तर का दरवाजा भी बंद। यानी ई-टेंडर सरकार का, लेकिन चाबी ‘पर्ची माफिया’ की।

Banda Panchayat Corruption: ठेकेदारों का हल्ला, अधिकारी गायब

जिला पंचायत कार्यालय में ठेकेदारों ने Corruption के खिलाफ जमकर नारे लगाए। लेकिन गजब ये कि जैसे ही भ्रष्टाचार का राग छेड़ा गया, अधिकारी बीमारी का बहाना बनाकर दफ्तर से ऐसे गायब हुए जैसे भूतनी रात में दीया देख ले। अध्यक्ष सुनील पटेल भी कुर्सी पर न दिखे, मानो आरोपों से बचने के लिए कोई अंडरग्राउंड बंकर बना रखा हो।

Banda Corruption Scandal: पुराने पाप, नए आरोप

ठेकेदारों ने याद दिलाया कि यह पहला घोटाला नहीं है। सुनील पटेल पर  भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी जांच में साबित हो चुके हैं। शासन स्तर पर फाइलें धूल खा रही हैं, कार्रवाई का ढोल पीटा जा रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार का राग अभी भी धुन पर है। सवाल यह है कि दोषी साबित होने के बाद भी सुनील पटेल जैसे नेताओं को राजनीति की मलाई क्यों मिलती है?

Banda Tender Manipulation: कमीशन ही असली विकास

यहां विकास कार्य का पैमाना सड़कें या पुल नहीं, बल्कि कमीशन है। Banda Tender Manipulation में ठेकेदारों का कहना है – “टेंडर भरने से पहले पर्ची लो, फिर जोड़े भरो।” जनता को सड़कें चाहे मिलें न मिलें, नेताओं और अधिकारियों की जेब जरूर भर जाती है।

Banda Corruption Scandal: भ्रष्टाचार के पटरों पर दौड़ती गाड़ी

कुल मिलाकर यह ड्रामा दिखाता है कि बांदा में विकास का इंजन भ्रष्टाचार के पटरों पर ही दौड़ता है। सरकार भले ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात करे, लेकिन जिला पंचायत जैसे विभाग हर बार नया खेल निकाल लेते हैं। जनता बेचारी सिर्फ तमाशबीन बनकर रह जाती है, जबकि नेताओं की तिजोरी दिन-ब-दिन मोटी होती जाती है।

 Written by khabarilal.digital Desk

🎤 संवाददाता:दीपक पांडेय
📍 लोकेशन: बांदा, यूपी

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